जो अपने उसूलों पर, अपनी जिन्दगी जी रहा होगा | जरुर उसका दोस्ताना भी, मुफ़लिसी से रहा होगा | इश्क बादल पैमाने से हटके समाज की सामाजिक नव्ज़ से जुडी ग़ज़ल .
बहुत बढ़िया लगा! बेहतरीन प्रस्तुती! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://seawave-babli.blogspot.com/ http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
उसूलों पर चलती ज़िंदगी का हश्र शायद आज के ख़ौफ़नाक़ दौर में इससे भी भयानक हो सकता है....बहरहाल आदमी के आदमी बनने की ख़्वाहिश को पागलपन का नाम जबरिया दिया जाये तो भी ग़ुरेज नहीं....चंद पंक्तियों में सागर सी गहराई नज़र आ गयी सुनील जी...बेहतरीन.....
जो अपने उसूलों पर, अपनी जिन्दगी जी रहा होगा | जरुर उसका दोस्ताना भी, मुफ़लिसी से रहा होगा | kya sunder likha hai man khush hogaya .baat ekdam sahi hai aesa hi hota hai saader rachana
uttam sunil ji aapne kaha tha aani rachnao ko agregator se jode plz detail me batane ka kasht karen mujhe jyada jaankari nahi hai k agreegator se kaise jodu dhanyawaad
क्या बात है. जीवन की तल्ख़ सच्चाइयों को क्या खूब अभिव्यक्त किया है.
जवाब देंहटाएंयह प्रयास इसी नाम से जाना जाता है।
जवाब देंहटाएंtheek bole.....
जवाब देंहटाएंउसूल और मुफ़लिसी का तो चोली-दामन का साथ है। बढिया विचार सुनिल भाई॥
जवाब देंहटाएंसफल प्रयास....
जवाब देंहटाएंयथार्थ को कहती पंक्तियाँ ..
जवाब देंहटाएंsach ko kahti rachna.....
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंआभार !!
jeevan ki sacchchai ko ujagar karati aapki ye panktiya ............
जवाब देंहटाएंabhaar
उसूलों का निर्बाह कितना मुश्किल है यह आपकी कविता से साफ़ झलक रहा है. सुंदर भावपूर्ण कविता.
जवाब देंहटाएंबेहद सशक्त पंक्तियाँ ।
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंबेहद सटीक और सशक्त अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबढि़या भाव, अच्छी पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंये चाहा कि इंसा बनूं मैं तभी से,
सभी की नज़र से गिरा लग रहा था।
बहुत ही सशक्त यथार्थ, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत प्रभावी पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएंदुरुस्त फ़रमाया अपने,भाई..
जवाब देंहटाएंbahut khoob sunder rachnaa badhaayee
जवाब देंहटाएंकाबिले तारीफ है यह अंदाज।
जवाब देंहटाएं------
मनुष्य के लिए खतरा।
...खींच लो जुबान उसकी।
Brilliant expressions !!
जवाब देंहटाएंAwesome..
जो अपने उसूलों पर,
जवाब देंहटाएंअपनी जिन्दगी जी रहा होगा |
जरुर उसका दोस्ताना भी,
मुफ़लिसी से रहा होगा |
इश्क बादल पैमाने से हटके समाज की सामाजिक नव्ज़ से जुडी ग़ज़ल .
सटीक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंदो शेरों में पूरा जीवन दर्शन .......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन................
वाह! क्या बात है! कम शब्दों में जीवन का सार कह दिया।
जवाब देंहटाएंजब वह इन्सान बनने की,
जवाब देंहटाएंकोशिश कर रहा होगा|
जरुर कोई इसको उसका,
पागलपन कह रहा होगा |
sachmuch
जो इंसान है उसे बदलने की कोशिशें कर रहा है कोई....!
जवाब देंहटाएंया खुदा, ऐसा भी पागलपन न कर डाले कोई...!!
बधाई...
इतने सुन्दर शेर हैं की बस...!
जब वह इन्सान बनने की,
जवाब देंहटाएंकोशिश कर रहा होगा|
जरुर कोई इसको उसका,
पागलपन कह रहा होगा |
बहुत सही कहा है.. मगर पागल हुए बिना गल भी तो नहीं पाई जाती
जब वह इन्सान बनने की,
जवाब देंहटाएंकोशिश कर रहा होगा|
जरुर कोई इसको उसका,
पागलपन कह रहा होगा |
प्रभावित करती पंक्तियाँ...सही कहा है...
बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंबढिया ||
जवाब देंहटाएंजब वह इन्सान बनने की,
जवाब देंहटाएंकोशिश कर रहा होगा|
जरुर कोई इसको उसका,
पागलपन कह रहा होगा |
एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती जीवन से जुड़ी सुन्दर रचना.
बहुत बढ़िया लगा! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
सुनील जी! बहुत बढ़िया और सशक्त अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंBehtariin...waah.
जवाब देंहटाएंNeeraj
खूबसुरत रचना....
जवाब देंहटाएंबधाई...
behad khoobsurat sher.bahut sashakt abhivyakti.badhaai.
जवाब देंहटाएंजीवन की विडम्बना का शब्दों से रेखांकन ......
जवाब देंहटाएंशक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.क्या खूब अन्दाज़ है..
जवाब देंहटाएंसुन्द भाव, अच्छी पंक्तियां। आभार
जवाब देंहटाएंइंसान बन्ने की कोशिश को आज पागलपन ही कहते हैं ...
जवाब देंहटाएंउसूलों पर चलती ज़िंदगी का हश्र शायद आज के ख़ौफ़नाक़ दौर में इससे भी भयानक हो सकता है....बहरहाल आदमी के आदमी बनने की ख़्वाहिश को पागलपन का नाम जबरिया दिया जाये तो भी ग़ुरेज नहीं....चंद पंक्तियों में सागर सी गहराई नज़र आ गयी सुनील जी...बेहतरीन.....
जवाब देंहटाएंआपको नवरात्र की मंगलकामनाएं
जवाब देंहटाएं♥
जवाब देंहटाएंजब वह इन्सान बनने की
कोशिश कर रहा होगा
जरुर कोई इसको उसका
पागलपन कह रहा होगा
वाह सुनील जी , बहुत अच्छा लिखा है …
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंजो अपने उसूलों पर,
जवाब देंहटाएंअपनी जिन्दगी जी रहा होगा |
जरुर उसका दोस्ताना भी,
मुफ़लिसी से रहा होगा |
kya sunder likha hai man khush hogaya .baat ekdam sahi hai aesa hi hota hai
saader
rachana
sundar rachna
जवाब देंहटाएंuttam
जवाब देंहटाएंsunil ji aapne kaha tha aani rachnao ko agregator se jode plz detail me batane ka kasht karen mujhe jyada jaankari nahi hai k agreegator se kaise jodu
dhanyawaad
सटीक अनुमान है!
जवाब देंहटाएंखूबसुरत रचना....
जवाब देंहटाएंबधाई...