आज मैं आपके सामने दीपावली की एक दन्त कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ | जो लक्ष्मी पूजन के समय सुनाई जाती है| किसी गाँव मैं एक गरीब लकड़हारा अपने सात पुत्रों के साथ रहता था सातों के सात पूरे निकम्मे कोई कार्य नहीं करते सिवाय खाने के ,इस बात को लेकर लकड़हारा काफ़ीचिंतित था | पत्नी की मृत्यू के बाद तो दरिद्रता ने अपना स्थायी निवास उसके घर कोही बना लिया था| गाँव के लोगों ने सलाह दी की तुम अपने बेटे का विवाह कर दो तो घर में लक्ष्मी आयेगी और तुम्हारे दिन बदल जायेंगे |
उसने उनकी बात मान कर अपने बेटे का विवाह उसी गाँव की कन्या से कर दिया विवाह के पश्चात् बहू ने घर का सारा काम जल्दी ही संभाल लिया और अपने सभी देवरों से कहा की आज के बाद तुम लोगों को कुछ ना कुछ काम अवश्य करना है और जो भी कमा के लाओगे वह मुझे दे देना | एक दिन उसका एक देवर आया और बोला " भाभी देखो हम क्या लायें हैं " देखा तो उसकी चप्पल में गोबर लगा हुआ था भाभी ने हंस कर
कहा अगर मेहनत से लाये हो तो संभाल कर रख दो |
अगले दिन दूसरा देवर आया और हंस कर बोला देखो भाभी हम क्या लाये हैं वह एक मरा हुआ सांप लाया था भाभी का वही उत्तर था संभाल कर रख दो |
एक दिन उसी राज्य के राजा की रानी जब स्नान कर रहीं थीं तो उनका नौलखा हार एक कौआ ले उड़ा राजा ने पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया जो कोई भी हार लाकर देगा उसे मुंह माँगा ईनाम दिया जायेगा | कुछ दिन के बाद जब नरक चौदस आया तो घर की सफाई की गयी देखा तो हार लकड़हारे की छत पर पड़ा हुआ है और मरा हुआ सांप वंहा से गायब है | यह देख कर लकड़हारा बहुत खुश हो गया और राजा के पास जाने लगा यह सोंचता हुआ कि वह मुंह मांगी दौलत मांग लेगा और बाकी जीवन आराम से बीत जायेगा |मगर उसकी बहु ने कहा जो मैं कहूँ वही मांगना | बहु ने राजा से कहा कि सारे गाँव की रुई दीया और तेल मुझे दिया जाये
क्योंकि राजा वचन दे चुके थे अत पालन करना भी आवश्यक था राजा ने तुरंत ही यह आदेश दे दिया कि पूरे गाँव का दीया तेल और रुई लकड़हारे के घर भेज दी जाये |
जिस तरह लकडहारे के दिन बहुरे उसी प्रकार सबके दिन बहुरे ...........
अब डाक्टर सरोजनी प्रीतम की एक क्षणिका ....
अपने सर पर
को लक्ष्मी का नाम देकर
अपने को एक
नयी संज्ञा दी
इस आशा के साथ आप पर भी गृहलक्ष्मी और लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई ....
उसने उनकी बात मान कर अपने बेटे का विवाह उसी गाँव की कन्या से कर दिया विवाह के पश्चात् बहू ने घर का सारा काम जल्दी ही संभाल लिया और अपने सभी देवरों से कहा की आज के बाद तुम लोगों को कुछ ना कुछ काम अवश्य करना है और जो भी कमा के लाओगे वह मुझे दे देना | एक दिन उसका एक देवर आया और बोला " भाभी देखो हम क्या लायें हैं " देखा तो उसकी चप्पल में गोबर लगा हुआ था भाभी ने हंस कर
कहा अगर मेहनत से लाये हो तो संभाल कर रख दो |
अगले दिन दूसरा देवर आया और हंस कर बोला देखो भाभी हम क्या लाये हैं वह एक मरा हुआ सांप लाया था भाभी का वही उत्तर था संभाल कर रख दो |
एक दिन उसी राज्य के राजा की रानी जब स्नान कर रहीं थीं तो उनका नौलखा हार एक कौआ ले उड़ा राजा ने पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया जो कोई भी हार लाकर देगा उसे मुंह माँगा ईनाम दिया जायेगा | कुछ दिन के बाद जब नरक चौदस आया तो घर की सफाई की गयी देखा तो हार लकड़हारे की छत पर पड़ा हुआ है और मरा हुआ सांप वंहा से गायब है | यह देख कर लकड़हारा बहुत खुश हो गया और राजा के पास जाने लगा यह सोंचता हुआ कि वह मुंह मांगी दौलत मांग लेगा और बाकी जीवन आराम से बीत जायेगा |मगर उसकी बहु ने कहा जो मैं कहूँ वही मांगना | बहु ने राजा से कहा कि सारे गाँव की रुई दीया और तेल मुझे दिया जाये
क्योंकि राजा वचन दे चुके थे अत पालन करना भी आवश्यक था राजा ने तुरंत ही यह आदेश दे दिया कि पूरे गाँव का दीया तेल और रुई लकड़हारे के घर भेज दी जाये |
अगले दिन जब दिवाली कि रात आयी तो पूरे गाँव में अँधेरा और लकड़हारे के घर रौशनी रात को जब दरिद्र ने देखा कि यंहा तो उसकी आँखें फूट रही हैं क्योंकि वह तो अंधरे का अभ्यस्त था इसलिए उसने जाने कि कोशिश कि तो दरवाजे पर बहू बैठी थी बोली जाना है तो सात पुश्तों के लिए जाओ दरिद्र ने परेशान हो कर उसकी शर्त मान ली और घर से निकल गया|
इसके बाद जब रात में लक्ष्मी निकली वह भी परेशान अंधरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा तब उन्हें लकडहारे का घर दिखाई दिया वह आयीं और बोली मुझे अन्दर आने दे मेरे पैर में कांटा चुभा जा रहा है| बहु ने वही कहा आना है तो सात पुश्तों के लिए आओ कोई विकल्प ना होने का कारण लक्ष्मी ने उसकी यह शर्त भी मान ली और उसके घर निवास करने लगीं |जिस तरह लकडहारे के दिन बहुरे उसी प्रकार सबके दिन बहुरे ...........
