जितने भी तुम दीप जलालो
मैं नहीं कहूँगा इसे दीवाली |
जब रावण नित सीता को हरता
राम खोज में वन वन फिरता
सुग्रीव ना जाने कहाँ खो गया,
अब तो बस मिलते बाली |
जितने भी तुम दीप जलालो
मैं नहीं कहूँगा इसे दीवाली |
आज छाया है घनघोर अँधेरा
और तेज चल रही नफ़रत की आँधी
क्या मै आस करूं उस दीपक से
जिसकी गोद पड़ी हो खाली
जितने भी तुम दीप जलालो |
मैं नहीं कहूँगा इसे दीवाली
हाँ जब कोई आँसू ना छलके
और खुशियाँ चेहरे पर झलके |
जब सबको अपना हक़ मिल जाये
और कोई पेट ना हो खाली |
तब तुम बस एक दीप जलाना
तब उसे कहूँगा मैं दीवाली |
चित्र गूगल के सौजन्य से
सच में स्थिति बदतर है,
जवाब देंहटाएंसीता रावण के घर है।
सुन्दर भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंदिवाली की शुभकामनायें ।
बेहद ही खुबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
आपको और आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
सही स्थिति का वर्णन कर दिया है ...अच्छी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहकीकत तो यही है.... बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.... आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंजब रावण नित सीता को हरता
जवाब देंहटाएंराम खोज में वन वन फिरता
सुग्रीव ना जाने कहाँ खो गया,
अब तो बस मिलते बाली |
जितने भी तुम दीप जलालो
मैं नहीं कहूँगा इसे दीवाली ....
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बहुत सही बात लिखी आपने। बिलकुल अकाट्य ! ऐसी स्थिति में इसे दिवाली कैसे कहा जाए !
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4.5/10
जवाब देंहटाएंरचना बस ठीक ठाक है
मौलिकता नहीं है
हाँ,,, ख़ास बात
आपकी वाली दीवाली कभी नहीं आएगी
जब तक मन का अन्धेरा दूर नही होता तब तक दिवाली कैसी। सुन्दर कविता। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंजब तक मन का अन्धेरा दूर नही होता तब तक दिवाली कैसी। सुन्दर कविता। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहाँ जब कोई आँसू ना छलके
जवाब देंहटाएंऔर खुशियाँ चेहरे पर झलके |
जब सबको अपना हक़ मिल जाये
और कोई पेट ना हो खाली |
तब तुम बस एक दीप जलाना
तब उसे कहूँगा मैं दीवाली |
बहुत सुंदर भाव .....
उस दिन का इन्तजार रहेगा ....!!
इसी तरह आप से बात करूंगा
जवाब देंहटाएंमुलाक़ात आप से जरूर करूंगा
आप
मेरे परिवार के सदस्य
लगते हैं
अब लगता नहीं कभी
मिले नहीं है
आपने भरपूर स्नेह और
सम्मान दिया
हृदय को मेरे झकझोर दिया
दीपावली को यादगार बना दिया
लेखन वर्ष की पहली दीवाली को
बिना दीयों के रोशन कर दिया
बिना पटाखों के दिल में
धमाका कर दिया
ऐसी दीपावली सब की हो
घर परिवार में अमन हो
निरंतर दुआ यही करूंगा
अब वर्ष दर वर्ष जरिये कलम
मुलाक़ात करूंगा
इसी तरह आप से
बात करूंगा
मुलाक़ात आप से
जरूर करूंगा
01-11-2010
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
जवाब देंहटाएंहरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
bhav to bahut sunder hai par aisa hota nahi yehi vidmbna hai..........
जवाब देंहटाएं... shubh diwaali !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता....दीये की रौशनी, रंगोली की बहार, पटाखों की धूम और खुशियों की बहार , मुबारक हो आपको दीवाली का त्यौहा
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब , शानदार दीवाली की कल्पना काश ऐसा हकीकत में भी होता ...चलो खेर इन्तजार करते हैं ,शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव लिए बढ़िया कविता ...
जवाब देंहटाएंbahut hi achhee bhaavnayen abhivyakt ki hain ..aap ne jaisee diwali ki kaamna kee hai ....asha hai wah jaldi aaye.
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi kavita hai,
जवाब देंहटाएंwww.vkkaushik1.blogspot.com
vk
bahut sunder..............
जवाब देंहटाएंhar din rawan seeta ko har raha hai aur ram use van van khoj rahe hai to kaisi diwali...
हाँ जब कोई आँसू ना छलके
जवाब देंहटाएंऔर खुशियाँ चेहरे पर झलके |
जब सबको अपना हक़ मिल जाये
और कोई पेट ना हो खाली |
तब तुम बस एक दीप जलाना
तब उसे कहूँगा मैं दीवाली |
बहुत ही उच्च विचार . कब होगी ऐसी दिवाली
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं !