माना कि ज़िंदगी की दौड़ में हम सबसे पीछे रह गए | बदल लेते अगर, रास्ता अपना तो हम भी बहुत दूर निकल जाते ....
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यही तो अफ़सोस है, लोग किसी की सादगी को उसके पिछड़ेपन का नाम दे देते हैं, जबकि दरअसल वो शख्स बेहद विनम्र और शान्ति प्रिय होता है। चुपचाप देखता है लोगों के बीच आगे बढ़ने की जद्दोजहद ।
सशक्त अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में काम की बात!
जवाब देंहटाएंयही तो है आपकी विशेषता!
तो ऐ आफ़ताब कुछ लोग तो ,
जवाब देंहटाएंतुझको भी ज़िन्दा निगल जाते |
Behad sashakt rachana hai!
वाह बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना . बधाई
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंSHANDAR RACHNA
गज़ब कर दिया चंद शब्दो मे ही…………बेहतरीन्।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में गहरी बात .बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबिना लाग लपेट कम शब्दों में सीधी और सच्ची बात
जवाब देंहटाएंसरल सहज शब्दो मे गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
गागर मे सागर भर दिया। बहुत सुन्दर भाव। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसुनील जी... बहुत ही उम्दा लिखा है आपने .
जवाब देंहटाएंआपको बधाई ..
सीधी बात!
जवाब देंहटाएंउम्दा!
आशीष
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पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
बहुत कम शब्दों में जीवन की सचाई को अभिव्यक्त कर दिया आपने ..मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद ..ऐसे ही उत्साहवर्धन करते रहें
जवाब देंहटाएंमाना कि ज़िंदगी की दौड़ में
जवाब देंहटाएंहम सबसे पीछे रह गए |
बदल लेते अगर, रास्ता अपना
तो हम भी बहुत दूर निकल जाते ....
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यही तो अफ़सोस है, लोग किसी की सादगी को उसके पिछड़ेपन का नाम दे देते हैं, जबकि दरअसल वो शख्स बेहद विनम्र और शान्ति प्रिय होता है। चुपचाप देखता है लोगों के बीच आगे बढ़ने की जद्दोजहद ।
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sunder likhe hain.
जवाब देंहटाएंसही है भैया । वो तो रौशनी की जरुरत है इसलिये बचा हुआ है बेचारा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर.... चंद पंक्तियों में इतनी अर्थपूर्ण बात समेटी..... खूब
जवाब देंहटाएंkya kahane..........ati sundar
जवाब देंहटाएंअच्छा किया आपने जो रास्ता बदला नही
जवाब देंहटाएंआप अपने बनाये रास्तों पर ही चले
दुनिया जरूर एक दिन आपके कदमो के निशान पर चलेगी
चंद पंक्तियों में अर्थपूर्ण रचना..... आभार.
जवाब देंहटाएंसही नब्ज़ पकड़ी है आपने इस मतलबी समाज की... वाह..
जवाब देंहटाएंब्लॉगजगत में नया आया हूँ, आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है|
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