गुरुवार, दिसंबर 22, 2011

काश !

चौराहे पर खड़ा 
एक मोटर साईकिल सवार| 
कर रहा था 
हरी बत्ती का इंतज़ार|
पड़ोस में खड़ी थी एक कीमती कार,
आधी खुली  खिड़की से कुत्ते का बच्चा
झाँक रहा था बाहर|
वह सवार, उस कुत्ते के बच्चे को ,
निहार रहा था बार बार 
कर रहा था उसको दुलार |
तभी पीछे से आवाज़  आई
भूखा हूँ दे दो कुछ मेरे भाई|
वह जानता था उसकी किस्मत में ,
गालियाँ  के सिवा खाने को कुछ नहीं है |
मगर प्रयास करने में जाता कुछ नहीं हैं |
कुत्ते के बच्चे की मिल रहा था, 
प्यार और दुलार| 
और उसको मिल रहीं थीं ,
गालियाँ और दुत्कार |
गाड़ियाँ चली गयीं थी 
बत्ती हरी हो गयीं थी |
कुछ सोंच कर मुस्कराया 
और मुंह से निकला  काश ! 

34 टिप्‍पणियां:

  1. कटु यथार्थ का चित्रण बहुत कमाल का है आपकी इस रचना में....बधाई

    नीरज

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  2. कडवा सच....
    भावनात्‍मक रचना।

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  3. यथार्त का सुंदर बेहतरीन चित्रण अच्छी पोस्ट,....

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  4. एक यथार्थ,

    गलियां को सुधार लें

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  5. यही दृश्य प्रश्न उठाकर बढ़ जाते हैं जीवन में।

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  6. ऐसे वक़्त यह काश ही होता है जो निकल जाता है कभी मुंह से कभी दिल से ...
    सच्चाई यही है आज की... भावपूर्ण रचना

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  7. भावमय करते शब्‍दों का संगम ।

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  8. मन को छूती भावपूर्ण सुंदर रचना,...

    नई रचना के लिए काव्यान्जलिमे click करे

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  9. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  10. एक कड़वी सच्चाई को बयां करती हुई सार्थक रचना .....

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  11. अजीब सी विडंबना है आज के समाज की .......कुत्तो को पाला जाता है ...और इंसानों को दुत्कारा जाता है यहाँ

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  12. कुत्ते की बच्चे की मिल रहा था,

    इस पंक्ति को थोडा सूधार करे
    अच्छी रचना है !

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  13. अब तो मानवता की परिभाषा बदल गई है।
    कविता का सारा राज ‘काश‘ में निहित है।
    बहुत सुंदर।

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  14. ये तो कडुवा सच है ... जीवन तभी तो इतना कठोर है ..

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  15. सटीक चित्रण कड़वी सच्चाई का .

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  16. jivan ka sach hai ye...kai baar insaan ki niyati se jyada achchhi jaanwar ki niyati hoti hai. bahut maarmik rachna, shubhkaamnaayen.

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