इस पूरनी बात को जो सभी जानते हैं एक कटु सत्य है उस बात को कहने का एक बहुत ही अलग अदाज़ दिखाया है आपने!!! .... बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति... आभार समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
आप की पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२१)में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /लिंक है / http://hbfint.blogspot.com/2011/12/21-save-girl-child.html
यह फर्क न ही बदला है न ही बदलेगा
जवाब देंहटाएंबदल रहा है जमाना.... बदल रही है दुनिया.... उम्मीद पर दुनिया कायम है.....
जवाब देंहटाएंसमाज की विषमता, खासकर बेटे और बेटियों में, को दर्शाती रचना सटीक व सार्थक है।
जवाब देंहटाएंसुनील कुमार जी,...
जवाब देंहटाएंसमय तजी से बदल रहा है,अब वो दिन दूर नहीं है,.....
काश! हम भी बदल जाते
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति विचार मंथन कराती है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत कुछ है जो बदल के भी नहीं बदला......
जवाब देंहटाएंफ्रॉक पुरानी नहीं है नज़रिया पुराना है. यह बदल जाए तो फ्रॉक भी नई आ जाएगी. अच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात...बदल जाने का भ्रम है,बदला कुछ भी नहीं है..
जवाब देंहटाएंमंथन करती क्षणिका
जवाब देंहटाएंगहन संदेश, सरल शब्दों में।
जवाब देंहटाएंक्या बात है.वाह.
जवाब देंहटाएंजी हाँ कुछ है जो आज भी नहीं बदला... शायद बदल जाये...गहन सोच
जवाब देंहटाएंहमारे समाज का कड़वा सच....चंद शब्दों में ही बयाँ कर दिया आपने।
जवाब देंहटाएंसच्चाई आज की
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा है..धीरे धीरे बदल रहा है यह नजरिया भी!
जवाब देंहटाएंइसी को तो लिंग भेद कहते हैं भैया॥
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली रचना.....
जवाब देंहटाएंमार्मिक!!!
जवाब देंहटाएंbahut hi kadwa sach hai.......... sunder parstuti.
जवाब देंहटाएंसादे शब्दों में बड़ी बात कह दी है आपने !
जवाब देंहटाएंइस पूरनी बात को जो सभी जानते हैं एक कटु सत्य है उस बात को कहने का एक बहुत ही अलग अदाज़ दिखाया है आपने!!! .... बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति... आभार समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
gagar mein sagar
जवाब देंहटाएंभैया का तो नया है नेकर
जवाब देंहटाएंबहन की फ्राक पुरानी हैं|
vah .... bahut hi km shabdon me sundar prastuti abhaar .
Bahut khoob.
जवाब देंहटाएंdil ka dard kah gaye bitiya ka ....wo to bechari hamesa har reste me parai hoti hai ..
जवाब देंहटाएंक्या बात है । आपेक पोस्ट ने बहुत ही भाव विभोर कर दिया । मेरे नए पोस्ट "साहिर लुधियानवी" पर आपका आमंत्रण है ।
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील अहसास बधाई
जवाब देंहटाएंबिलकुल भेदभाव नहीं
जवाब देंहटाएंदोनों असाधारण है सोच बदलनी होगी !
sundar kavita, सुनील जी कारण बस 'वर्ड वेरिफिकेसन' लगाया था, हटा दिया है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंbadal raha hai......
जवाब देंहटाएंye bhedbhaav n jane kab khatm hoga.
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंआप की पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२१)में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /लिंक है / http://hbfint.blogspot.com/2011/12/21-save-girl-child.html
जवाब देंहटाएंजिनके लिए समय बदला है,उनके यहां यह सब नहीं चलता। जिनके लिए नहीं बदला,वे करूणा के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंSimple and poignant .
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा ..अब ही ये होता है
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