अब डाक्टर सरोजनी प्रीतम की एक क्षणिका ....
अपने सर पर
हमेशा सवार
रहने वाली पत्नी को लक्ष्मी का नाम देकर
अपने को एक
नयी संज्ञा दी
इस आशा के साथ आप पर भी गृहलक्ष्मी और लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई ....
शुभ दीपावली
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कहानी
पर्व की मंगलकामनायें!
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक मंगल कामनायें।
जवाब देंहटाएंबढिया कहानी।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीप पर्व की शुभकामनाएं......
तेज बहू की कहानी ..
जवाब देंहटाएंआपको भी दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं !!
badhiya...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंकल 26/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, दीपोत्सव की अनन्त शुभकामनाएं .
धन्यवाद!
बहुत ही अच्छी कहानी,सुंदर पोस्ट,
जवाब देंहटाएंदीपावली की मंगल कामनाए.......
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको और आपके समस्त परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंवाह ! कहानी तो बहुत भायी ही क्षणिका ने मुस्कानों की बौछार ही कर दी... शुभ दीपावली!
जवाब देंहटाएंदीपावली केशुभअवसर पर मेरी ओर से भी , कृपया , शुभकामनायें स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर दन्त कथा ...** दीप ऐसे जले कि तम से संग मन को भी प्रकाशित करे ***शुभ दीपावली **
जवाब देंहटाएंशुभदीपावली..
जवाब देंहटाएंइन दंतकथाओं को इसी प्रकार सुरक्षित रखा जा सकता है। बहुत बधाई दीपावली की, समस्त परिवार को। कथा कहनेवाले के घर भी उसी प्रकार प्रकाश और लक्ष्मी का वास हो॥
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें!
दीपावली की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कहानी!
जवाब देंहटाएंजिस तरह लकडहारे के दिन बहुरे उसी प्रकार आपके भी दिन बहुरे .....
इसी शुभ कामना के साथ आपको दीप पर्व दीपावली की शुभ कामनाएं !
दन्त कथा अच्छी लगी ... और डा० सरोजनी प्रीतम तो कमाल का ही लिखती हैं ... नयी संज्ञा बढ़िया लगी :):)
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसादर
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की हलचल आज (26/10/2011को) यहाँ भी है
आपकी अभिव्यक्ति सुन्दर ओर रोचक है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
सुनील जी,आपके व आपके समस्त परिवार के स्वास्थ्य, सुख समृद्धि की मंगलकामना करता हूँ.दीपावली के पावन पर्व की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
दुआ करता हूँ कि आपके सुन्दर सद लेखन से ब्लॉग जगत हमेशा हमेशा आलोकित रहे.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
आप पर भी गृहलक्ष्मी सहित माँ लक्षमी की स्थायी कृपा बनी रहे ।
जवाब देंहटाएंदीपपर्व की हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...
बहुत शिक्षाप्रद दन्त कथा,सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगलमय शुभकामनाएं !
SIR PRANAM,aap mere blog se jude apka abhar...
जवाब देंहटाएंgyanvardhak kahani.....
prakashparv ki bahut-bahut shubhkamnayen..
सुनील जी! बहुत ही अच्छी दन्त कथा.. दीप-पर्व आपके जीवन में प्रकाश लाये!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी दन्त कथा |दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंआशा
कहानी अच्छी लगी|
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएँ!
दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंदीपावली का आया है त्यौहार शब-ओ-रोज़
वाह क्या दन्त कथा hai ....
जवाब देंहटाएंक्या ऐसे चमत्कार सच्च में संभव हैं .....?
डॉ सरोजनी ki क्षणिकायें मेरे paas भी aayi हैं सरस्वती-सुमन के लिए ....
अच्छा लिखती हैं ....
भगवान करें सभी के दिन बहुरें
जवाब देंहटाएंदादी-नानी वाली कहानियों को याद कराने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
लक्ष्मी पति वाली अमृता प्रीतम जी की क्षणिका जबरदस्त है
दिवाली, भाई दूज और नव वर्ष की शुभकामनायें
SUNDAR PRASTUTI
जवाब देंहटाएंDEEPOTSAV SUBH HO .
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
जवाब देंहटाएंशानदार पोस्ट है।
जवाब देंहटाएंदंत कथा याद दिलाते रहने की जरूरत है।
दीप पर्व के शेष दिनो की ढेर सारी बधाई।
एक विस्मृत होती कथा का पुनः स्मरण कराने का आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कथा है ... विस्मृत हो चुकी थी यह कहा शुक्रिया याद कराने का ... आपको दिवाली की मंगल कामनाएं ...
जवाब देंहटाएंEnjoyed reading ur story
जवाब देंहटाएंHappy diwali to u n ur family !!!
बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएं