शुक्रवार, अक्तूबर 07, 2011

इसे मैं क्या कहूँ ?........





मैंने आज तक उसको, 
कभी  बेवफा कहा ही नहीं |
मगर वफ़ा की बात हो तो ,
उसका ज़िक्र भी अच्छा नहीं लगता |

ज़रूर उसकी बेवफायी भी
एक मज़बूरी रही होगी |
मेरे इस भरम का टूटना भी , 
मुझे कभी अच्छा नहीं लगता |

(चित्र गूगल के सौंजन्य से) 


40 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

    बहुत बहुत बधाई ||

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  2. मेरे इस भरम का टूटना भी ,
    मुझे कभी अच्छा नहीं लगता |
    सही कहा कभी कभी झूठा भ्रम भी बना रहे तो अच्छा लगता है |

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  3. बढिया प्रस्‍तुति।
    गजब के भाव।

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  4. मैंने आज तक उसको,
    कभी बेवफा कहा ही नहीं |
    मगर वफ़ा की बात हो तो ,
    उसका ज़िक्र भी अच्छा नहीं लगता |

    सुनील कुमार जी,
    जीवन में भ्रम टूट जाए तो बहुत ही अच्छा होता है। हम उधार की जिंदगी जीने से तो बच जाते हैं । सार्थक पोस्ट । मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।

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  5. शानदार प्रस्तुति मुझे ऐसा लगता है कि कुछ भ्रम बने रहें तो भी कोई बुराई नहीं है .... आभार

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  6. कुछ तो मजबूरियाँ रहीं होंगी, यूँ ही कोई वेवफा नहीं होता।

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  7. बस अच्छा ही अच्छा सोचना --इसी का नाम प्यार है ।
    सुन्दर रचना ।

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  8. उफ़्फ़ ये तो मोहब्बत की बातें हैं ,कुछ कहा भी न जाए और कहे बिन रहा भी न जाए

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  9. चार-चार पंक्तियों में सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...

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  10. Never read something as beautiful as this post on cheating...Beautiful beyond words!
    Saru

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  11. एक गाना के दो लाईन हैं -
    तुम किसी को ऐसे बेवफा न समझो
    आशिकी में बेबसी को तुम दगा न समझो..

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  12. मुझे तेरी वफ़ाओं का भरम होता तो अच्छा था:)

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  13. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  14. भ्रम बना रहे तभी तक अच्छा है, भ्रम में ही किसी को वफ़ा का अनुभव हो सकता है... वरना इस जहाँ में तो खुद का मन ही बेवफा होने में देर नहीं लगाता औरों का तो कहना ही क्या...

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  15. sahi kahaa bhram banaa rahe to hi achchha hai par is bhram ko toadane ki koshish me yahi bhram rahtaa hai ki mera bhram hoga..

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  16. ज़रूर उसकी बेवफायी भी
    एक मज़बूरी रही होगी |
    मेरे इस भरम का टूटना भी ,
    मुझे कभी अच्छा नहीं लगता |

    बहुत खूब ! बहुत सच कहा है, कई बार भ्रम बना रहे यही जीवन के लिये काफी होता है..बहुत सुन्दर

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  17. वाह, बहुत सुंदर रचना


    मैंने आज तक उसको,
    कभी बेवफा कहा ही नहीं |
    मगर वफ़ा की बात हो तो ,
    उसका ज़िक्र भी अच्छा नहीं लगता |

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  18. कोई मजबूरी ही रही होगी नहीं तो कोई यूं ही कोई बेवफा नहीं होता:)

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  19. ज़रूर उसकी बेवफायी भी
    एक मज़बूरी रही होगी......


    Dil ka tutna to kise bhi accha ni lagta...

    -- Mere Shabd

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  20. बफा के बाद ही बेवफाई हो सकती है

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  21. मेरे इस भरम का टूटना भी ,
    मुझे कभी अच्छा नहीं लगता ।

    हां, कुछ भरम जीवन को खुशनुमा बनाए रखते हैं।
    बढि़या कविता।

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  22. ज़रूर उसकी बेवफायी भी
    एक मज़बूरी रही होगी
    शानदार प्रस्तुती।

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  23. जब ज़िंदगी खुद ही एक भरम है तो इसमें कुछ भरम बने रहें वही अच्छा है!!

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  24. बहुत सुंदर रचना !
    जरुर उसकी बेवफायी
    एक मज़बूरी रही होंगी :)

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  25. ज़रूर उसकी बेवफायी भी
    एक मज़बूरी रही होगी |
    मेरे इस भरम का टूटना भी ,
    मुझे कभी अच्छा नहीं लगता .very nice...

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  26. यह तो कई रिश्तों की सच्चाई कह दी आपने.. सुन्दर!

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  27. भ्रम का बना रहना कभी कभी नितांत आवश्यक होता है जीने के लिए!
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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