मुझे अच्छा नहीं लगता
खड़ी हो अगर दीवार आँगन में
बस किसी तरह मै बर्दाश्त करता हूँ |
मग़र दिलों के बीच दीवार का होना ,
ना जाने क्यों, मुझे अच्छा नहीं लगता |
लबों पे सजी रहें हमेशा मुस्कराहटें ,
यह दुआ मैंने ख़ुदा से माँगी है |
मग़र किसी की बदहाल हालत पर ,
उसका मुस्कराना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
हर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए
यह है सबको मशविरा मेरा ,
मग़र किसी के अहसानों को ,
भूल जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
हर शेर में अल्फ़ाज की बंदिश भी हो |
और ख्याल की नजाकत भी
फिर भी गज़ल का नाकामयाब ,
हो जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
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bahut sundar rachna...
जवाब देंहटाएंयही तो मुझे अच्छा नही लगता .एक अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंमग़र दिलों के बीच दीवार का होना ,
जवाब देंहटाएंना जाने क्यों, मुझे अच्छा नहीं लगता |
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यही स्वर सभी के हैं मगर फिर भी दीवार खड़ी हो जाती है!
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दिलों के मैल हटाने की जरूरत है!
हर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए
जवाब देंहटाएंयह है सबको मशविरा मेरा ,
मग़र किसी के अहसानों को ,
भूल जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
Bahut,bahut sundar!
आपके द्वारा कई चीजों का अच्छा नहीं लगना मुझे अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंहमें तो रचना अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंसुनील जी.... मुझे आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी ..
जवाब देंहटाएंआभार ...
अच्छी रचना ....!!
जवाब देंहटाएं4.5/10
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेखन
ग़ज़ल जुबान पर तो नहीं चढ़ती लेकिन अन्दर के भाव अच्छे लगे
इन बातों का अच्छा लगना भी नहीं चाहिए ...!
जवाब देंहटाएंहर शेर में अल्फ़ाज की बंदिश भी हो |
जवाब देंहटाएंऔर ख्याल की नजाकत भी
फिर भी गज़ल का नाकामयाब ,
हो जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
waah ! kya baat !
.
... bahut sundar ... behatreen !!!
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील ह्रदय को यह सब अच्छा लग भी कैसे सकता है...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण बहुत ही सुन्दर इस रचना के लिए आपका आभार
bhut sidhi sadhi bhasha me is trh ki abhivykti rchna ko our bhi prbhavshali bna deti hai .sach agr khi aisa ho jaye ki na koi ahsanframosh ho our nahi khi koi gazal nakamyab ho to vo jhan kitna khoobsoorat hoga .
जवाब देंहटाएंaap mere blog pr aaye ,bhut bhut shukriya .
bahut sundar likha gaya hai .........
जवाब देंहटाएंहर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए
जवाब देंहटाएंयह है सबको मशविरा मेरा ,
मग़र किसी के अहसानों को ,
भूल जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
बहुत खूब रचना दिल को छू गयी। शायद पहली बार आपका ब्लाग देखा है। बहुत अच्छा लगा। बधाई।
bahut hi sunder
जवाब देंहटाएंdil ko chu gye
हर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए
जवाब देंहटाएंयह है सबको मशविरा मेरा ,
मग़र किसी के अहसानों को ,
भूल जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
आपकी रचना के भाव अच्छे लगे !
इतनी अच्छी ग़ज़ल है जरा दिल में उतर जाने तो दो
जवाब देंहटाएंइससे पहले कुछ भी कहना अच्छा नहीं लगता
फिर भी गज़ल का नाकामयाब ,
जवाब देंहटाएंहो जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
बहुत खूब, सुन्दर रचना.
आभार
किसी के अहसानों को भूल जान मुझे अच्छा नहीं लगता।
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत अभिव्यक्ति , मुबारक बाद।