रविवार, सितंबर 04, 2011

सियासत के बदलते रंग ..


पिछले दिनों अन्ना जी के आन्दोलन से हिली सरकार अब थोड़ा संभलने लगी हैं |
और देश के नेता भी अपने रंग में आ गए है | यानि आरोप प्रत्यारोप के रंग में या 
यूँ कहें की अपने असली रंग में बयान बदलने में तो यह कितने माहिर है | यह तो
आप  जानते ही हैं | मगर अपने इस व्यवहार से कुछ लोगों को परेशान करते हैं |
अगर आपके पास इनका जबाब हैं तो जरुर दीजियेगा ........

वक्त बदला तो रंग बदला, अब यह अपने बयान बदल रहे है|
मगर अपनी इस हरकत से गिरगिटों को परेशान कर रहे है |
सब गिरगिटों ने मिल कर मुझसे आज  एक सवाल  किया है  |
कि रंग तो तुम भी बदलते हो ,फिर हमें क्यों बदनाम किया है |   

...

24 टिप्‍पणियां:

  1. आजकल आदमी इतने रंग बदलने लगा है कि उसे देख कर गिरगिट भी हैरानी में है।

    सुंदर कविता।

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    नमक इश्‍क का हो या..
    इसी बहाने बन गया- एक और मील का पत्‍थर।

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  2. सटीक प्रश्न कर दिया है गिरगिटों ने ..

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  3. वाह! जी वाह!
    बहुत सुन्दर.
    गिरगिटों ने बहुत अच्छा सवाल किया है.
    सुनील जी,फिर आपने क्या जबाब दिया?

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  4. अभी तक तो गिरगिट रंग ही बदलते थे अब मुंह भी खोल दिया है... जब गिरगिटो का शातिर पना बढ़ सकता है तो फिर क्या सोचना ....

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    सादर --

    बधाई |

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  6. सटीक प्रश्न कर दिया है गिरगिटों ने

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  7. jawab koi nhi hai bas rang badlte dekhiye inhe

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  8. गिरगिट से सीखो सदा रंग बदलना
    नेता से सीखो मुखौटे पहनना
    अन्ना के उपदेश सुनते ही क्यों हो
    ज्ञानी मनुज से सदा बच के रहना

    करो पाप लेकिन घड़ा भी बड़ा हो
    मरने से पहले कहीं भर न जाय।

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  9. ab girgit kahte honge kya netaon ki tarah rang badal rahe ho...sarthak sawal ..badhayee aaur apne blog per aane ke nimantran ke sath

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  10. लगता है अब सरकार के पतन के दिन आ गए हैं। ऐसे में ही सरकार में अहंकार आ जाता है और वह पागल हाथी की तरह रौंदने दौडता है॥

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  11. वक्त बदला तो रंग बदला, अब यह अपने बयान बदल रहे है|
    मगर अपनी इस हरकत से गिरगिटों को परेशान कर रहे है |
    सब गिरगिटों ने मिल कर मुझसे आज एक सवाल किया है |
    कि रंग तो तुम भी बदलते हो ,फिर हमें क्यों बदनाम किया है |
    सचमुच ये प्रतीक बदलने चाहिए ,उपमेय और उपमान बदलने चाहिए .जैसे मनीष तिवारी अपने बयाँ बदलतें हैं वैसे ही गिरगिट अपने परिवेश की आहट के अनुरूप हिफाज़त के तौर पर रंग बदलतें हैं .

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  12. girgito me ek nayi prajati aa gayi hai ye bata dije
    vo bhi maahir nahi is khel me ye samjha dije.
    aage aage dekhe vo ki hota hai kya ?
    ye baap kahlayenge aur vo kotar me chhup jayengi
    ye kahlwa dije.

    (waise ye prajati nayi nahi hai)

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  13. सच है, इंसान ने तो जानवरों को भी शर्मसार कर दिया है ...

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  14. रंग बदलना तो सियासतदारों कि असल पहचान है।

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  15. सच कहा है गिरगिट ने ... वो बेचारी तो जनता की तरह पिस रही है ..

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  16. बहुत खूब सुन्दर पर्स्तुती

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