पिछले दिनों अन्ना जी के आन्दोलन से हिली सरकार अब थोड़ा संभलने लगी हैं |
और देश के नेता भी अपने रंग में आ गए है | यानि आरोप प्रत्यारोप के रंग में या
यूँ कहें की अपने असली रंग में बयान बदलने में तो यह कितने माहिर है | यह तो
आप जानते ही हैं | मगर अपने इस व्यवहार से कुछ लोगों को परेशान करते हैं |
अगर आपके पास इनका जबाब हैं तो जरुर दीजियेगा ........
वक्त बदला तो रंग बदला, अब यह अपने बयान बदल रहे है|
मगर अपनी इस हरकत से गिरगिटों को परेशान कर रहे है |
सब गिरगिटों ने मिल कर मुझसे आज एक सवाल किया है |
कि रंग तो तुम भी बदलते हो ,फिर हमें क्यों बदनाम किया है |
...
आजकल आदमी इतने रंग बदलने लगा है कि उसे देख कर गिरगिट भी हैरानी में है।
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता।
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नमक इश्क का हो या..
इसी बहाने बन गया- एक और मील का पत्थर।
सटीक प्रश्न कर दिया है गिरगिटों ने ..
जवाब देंहटाएंवाह! जी वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
गिरगिटों ने बहुत अच्छा सवाल किया है.
सुनील जी,फिर आपने क्या जबाब दिया?
अभी तक तो गिरगिट रंग ही बदलते थे अब मुंह भी खोल दिया है... जब गिरगिटो का शातिर पना बढ़ सकता है तो फिर क्या सोचना ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंसादर --
बधाई |
बेहतर....
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं सुनील जी आप ये गिरगिट ही कहे जायेंगे बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई.
जवाब देंहटाएंश्रमजीवी महिलाओं को लेकर कानूनी जागरूकता.
पहेली संख्या -४४ का परिणाम और विजेता सत्यम शिवम् जी
सटीक प्रश्न कर दिया है गिरगिटों ने
जवाब देंहटाएंjawab koi nhi hai bas rang badlte dekhiye inhe
जवाब देंहटाएंगिरगिट से सीखो सदा रंग बदलना
जवाब देंहटाएंनेता से सीखो मुखौटे पहनना
अन्ना के उपदेश सुनते ही क्यों हो
ज्ञानी मनुज से सदा बच के रहना
करो पाप लेकिन घड़ा भी बड़ा हो
मरने से पहले कहीं भर न जाय।
ab girgit kahte honge kya netaon ki tarah rang badal rahe ho...sarthak sawal ..badhayee aaur apne blog per aane ke nimantran ke sath
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! लाजवाब !
जवाब देंहटाएंलगता है अब सरकार के पतन के दिन आ गए हैं। ऐसे में ही सरकार में अहंकार आ जाता है और वह पागल हाथी की तरह रौंदने दौडता है॥
जवाब देंहटाएंLOved it...
जवाब देंहटाएंu've captured it brilliantly
वक्त बदला तो रंग बदला, अब यह अपने बयान बदल रहे है|
जवाब देंहटाएंमगर अपनी इस हरकत से गिरगिटों को परेशान कर रहे है |
सब गिरगिटों ने मिल कर मुझसे आज एक सवाल किया है |
कि रंग तो तुम भी बदलते हो ,फिर हमें क्यों बदनाम किया है |
सचमुच ये प्रतीक बदलने चाहिए ,उपमेय और उपमान बदलने चाहिए .जैसे मनीष तिवारी अपने बयाँ बदलतें हैं वैसे ही गिरगिट अपने परिवेश की आहट के अनुरूप हिफाज़त के तौर पर रंग बदलतें हैं .
girgito me ek nayi prajati aa gayi hai ye bata dije
जवाब देंहटाएंvo bhi maahir nahi is khel me ye samjha dije.
aage aage dekhe vo ki hota hai kya ?
ye baap kahlayenge aur vo kotar me chhup jayengi
ye kahlwa dije.
(waise ye prajati nayi nahi hai)
bahut achchha likha hai.
जवाब देंहटाएंRightly said...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है....
जवाब देंहटाएंसच है, इंसान ने तो जानवरों को भी शर्मसार कर दिया है ...
जवाब देंहटाएंरंग बदलना तो सियासतदारों कि असल पहचान है।
जवाब देंहटाएंसच कहा है गिरगिट ने ... वो बेचारी तो जनता की तरह पिस रही है ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुन्दर पर्स्तुती
जवाब देंहटाएंvery expressive creation.
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