आज सारा भारतवर्ष २६/११ के शहीदों को अपने अपने अंदाज
में श्रद्धांजलि दे रहा है | कुछ साईकिल चला कर , कुछ मोमबत्ती
जला कर ओर कुछ शांति मार्च निकाल कर | अब प्रश्न उठता है
इनमें से कितने लोग इन्हें कल याद रखेंगे इसका उत्तर मै आप पर
छोड़ता हूँ |क्या आपने कभी यह सोचा जिस परिवार का कोई
व्यक्ति शहीद होता है उस घर का क्या हाल होता है |
मै इस रचना के माध्यम से आपको एक शहीद के घर में लेके चलता हूँ |
बेटे के जब मौत का संदेशा घर में आया था |
तब बूढी माँ के आँखों में तो सागर उतर आया था |
कंधे पर खिलाया था जिसने अपने लाल को ,
अर्थी का तो वोझ भी उसी कंधें ने उठाया था |
अभी सुहाग कि सेज के तो फूल मुरझाये नहीं ,
और चूड़ियों के टूटने का समय वहाँ आया था |
भाई ओर बहन के करुण क्रंदन को देख कर ,
अपने किये पे तो काल भी पछताया था |
aur honi fut futker royi thi
जवाब देंहटाएंपहले शेर में मां दूसरे में पिता तीसरे में पत्नि और चौथ्ेामें भाई बहिन । आपने सही प्रश्न उठाया है कि इन्हे कितने लोग कल याद रखेंगे ? लेकिन सुनील जी वक्त का मरहम धीरे धीरे घाव भरदेता है वाकी जो बातें आपने लिखी है वे वाकई एक विचारणीय प्रश्न उत्पन्न करती है
जवाब देंहटाएंइतनी दुख भरी कविता , मन भर आया , जीवन की कडवी सच्चाई से वाकिफ करा दिया आपने
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली, बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
4/10
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना-सार
एक सैनिक सब कुछ भूलकर/त्यागकर अपने कर्त्तव्य-पथ पर शहीद हो जाता है. उसका त्याग देशवासियों पर कर्ज की मानिंद है.
हर पंक्ति भावपूर्ण है..... सच शहीदों के परिवार के लोगों का तो जीवन ही बदल जाता है..... इन वीर सपूतों को नमन ...आभार इस हृदयस्पर्शी रचना के लिए....
जवाब देंहटाएंशहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंजिस तन लागे वो तन जाने। मार्मिक अभिव्यक्ति। शहीदों को नमन।
जवाब देंहटाएंविनत श्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंनेटकास्टिंग:प्रयोग
लाईव-नेटकास्टिंग
Editorials
poora desh aur aanewali peedhiyan amar shahidon ki rini rahengi.
जवाब देंहटाएंkoti-koti naman....
ashrupoorit hriday se shraddhanjali...
amar shahidon ke naam !
बेटे के जब मौत का संदेशा घर में आया था |
जवाब देंहटाएंतब बूढी माँ के आँखों में तो सागर उतर आया था |
कंधे पर खिलाया था जिसने अपने लाल को ,
अर्थी का तो वोझ भी उसी कंधें ने उठाया था
bahut सुन्दर ,क्या करे कभी कभार तो लगता है की शायद इस देश की रक्षा के लिए बलिदान का संकल्प सिर्फ कुछ ही परिवारों ने लिया रहता है ! बाकी तो हरामखोर लूटने पर लगे है देश को !
कंधे पर खिलाया था जिसने अपने लाल को ,
जवाब देंहटाएंअर्थी का तो वोझ भी उसी कंधें ने उठाया था |
... bhaavpoorn va maarmik abhivyakti !!!
shahidon ko bhav bhari shradhanjali
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंbahut hi maarmik ...// we will respect the father.mother of our freedom fighters...
जवाब देंहटाएंthanks to u for visiting my blog....
परिवार के दर्द और गर्व में अंतर करना कठिन हो जाता है.
जवाब देंहटाएंमार्मिक !
जवाब देंहटाएंफोटो छोटी करें ! पेज लोड होने में बहुत समय लगता है !
सुनील जी ....आपकी ये पंक्तियाँ दिल को छू गई. मेरी भावनाएँ भी शहीदों के परिजनों के साथ हैं.
जवाब देंहटाएंसुनील जी बहुत ही भावपूर्ण मन को छूने वाली कविता ।
जवाब देंहटाएंdil ko chhu gai apki rachna...........
जवाब देंहटाएंमैंने ये मंज़र देखा था... आपकी इस कविता न सबकुछ आँखों के सामने ले आ दिया...
जवाब देंहटाएंशहीदों की शहादत को देश का नमन।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण हृदयस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंek bahut hi marm-sparshi rachna .dil bhar aaya.
जवाब देंहटाएंaapka prashn bilkul sateek hai.log aapni-apni tarah se shaheedo ko shrddhanjali arpit karte hain,par jin par gujari vo kya karen.
bahut hi samvedan sheel post.
poonam
मार्मिक...हृदय को उद्वेलित करने वाली रचना।...मन द्रवित हो गया।
जवाब देंहटाएंमन अशांत हो उठा है. मौन ही रहूंगी
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! दिल को छू गयी!
जवाब देंहटाएंभावमय करते हुये शब्द ...बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंsach kaha aapne kal kaun yaad rakhega shaheedon ko .ek shaheed kisi maa ka beta ,kisi baap ke budape ki laathhi ,kisi ki mang ka sindoor ,kisi bhai bahan ka dil ka tukda hota hai .sara parivar bikhar kar rah jata hai .bahut hi man ko hila dene vali abhivyakti hai aapki rachna .shayad ek kavi ka kartavy bhi yahi hai ki vo samaj ke samaksh aisi baat rakhe jo use aaina dikha sake .
जवाब देंहटाएंयही तो दुर्भाग्य है की जहाँ हम शहीदों को बहुत जल्द भूल जाते है वहीं हम हीरो- हिरोइन और घूसखोर नेताओं को सर पे बिठा कर रखते है. शहीदों के लिए बने आदर्श सोसाइटी को भी हमारे नेता लोग आपस में बन्दर -बाट कर लेते है.बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति. शहीदों को नमन.
जवाब देंहटाएंmaarmik chitran...
जवाब देंहटाएंbehad marmik chitran pesh kiya hai aapne...
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंदेश के शहीदों को नमन !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
bhaavpoorn abhivyakti
जवाब देंहटाएंमार्मिक और भावपूर्ण प्रस्तुति..आभार
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली, बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ............
सुनील जी,
जवाब देंहटाएंनमस्ते!
१. मार्मिक रचना.
२. भूल जायेंगे.
आशीष
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नौकरी इज़ नौकरी!
आशीष जी नमस्कार
जवाब देंहटाएं१ धन्यवाद
२ सही जवाब
सुनील जी आपके बारे में , आपके विचार पढ कर अच्छा लगा । स्वार्थ से परे , देश के लिये अपने कर्तव्य के लिये मर-मिटने वालों के लिये जो लिखा है प्रेरक है । सच तो यह है कि उन जांबाज शहीदों के केवल गीत गाना ही नही ,उनके जज्बात को अपने जीवन में उतार लेना भी आवश्यक है । उनके प्रति यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंAchhi rachna Sunil ji.
जवाब देंहटाएंthanks for coming on my blog....
जवाब देंहटाएंaapki rachna shaandar hai...
sab log kal shahido ko bhool jate hain..
शिद्दत से महसूस किया है आपने और उसी तरह महसूस कराया भी है.
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