अपने उर के स्पंदन को,
बस जीवन मैंने मान लिया|
अपने उर के क्रंदन को
गीतों का मैंने नाम दिया|
रुके साँस के साथ कलम भी
ऐसी अपनी इच्छा हैं |
पटाक्षेप ही जीवन नाटय का,
देगा हमको इसका उत्तर|
चली है उसकी अपनी मर्जी,
या मेरी इच्छा को मान लिया|
बस जीवन मैंने मान लिया|
अपने उर के क्रंदन को
गीतों का मैंने नाम दिया|
रुके साँस के साथ कलम भी
ऐसी अपनी इच्छा हैं |
पटाक्षेप ही जीवन नाटय का,
देगा हमको इसका उत्तर|
चली है उसकी अपनी मर्जी,
या मेरी इच्छा को मान लिया|
वाह ... रचना का आरम्भ अपने में अद्भुत है
जवाब देंहटाएंरुके साँस के साथ कलम भी
जवाब देंहटाएंऐसी अपनी इच्छा हैं |
हम सब की भी इच्छा आपकी इस इच्छा में शामिल है... शुभकामनायें...
अपने उर के स्पंदन को,
जवाब देंहटाएंबस जीवन मैंने मान लिया|....सुंदर पन्तियाँ बहुत अच्छी लगी ..
मेरी नई रचना,."जनता सबक सिखायेगी" में इंतजार है
बेहतरीन लाईनें.....
जवाब देंहटाएंजीवन को सही ढंग से परिभाषित किया है आपने।
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों का संगम....
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति..... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुंदरता से लिखे उद्दगार
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया गीत... अब इच्छा तो इंसान की ही पूरी होनी चाहिये.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरती से पिरोया है भावों को ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति........
जवाब देंहटाएंअपने उर के स्पंदन को,
जवाब देंहटाएंबस जीवन मैंने मान लिया|
अपने उर के क्रंदन को
गीतों का मैंने नाम दिया|
Behad sundar!
simply beautiful...
जवाब देंहटाएंu said a million of things in few lines.
very thoughtful post.
Loved it as ever !!
अपने उर के स्पंदन को,
जवाब देंहटाएंबस जीवन मैंने मान लिया|
सुंदर!
bahut achche......
जवाब देंहटाएंबहूत सुन्दर
जवाब देंहटाएंरुके साँस के साथ कलम भी
जवाब देंहटाएंऐसी अपनी इच्छा हैं |...बहुत सुन्दर इच्छा..
मेरी नई पोस्ट 'मेरी पहचान' में आप का स्वागत है..
बहत सुंदर..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकल 14/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, मसीहा बनने का संस्कार लिए ....
अति सुन्दर |
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं ||
dcgpthravikar.blogspot.com
achchi prstuti !
जवाब देंहटाएंabhaar!
रुके साँस के साथ कलम भी
जवाब देंहटाएंऐसी अपनी इच्छा हैं |...बहुत सुन्दर इच्छा
आप की कलम निरंतर चलती रहे
जवाब देंहटाएंऐसी हमारी इच्छा है ॥
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने ! यूँही आप लिखते रहिये !
जवाब देंहटाएंapne ur ke bhaavon ko bahut hi khoobsurti se bayaan kiya hai.umda prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंपटाक्षेप ही जीवन नाटय का,
जवाब देंहटाएंदेगा हमको इसका उत्तर|
चली है उसकी अपनी मर्जी,
या मेरी इच्छा को मान लिया.....वाह! क्या बात है, आप बहुत ही अच्छा लिखते है....आज पहली बार आप के ब्लॉग पर आने का अवसर मिला ,बहुत ही सरलता से बनाया ब्लॉग है, आप के माँ पिता की फोटो बहुत फब रही है यहाँ .....उम्दा कविता की बधाई स्वीकारें ....
बेहतरीन है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
पटाक्षेप ही जीवन नाटय का,
जवाब देंहटाएंदेगा हमको इसका उत्तर ... बहुत सुन्दर कविता !!
waah bahut khub
जवाब देंहटाएंThanx,aap mere blog ke samarthak haen.
जवाब देंहटाएंaap ki kavita sanshep men sab kah rahi hae.
अपनी दिल का कहा ही तो सही होता है और उसे ही मानना अच्छा है ... सुन्दर गीत है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर..
बहुत सुन्दर ...आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पंग्तियाँ ..आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, चिर काल तक लिखते रहें आप, ऐसी हमारी कामना है.
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