बुधवार, सितंबर 29, 2010

जीवन का गणित

जब मै जीवन के
जोड़, घटाने
और गुणा, भाग के
प्रश्नों को ,
हल नहीं कर पाता हूँ |
तब मै ,
मृत्यु के प्रश्न ,
पर आता हूँ |
तो  जीवन के दर्द को
हासिल की तरह
पहले से ही  वहाँ पाता हूँ |
जीवन के इस गणित में
जीवन और  मृत्यु में
दर्द का अनुपात
 मै समान ही पाता हूँ |

27 टिप्‍पणियां:

  1. आपका लेख चोरी हो गया है ....
    यहाँ देखे ...
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/09/blog-post_4132.html

    जवाब देंहटाएं
  2. ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  3. जीवन के इस गणित में
    जीवन और मृत्यु में
    दर्द का अनुपात
    मै समान ही पाता हूँ |
    Bahut,bahut sundar!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो सराहनीय है! बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  5. गणितीय भाषा में दर्शन के गूढ़ प्रश्न सुलझा गये।

    जवाब देंहटाएं
  6. तब मै ,
    मृत्यु के प्रश्न ,
    पर आता हूँ |
    तो जीवन के दर्द को
    हासिल की तरह
    पहले से ही वहाँ पाता हूँ |

    जीवन की सच्चाइयों का गणित, बहुत खूब !

    जवाब देंहटाएं
  7. ek satyata liye hue yatharth-parak avam bahut hi bhavpurn rachna. sach much ye jidgi ki ganit bhi badi ajeeb hai kabhi to yun chutkiyon me hai ho jaati hai aur kabhi kabhi aisa fansa deti hai ki aadmi jivan bhar use suljhane me hi laga rah jaata hai.bahut hi badhiya prastuti.
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  8. जीवन और मृत्यु में
    दर्द का अनुपात
    मैं समान ही पाता हूं

    जीवन के गणित का अच्छा उदाहरण।

    जवाब देंहटाएं
  9. जीवन के अनसुलझे गणित को आपने बहुत ही संजीदगी से प्रस्तुत किया है. बहुत सुन्दर रचना..... मन के गहन भाव को दर्शाती है ये रचना....

    जवाब देंहटाएं
  10. sarahneey prastuti............dard ka hisil ....wah kya baat hai.......

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर कलात्मक अभिव्यक्ति .. कविता में सादगी का विलक्षण सौंदर्य खिला है

    जवाब देंहटाएं
  12. गणित में तो हम भी कमजोर थे सुनील जी .....
    शायद दर्द इधर भी पैर जमा गया .....
    सुंदर भावों को पिरोया है आपने ....!!

    जवाब देंहटाएं
  13. जीवन के इस गणित में
    जीवन और मृत्यु में
    दर्द का अनुपात
    मै समान ही पाता हूँ |
    bahut sundar bhav lage .man ko bha gayi kavita .

    जवाब देंहटाएं
  14. मृत्यु सत्य, जीवन मिथ्या!
    विलक्षण रचना!
    आशीष

    जवाब देंहटाएं
  15. आपने बहुत गहरी बात अपनी
    छोटी सी रचना के माध्यम से कह दी .
    आभार .....

    जवाब देंहटाएं
  16. ye jeevan ka sach hai ham sab jitni jldi seekh our smjh le utna hi ham sbke liye achchha hai .bhut umda post .

    जवाब देंहटाएं
  17. 6.5/10

    एक उत्कृष्ट और मौलिक कविता
    जीवन की विडम्बना और वेदना की विलक्षण अभिव्यक्ति
    कविता समाप्त होते ही पाठक के मन में अकथनीय अनुभूति होती है.

    जवाब देंहटाएं