गुड्डे और गुड़ियों का
व्याह जो रचाती है |
अगले ही पल वह ,
ख़ुद दुल्हन बन जाती हैं |
जो पिता नहीं कह पाती,
वह पत्नी क्या कहलाएगी |
जो दूध अभी पीती है,
वह दूध क्या पिलाएगी |
नाम तो दिया हैं तुमने,
इसको कन्यादान का|
और दान दे दिया ,
एक कन्या की जान का |
(चित्र गूगल के सौंजन्य से )
एक ज्वलंत मुद्दे को उठाते शब्द-बाण ! वाकई इस इक्कीसवी सड़ी में भी हमारा एक बड़ा तबका पाषाण युग में जी रहा है !
जवाब देंहटाएंजी आज भी हमारे समाज में ऐसे लोग है,
जवाब देंहटाएंजो अशिक्षित है अथवा जो पुरानी परम्परा में
विश्वाश रखते है, वही लोग ऐसा करते है....
सार्थक संदेश देती रचना है..
बहुत बढ़िया सार्थक संदेश देती रचना ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है ....http://mhare-anubhav.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंअब परिस्थितियां बदल रही हैं बंधुवर॥
जवाब देंहटाएंबालविवाह का विरोध होना ही चाहिए.
जवाब देंहटाएंसुंदर , इस विषय को भी आपने शब्दों में ढाल दिया .बाल- विवाह अपराध है ..जो अभी भी समाप्त नहीं हुआ है .
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंनाम तो दिया हैं तुमने,
जवाब देंहटाएंइसको कन्यादान का|
और दान दे दिया ,
एक कन्या की जान का|
कुप्रथा पर तीब्र 'तीर' - सीधे जहन में ! !
इक्कीसवीं सदी में भी बाल विवाह होना मानवता के नाम पर कलंक है ।
जवाब देंहटाएंअब सुधरेगा यह देश !
Uf! Pata nahee kab ye kupratha band hogee?
जवाब देंहटाएंबाल विवाह और दहेज, पूरे समाज के लिए विशेषत: हिंदुओं के लिए अभिशाप हैं.
जवाब देंहटाएंनाम तो दिया हैं तुमने,
जवाब देंहटाएंइसको कन्यादान का।
और दान दे दिया ,
एक कन्या की जान का ।
एक सामाजिक कुरीति के विरुद्ध आपने प्रभावशाली ढंग से आवाहन किया है।
Very very Nice post our team like it thanks for sharing
जवाब देंहटाएंpathetic situation...it will take centuries to change...
जवाब देंहटाएंsatik lekhan....
जवाब देंहटाएंबालिका वधु-सामाजिक कुरीति
जवाब देंहटाएंबाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है.आपने सही लिखा इसके बारे में.
जवाब देंहटाएंits sad that at many places it still going on :(
जवाब देंहटाएंa very strong message in those lines !!
सरल शब्दों में इस कुरीति को उजागर किया है सुनील जी आपने!!
जवाब देंहटाएंबालिका बधु का मार्मिक चित्रण..समाज की कुरीतियो को उजागर करती भावपूर्ण कविता..
जवाब देंहटाएंसुनील जी,.बाल विवाह पर चुटीला प्रहार करती कुप्रथा को उजागर करती सुंदर रचना,..वाह...क्या बात है,.....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
गहरे भाव लिए रचना।
जवाब देंहटाएंबाल विवाह सच में समाज के लिए अभिशाप की तरह है।
बाल विवाह पर मैंने अपने क्षेत्र में काफी काम किया है.... अध्ययन... खबरें बनाने और इस पर रोक की दिशा में काम करने.....
hamare desh mein abhi bhi bal vivah ki pratha hai ..........bahut sunder kataksh .............
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक हृदयस्पर्शी प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंबाल विवाह पर प्रभावपूर्ण ढंग से प्रहार करती.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
समय के साथ अब बहुत बदलाव आ रहे है !
जवाब देंहटाएंताज्जुब होता है यह सब देखकर। बहुधा,समाचार माध्यम भी,पुलिस बुलाने की बजाए,सबूत जुटाने में व्यस्त देखे जाते हैं।
जवाब देंहटाएंनाम तो दिया हैं तुमने,
जवाब देंहटाएंइसको कन्यादान का|
और दान दे दिया ,
एक कन्या की जान का |
achchhe shabd piroye hain..
नाम तो दिया हैं तुमने,
जवाब देंहटाएंइसको कन्यादान का|
और दान दे दिया ,
एक कन्या की जान का |
बहुत मर्मस्पर्शी...एक सामजिक कुप्रथा पर सटीक चोट...बहुत प्रभावपूर्ण प्रस्तुति...
एक सामजिक कुप्रथा पर सटीक चोट...बहुत प्रभावपूर्ण प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंsach kaha aapne...bahut achchi prastuti
जवाब देंहटाएंwelcome to my blog
आप से निवेदन है,कि हमारी भी पोस्ट एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति कृपया होगी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंमार्मिक रचना.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बात का उल्लेख किया है आपने! भावपूर्ण एवं मार्मिक रचना!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
नाम तो दिया हैं तुमने,
जवाब देंहटाएंइसको कन्यादान का|
और दान दे दिया ,
एक कन्या की जान का |
vah sunil bhai ak sundar abhivykti ... vishesh abhar.
आह............... कितना सटीक प्रहार है इस कविता के माध्यम से।
जवाब देंहटाएंसन्देश देती कविता..
जवाब देंहटाएंसुदूर प्रांतों में एक और ही भारत बसता है जिसका पीड़ादायक सच आपने बहुत ही सरल, सहज शब्दों में एक बड़ा प्रश्न बना कर प्रबुद्ध लोगों के सामने प्रस्तुत किया !
जवाब देंहटाएंइस तस्वीर के बदलने में आपकी सोच का अपना महत्व है । बधाई !
बाल विवाह की कुप्रथा पर करारी चोट..! यद्यपि बीते दशकों में सामाजिक परिवर्तन हुआ है; परन्तु आज भी जहाँ शिक्षा की रौशनी न पहुँच सकी है, वहाँ ऐसे कुपरिणाम देखने को मिले हैं. राष्ट्र समाज के उस वर्ग की उपेक्षा कर समृद्ध नहीं हो सकता. इस प्रेरक रचना हेतु आपका कोटिशः धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंbal vivah se bacho ka bachpan chin jata ha
जवाब देंहटाएंbal vivah ghor apradh
जवाब देंहटाएंball vivah rokne ke iye hame apne kadam udhane chahiye
हटाएंनाम तो दिया हैं तुमने,
जवाब देंहटाएंइसको कन्यादान का|
और दान दे दिया ,
एक कन्या की जान का|
आप से निवेदन है,कि हमारी भी पोस्ट एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति कृपया होगी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं