बुधवार, अक्तूबर 20, 2010

मुझे अच्छा नहीं लगता



खड़ी हो अगर  दीवार  आँगन में
बस किसी तरह मै बर्दाश्त  करता हूँ |
मग़र दिलों के बीच दीवार  का होना ,
ना जाने क्यों, मुझे  अच्छा नहीं लगता  |


लबों पे सजी रहें हमेशा मुस्कराहटें ,
यह दुआ मैंने ख़ुदा से माँगी है |
मग़र किसी की बदहाल हालत पर ,
उसका  मुस्कराना, मुझे अच्छा नहीं लगता |


हर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए  
 यह है सबको मशविरा मेरा ,
मग़र किसी के अहसानों को ,
भूल  जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |


 हर शेर में अल्फ़ाज की बंदिश भी हो |
और ख्याल की नजाकत भी 
फिर भी गज़ल  का नाकामयाब ,
हो जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |




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21 टिप्‍पणियां:

  1. यही तो मुझे अच्छा नही लगता .एक अच्छी रचना

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  2. मग़र दिलों के बीच दीवार का होना ,
    ना जाने क्यों, मुझे अच्छा नहीं लगता |
    --
    यही स्वर सभी के हैं मगर फिर भी दीवार खड़ी हो जाती है!
    --
    दिलों के मैल हटाने की जरूरत है!

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  3. हर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए
    यह है सबको मशविरा मेरा ,
    मग़र किसी के अहसानों को ,
    भूल जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |

    Bahut,bahut sundar!

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  4. आपके द्वारा कई चीजों का अच्छा नहीं लगना मुझे अच्छा लगा।

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  5. सुनील जी.... मुझे आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी ..
    आभार ...

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  6. 4.5/10

    सुन्दर लेखन
    ग़ज़ल जुबान पर तो नहीं चढ़ती लेकिन अन्दर के भाव अच्छे लगे

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  7. इन बातों का अच्छा लगना भी नहीं चाहिए ...!

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  8. हर शेर में अल्फ़ाज की बंदिश भी हो |
    और ख्याल की नजाकत भी
    फिर भी गज़ल का नाकामयाब ,
    हो जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |

    waah ! kya baat !

    .

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  9. संवेदनशील ह्रदय को यह सब अच्छा लग भी कैसे सकता है...

    भावपूर्ण बहुत ही सुन्दर इस रचना के लिए आपका आभार

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  10. bhut sidhi sadhi bhasha me is trh ki abhivykti rchna ko our bhi prbhavshali bna deti hai .sach agr khi aisa ho jaye ki na koi ahsanframosh ho our nahi khi koi gazal nakamyab ho to vo jhan kitna khoobsoorat hoga .
    aap mere blog pr aaye ,bhut bhut shukriya .

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  11. हर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए
    यह है सबको मशविरा मेरा ,
    मग़र किसी के अहसानों को ,
    भूल जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |

    बहुत खूब रचना दिल को छू गयी। शायद पहली बार आपका ब्लाग देखा है। बहुत अच्छा लगा। बधाई।

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  12. हर पुरानी बात को भूल जाना चाहिए
    यह है सबको मशविरा मेरा ,
    मग़र किसी के अहसानों को ,
    भूल जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |


    आपकी रचना के भाव अच्छे लगे !

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  13. इतनी अच्छी ग़ज़ल है जरा दिल में उतर जाने तो दो
    इससे पहले कुछ भी कहना अच्छा नहीं लगता

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  14. फिर भी गज़ल का नाकामयाब ,
    हो जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता |
    बहुत खूब, सुन्दर रचना.
    आभार

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  15. किसी के अहसानों को भूल जान मुझे अच्छा नहीं लगता।

    ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति , मुबारक बाद।

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