शनिवार, सितंबर 24, 2011

जीने का यह अंदाज़.........


जो अपने उसूलों पर, 
अपनी जिन्दगी जी रहा होगा |
जरुर उसका दोस्ताना भी, 
मुफ़लिसी से रहा  होगा |

जब वह इन्सान बनने की,
कोशिश कर रहा होगा| 
जरुर कोई इसको उसका,
पागलपन कह रहा होगा |


50 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है. जीवन की तल्ख़ सच्चाइयों को क्या खूब अभिव्यक्त किया है.

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  2. यह प्रयास इसी नाम से जाना जाता है।

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  3. उसूल और मुफ़लिसी का तो चोली-दामन का साथ है। बढिया विचार सुनिल भाई॥

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  4. jeevan ki sacchchai ko ujagar karati aapki ye panktiya ............

    abhaar

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  5. उसूलों का निर्बाह कितना मुश्किल है यह आपकी कविता से साफ़ झलक रहा है. सुंदर भावपूर्ण कविता.

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  6. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  7. बेहद सटीक और सशक्त अभिव्यक्ति...

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  8. बढि़या भाव, अच्छी पंक्तियां।

    ये चाहा कि इंसा बनूं मैं तभी से,
    सभी की नज़र से गिरा लग रहा था।

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  9. बहुत ही सशक्त यथार्थ, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  10. जो अपने उसूलों पर,
    अपनी जिन्दगी जी रहा होगा |
    जरुर उसका दोस्ताना भी,
    मुफ़लिसी से रहा होगा |
    इश्क बादल पैमाने से हटके समाज की सामाजिक नव्ज़ से जुडी ग़ज़ल .

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  11. दो शेरों में पूरा जीवन दर्शन .......

    बेहतरीन................

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  12. वाह! क्या बात है! कम शब्दों में जीवन का सार कह दिया।

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  13. जब वह इन्सान बनने की,
    कोशिश कर रहा होगा|
    जरुर कोई इसको उसका,
    पागलपन कह रहा होगा |
    sachmuch

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  14. जो इंसान है उसे बदलने की कोशिशें कर रहा है कोई....!
    या खुदा, ऐसा भी पागलपन न कर डाले कोई...!!

    बधाई...
    इतने सुन्दर शेर हैं की बस...!

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  15. जब वह इन्सान बनने की,
    कोशिश कर रहा होगा|
    जरुर कोई इसको उसका,
    पागलपन कह रहा होगा |
    बहुत सही कहा है.. मगर पागल हुए बिना गल भी तो नहीं पाई जाती

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  16. जब वह इन्सान बनने की,
    कोशिश कर रहा होगा|
    जरुर कोई इसको उसका,
    पागलपन कह रहा होगा |

    प्रभावित करती पंक्तियाँ...सही कहा है...

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  17. जब वह इन्सान बनने की,
    कोशिश कर रहा होगा|
    जरुर कोई इसको उसका,
    पागलपन कह रहा होगा |


    एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती जीवन से जुड़ी सुन्दर रचना.

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  18. बहुत बढ़िया लगा! बेहतरीन प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  19. सुनील जी! बहुत बढ़िया और सशक्त अभिव्यक्ति!

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  20. जीवन की विडम्बना का शब्दों से रेखांकन ......

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  21. शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.क्या खूब अन्दाज़ है..

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  22. सुन्द भाव, अच्छी पंक्तियां। आभार

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  23. इंसान बन्ने की कोशिश को आज पागलपन ही कहते हैं ...

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  24. उसूलों पर चलती ज़िंदगी का हश्र शायद आज के ख़ौफ़नाक़ दौर में इससे भी भयानक हो सकता है....बहरहाल आदमी के आदमी बनने की ख़्वाहिश को पागलपन का नाम जबरिया दिया जाये तो भी ग़ुरेज नहीं....चंद पंक्तियों में सागर सी गहराई नज़र आ गयी सुनील जी...बेहतरीन.....

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  25. जब वह इन्सान बनने की
    कोशिश कर रहा होगा
    जरुर कोई इसको उसका
    पागलपन कह रहा होगा


    वाह सुनील जी , बहुत अच्छा लिखा है …


    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  26. आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  27. जो अपने उसूलों पर,
    अपनी जिन्दगी जी रहा होगा |
    जरुर उसका दोस्ताना भी,
    मुफ़लिसी से रहा होगा |
    kya sunder likha hai man khush hogaya .baat ekdam sahi hai aesa hi hota hai
    saader
    rachana

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  28. uttam
    sunil ji aapne kaha tha aani rachnao ko agregator se jode plz detail me batane ka kasht karen mujhe jyada jaankari nahi hai k agreegator se kaise jodu
    dhanyawaad

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