चौराहे पर खड़ा
एक मोटर साईकिल सवार|
कर रहा था
हरी बत्ती का इंतज़ार|
पड़ोस में खड़ी थी एक कीमती कार,
आधी खुली खिड़की से कुत्ते का बच्चा
झाँक रहा था बाहर|
वह सवार, उस कुत्ते के बच्चे को ,
निहार रहा था बार बार
कर रहा था उसको दुलार |
तभी पीछे से आवाज़ आई
भूखा हूँ दे दो कुछ मेरे भाई|
वह जानता था उसकी किस्मत में ,
गालियाँ के सिवा खाने को कुछ नहीं है |
मगर प्रयास करने में जाता कुछ नहीं हैं |
कुत्ते के बच्चे की मिल रहा था,
प्यार और दुलार|
और उसको मिल रहीं थीं ,
गालियाँ और दुत्कार |
गाड़ियाँ चली गयीं थी
बत्ती हरी हो गयीं थी |
कुछ सोंच कर मुस्कराया
और मुंह से निकला काश !
एक मोटर साईकिल सवार|
कर रहा था
हरी बत्ती का इंतज़ार|
पड़ोस में खड़ी थी एक कीमती कार,
आधी खुली खिड़की से कुत्ते का बच्चा
झाँक रहा था बाहर|
वह सवार, उस कुत्ते के बच्चे को ,
निहार रहा था बार बार
कर रहा था उसको दुलार |
तभी पीछे से आवाज़ आई
भूखा हूँ दे दो कुछ मेरे भाई|
वह जानता था उसकी किस्मत में ,
गालियाँ के सिवा खाने को कुछ नहीं है |
मगर प्रयास करने में जाता कुछ नहीं हैं |
कुत्ते के बच्चे की मिल रहा था,
प्यार और दुलार|
और उसको मिल रहीं थीं ,
गालियाँ और दुत्कार |
गाड़ियाँ चली गयीं थी
बत्ती हरी हो गयीं थी |
कुछ सोंच कर मुस्कराया
और मुंह से निकला काश !
Really it's the truth
जवाब देंहटाएंकटु यथार्थ का चित्रण बहुत कमाल का है आपकी इस रचना में....बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
यही सच्चाई हैं सुनील साहेब .....
जवाब देंहटाएंये तो पूर्व जनम के फल हैं भैया :)
जवाब देंहटाएंआज का कटु सत्य...
जवाब देंहटाएंis kash ko ham apni koshish se badal sakte hain.
जवाब देंहटाएंकाश!
जवाब देंहटाएंAah! Aur kya likhun?
जवाब देंहटाएंकडवा सच....
जवाब देंहटाएंभावनात्मक रचना।
किस्मत अपनी अपनी ।
जवाब देंहटाएंjindgi ki yeh hi haqiqat hai.................
जवाब देंहटाएंयथार्त का सुंदर बेहतरीन चित्रण अच्छी पोस्ट,....
जवाब देंहटाएंएक यथार्थ,
जवाब देंहटाएंगलियां को सुधार लें
यही दृश्य प्रश्न उठाकर बढ़ जाते हैं जीवन में।
जवाब देंहटाएंऐसे वक़्त यह काश ही होता है जो निकल जाता है कभी मुंह से कभी दिल से ...
जवाब देंहटाएंसच्चाई यही है आज की... भावपूर्ण रचना
भावमय करते शब्दों का संगम ।
जवाब देंहटाएंbhawpoorn......
जवाब देंहटाएंhridysparshi..
जवाब देंहटाएंमन को छूती भावपूर्ण सुंदर रचना,...
जवाब देंहटाएंनई रचना के लिए काव्यान्जलिमे click करे
kashhh....
जवाब देंहटाएंbhavpurn rachana....
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
यथार्थ का सटीक चित्रण....
जवाब देंहटाएंसादर.
एक कड़वी सच्चाई को बयां करती हुई सार्थक रचना .....
जवाब देंहटाएंअजीब सी विडंबना है आज के समाज की .......कुत्तो को पाला जाता है ...और इंसानों को दुत्कारा जाता है यहाँ
जवाब देंहटाएंkash ...ek kadavi sachchai .
जवाब देंहटाएंइस 'जमाने' का सच - बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंदो रंग दुनियाँ के और दो रास्ते....
जवाब देंहटाएंकुत्ते की बच्चे की मिल रहा था,
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति को थोडा सूधार करे
अच्छी रचना है !
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअब तो मानवता की परिभाषा बदल गई है।
जवाब देंहटाएंकविता का सारा राज ‘काश‘ में निहित है।
बहुत सुंदर।
sach kaha aapne. kutte ki sthiti insaanon se behtar hai.
जवाब देंहटाएंये तो कडुवा सच है ... जीवन तभी तो इतना कठोर है ..
जवाब देंहटाएंसटीक चित्रण कड़वी सच्चाई का .
जवाब देंहटाएंjivan ka sach hai ye...kai baar insaan ki niyati se jyada achchhi jaanwar ki niyati hoti hai. bahut maarmik rachna, shubhkaamnaayen.
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