क्या होगा , उन कश्तियों का जो खेल रही हैं समुन्द्र की लहरों से होकर निश्चिन्त | अचानक एक अहसास अपने स्वार्थी होने का बहा ले गया मुझे गहरे समुन्द्र में | behad achhi rachna
बहुत ही अच्छी रचना और कल्पना। आपके दिये सुझाव का पालन अवश्य करूँगी। लिंक करने का जो सुझाव आपने दिया था वो भी कोशिश करुँगी। वैसे एक बात बताऊँ मुझे ज्यादा जानकारी नही है ब्लाँग के बारे में।धन्यवाद।
वाह...लाजवाब पोस्ट...शब्दों से जो तिलस्म आपने रचा है वो कमाल है...अद्भुत लेखन...
जवाब देंहटाएंनीरज
अहसास ही महत्वपूर्ण है! स्वार्थ के कारागार से आत्मा को मुक्त तो होना ही है!
जवाब देंहटाएंबहुत संवेदन भरा अहसास सुंदर कविता में ढल गया॥
जवाब देंहटाएंBahut samvedansheel rachana!
जवाब देंहटाएंjwarbhate ki uthal-puthal se nikal apki soch gahrayi tak pahunch gayi. kamal ki rachna.
जवाब देंहटाएंलाजवाब! रचना के भाव अपने साथ बहा ले जाते हैं। बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण क्षणिका ।
जवाब देंहटाएंक्या होगा ,
जवाब देंहटाएंउन कश्तियों का
जो खेल रही हैं
समुन्द्र की लहरों से
होकर निश्चिन्त |
अचानक एक अहसास
अपने स्वार्थी होने का
बहा ले गया
मुझे गहरे समुन्द्र में |
behad achhi rachna
लहरें कहाँ आती हैं किसी के वश में?
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण,किश्तिया समुद्र का मर्म नहीं पहचानती न ही समुद्र किस्तियों की चाल.
जवाब देंहटाएंmai bhav to samjh gaya ,pr explain kaise karu
जवाब देंहटाएंaccha laga
लहरें हैं लहरों का क्या ....लेकिन जीवन की भावना रूपी लहरों की तो कीमत है ना....!
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील भावों की गहन अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंVery deep and thought provoking post...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक कविता , शब्दों में अपनापन सा लगता है
जवाब देंहटाएंअचानक एक अहसास
जवाब देंहटाएंअपने स्वार्थी होने का
बहा ले गया
मुझे गहरे समुन्द्र में .....
आप सकुशल तो हैं न .....?
:))
सदा की तरह एक सुंदर संदेश देती हुई कविता... बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंबेहद गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअचानक एक अहसास
जवाब देंहटाएंअपने स्वार्थी होने का
बहा ले गया
मुझे गहरे समुन्द्र में...
ये अहसास ही है, जो हमे स्वार्थी होने से रोकता है...सुंदर संदेश देती कविता...
रचना के भाव ही अपने साथ बहा लेजाते है। और आँखों के सामने जैसे एक चल चित्र सा उभरने लगता है ....बहुत बढ़िया वा गहन अभिव्यक्ति धन्यवाद......
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
very appealing creation..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंअचानक एक अहसास
जवाब देंहटाएंअपने स्वार्थी होने का
बहा ले गया
मुझे गहरे समुन्द्र में |
काश हर व्यक्ति इस अहसास से एक बार गुजरे तो भ्रष्टाचार तो खत्म होता ही दिखेगा
जीवन के प्रति रचनाकार के दृष्टिकोण को दर्शाती हुई सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंगहन भावों की सुन्दर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंअहसासों ते भरी सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंसुनील जी,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी रचना !
यह अहसास ही हमें एक अच्छा और निडर इन्सान बनाता है ।
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पर आये धन्यवाद, स्नेह बनाये रखें ।
प्रेरक पोस्ट !बधाई .अति सूक्ष्म बारेक बात कहते हो दोस्त !बेहद प्रतीकात्मक होते जा रहे हो रचनाओं में भाव में .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना और कल्पना।
जवाब देंहटाएंआपके दिये सुझाव का पालन अवश्य
करूँगी। लिंक करने का जो सुझाव
आपने दिया था वो भी कोशिश करुँगी।
वैसे एक बात बताऊँ मुझे ज्यादा
जानकारी नही है ब्लाँग के बारे में।धन्यवाद।
aaj pahli baar aapke blog par aayi hun....behtreen rachnayen hain aapki....aabhar
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