शनिवार, अक्तूबर 22, 2011

कल आज और सच्चाई .....





कल 

कल सरेआम लुटी  थी  एक अस्मत ,
जो काफ़ी थी इंसानियत के शर्मसार के लिए |

और तरस कर पथरा गयीं आँखें उसकी,
देखने को बस एक अदद मददगार के लिए |

आज 

कल जो तमाशायी भीड़ का हिस्सा  बने थे लोग ,
वह आज सुना रहें हैं सज़ा गुनहगार के लिए |

कुछ कलम के सिपहसालार भी खुश हो कर घूमते है, 
अच्छी ख़बर मिली है कल के अख़बार के लिए |

सियासत के एक हलके को मुद्दा भी मिल गया ,
कल वह मुश्किल खड़ी करेंगे सरकार के लिए |

कुछ मजलिस ए खवातीन भी सड़कों पे आ गए 
मौका मिला था उनको अपने इश्तहार के लिए |

जो मुफ़लिसी के दौर से गुजर रहा था आजकल ,
कुछ राहत सी मिल गयी थी उस थानेदार के लिए |


सच्चाई 

हाँलाकि यह हादसा सब को कुछ ना कुछ दे गया, 
और बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए | 




(चित्र गूगल के सौंजन्य से ) 

38 टिप्‍पणियां:

  1. har sher mukammal hai aur sahajta se gambhir baat...

    हाँलाकि यह हादसा सब को कुछ ना कुछ दे गया,
    और बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए |

    daad sweekaaren.

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  2. कल और आज की सच्चाई को खूबसूरती से बयाँ किया है आपने.

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  3. कुछ कलम के सिपाहसलार भी खुश हो कर घूमते है,
    अच्छी ख़बर मिली है कल के अख़बार के लिए |

    वाह, बहुत सुंदर ||

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  4. हर घटना के बाद सब के सब अपने फायदे की बातें तलाशते रहते हैं....
    बे‍हतर लेखन।
    आभार....

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  5. हाँलाकि यह हादसा सब को कुछ ना कुछ दे गया,
    और बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए |
    yahi nishkarsh hai

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  6. आज के समाज की कटु सच्चाई को बयान करती हुई एक सशक्त रचना !

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  7. कल और आज के सच को बखूबी उकेरा है।

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  8. आज के समय की सच्चाई दर्शाती कविता

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  9. आँखे तो पथराती ही है ..कलेजा भी फट जाता है ..ओह..!

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  10. वर्त्तमान समाज की दुर्दशा पर एक संवेदनशील रचना!!!

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  11. सशक्त रचना,लाजबाब पोस्ट,बधाई...
    दीपावली की शुभकामनाये.....

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  12. किस पंक्ति को कोट करूं किसे नहीं... हरेक पंक्ति अपने आप में बहुत कुछ कहने को बेताब हो जैसे... आज की कड़वी सच्चाई... और ये भी महसूस करने के लिए झकझोरती है... जिस पर जुल्म होता है वही समझता है.... बाकी सब अपने अफने लिए कुछ न कुछ ढूंढ लेंगे आपके ग़म में....

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  13. ह्रदय को चीरती हुई संवेदनशील रचना. रचना से भी ज्यादा संवेदनशील तस्वीर है देख पाने की हिम्मत नहीं है.

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  14. बहुत संवेदनशील रचना ..हकीकत को कहती हुई ... खुद्दार ही ज़ख्म पाते हैं ...

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  15. पता नहीं भविष्य की क्या भयानक स्थिति होगी॥

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  16. संवेदनाओं को झंकृत करती प्रस्तुति!

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  17. सच को बयान करती रचना।
    ----
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    कल 24/10/2011 को आपकी कोई पोस्ट!
    नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद

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  18. सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

    समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.

    प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

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  19. अब तो खुद्दारों में ही संवेदना बाकी है।
    सच्चाई यही है।
    बढि़या ग़ज़ल।

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  20. हाँलाकि यह हादसा सब को कुछ ना कुछ दे गया,
    और बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए |

    बेहद संजीदा !पर प्रेरणादायक !

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  21. आदरणीय महोदय
    बहुत बडी और महान सोच है आपकी

    दीवाली पर सचमुच बहुत महान विचार है

    सराहनीय है
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं!!

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  22. आज के दौर की हकीकत.
    को बयां करती कविता.
    दीपोत्सव की शुभकामनायें.

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  23. बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए |
    kya baat !!! kya baat !!! kya baat !!!

    http://www.poeticprakash.com/

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  24. हाँलाकि यह हादसा सब को कुछ ना कुछ दे गया,
    और बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए |
    .......बहुत संवेदनशील !!!

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  25. बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए |

    बहुत ही उम्दा शब्द संचयन! ब्जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है|

    दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
    जहां जहां भी अन्धेरा है, वहाँ प्रकाश फैले इसी आशा के साथ!
    chandankrpgcil.blogspot.com
    dilkejajbat.blogspot.com
    पर कभी आइयेगा| मार्गदर्शन की अपेक्षा है|

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  26. insan haivan bn gya hai.emotional ke bjay mechenical ho gya hai.good presentaion.
    happy diwali sunil ji.

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  27. बेटी बचाओ - दीवाली मनाओ.
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  28. बहुत बढ़िया रचना !
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
    सुनील जी ........

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  29. बहुत मार्मिक रचना जो आज के हालात पर टिप्पणी करती चलती है. बहुत खूब सुनील जी.
    आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  30. यह पोस्ट भी दिल की गहराई से निकली है।

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