शुक्रवार, अक्तूबर 08, 2010
एक हास्य कविता , शिव का धनुष
इंस्पेक्टर आफ स्कूल ने पूछा,
बच्चों यदि तुम्हें अपनी संस्कृति का ज्ञान है
तब यह प्रश्न बहुत ही आसान है |
सीधा सा प्रश्न है ना तोड़ा ना मरोड़ा है
यह बताओ शिव का धनुष किसने तोड़ा है
सामने बैठे बच्चे ने उत्तर दिया
अपने यह आरोप लगाकर मुझे कहीं का नहीं छोड़ा है
सत्य तो यह है शिव का धनुष मैंने नहीं तोड़ा है |
तभी पास खड़ा हिन्दी का अध्यापक सामने आता है |
और वह भी उसको निर्दोष बताता है |
मानता हूँ की यह बच्चा बहुत शैतान है ,
मग़र धनुष का तोड़ना इसका नहीं काम है |
उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया
इंस्पेक्टर सीधा प्रिंसिपल के रूम में घुस गया |
प्रिंसिपल ने प्यार से बिठाया और समझाया
खेल में तो बड़े बड़े रिकार्ड टूट जाते है ,
एक आप है जो एक धनुष के टूटने पे चिल्लाते है |
इसका उत्तर हम आपको अभी बताते है ,
अपने क्रीडा अध्यापक को अभी बुलाते है |
तभी एक व्यक्ति अंदर आता है |
अपनी उखड़ी हुई साँसों को लाइन से लगाता ,
और अपने को पी टी आइ बताता है |
उसका उत्तर था श्रीमान जी धनुष विद्या तो हमारे कोर्स में भी नहीं था |
और दावे से कहता हूँ की एक भी धनुष हमारे स्टोर्स में भी नही था |
इंस्पेक्टर सीधा शिक्षा मंत्री के पास गया
अपनी समस्या से अवगत कराया |
मंत्री जी बोले आप यह बात किसी को नहीं बताएँगे|
नहीं तो विरोधी दल ,चुनाव में इसको मुद्दा बनायेंगे |
हाँ अब अपनी संस्कृति का अपमान
अब और नहीं सह पाएंगे
जल्दी ही हर स्कूल में दो दो धनुष भिजवायेगे |
कल ही हम एक फाइल वित्त मंत्री को भिजवाएंगे
अगर आप कहें तो दो चार परसेंट कमीशन आपको दिलवा देंगे |
फाइल वित्त मंत्री के पास गयी
कुछ टिप्पणी के साथ वापस आयी
कृपया धनुष कि अनुमानित लागत बताएं |
और कृपया तीन कुटेशनभी भिजवाये
और साथ में तीन प्रश्नों का उत्तर बताएं
धनुष टूटा तो कब ,कहाँ और क्यों
यह देख कर इंस्पेक्टर ज़ोर से चिल्लाया |
और अपने आप पर झल्लाया
आखिर मैंने यह प्रश्न पूछा क्यों .........
(यह प्रसंग पूर्णतया काल्पनिक है मग़र इसके चरित्र हमारे समाज में है )
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सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।
वाह मजेदार कविता !
जवाब देंहटाएंनवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुबकामनाएं !
वर दे, वर दे, हे माँ दुर्गे
...बहुत बढिया ... रोचक अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंबहुत सच कहा है।
जवाब देंहटाएंMaza aagaya padke :)
जवाब देंहटाएंAccha vyang hai. Likhte rahiye aise hi.
Humare blog par aapni tippadi karke mera hausala badane ke liye dhanyawad.
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi kavita hai
जवाब देंहटाएंbadhaye
or mere blog par aane ko dhanvad
kripya aage bhi margdaran karte rahe
or blog follow kar mera hosla badaye
dhanyvad
कल बाहर था इसलिए इस पोस्ट को नही देख सका!
जवाब देंहटाएं--
आपने बहुत ही उम्दा रचना लिखी है!
--
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
--
जय माता जी की!
बहुत बढ़िया व्यंग्य। भले ही काल्पनिक कहा हो आपने, लेकिन मुमकिन है ऐसा हुआ हो।
जवाब देंहटाएं"धनुष टूटा तो कब ,कहाँ और क्यों"-- ab jra aap hi bta deejiye .. achha vyngy !
जवाब देंहटाएंअपकी यह पोस्ट अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंतीन गो बुरबक! (थ्री इडियट्स!)-2 पर टिप्पणी के लिए आभार!
बहुत बढ़िया व्यंग्य! सुन्दर प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंया देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
बहुत सही कहा आपने इसके चरित्र हमारे आस-पास ही बिखरे पड़े हैं। सटीक व्यंग्य!
जवाब देंहटाएंउफ़ उफ़ उफ़. ये तो हद हो गयी
जवाब देंहटाएंइंस्पेक्टर की बात सही हो गयी
क्यों कर उसने पूछा ये सवाल
क्या नहीं था पता उसे
हमारे स्स्कूलो का हाल .
bahut acchha ... aap ki agya ho to main ye file PM office bhijwa deta hoon... dekhte hain kya javab aata hai...hahahhhhhhhhhhh
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