ज़िंदगी और रोटी
दूध के दाँत जल्दी टूटने का,
एक कारण सूखी रोटियां भी थी |
बचपन बीतने का अहसास तब हुआ
जब मैं रोटी कि तलाश को निकला |
जवानी एक रोटी से दूसरी रोटी के,
सफ़र को तय करने में गुज़र गयी ,
और आज बुढ़ापा जली बासी रोटी कि तरह,
कचरे के डिब्बे का इंतजार कर रहा है |
(पुनः सम्पादित रचना)
बहुत खूब , कम शब्दों में आपने इतना कुछ कह डाला ,,जीतनी तारीफ़ करो , कम ही होगी ,,,लाजवाब
जवाब देंहटाएंजितना गाओ घिंसता जाये जीवन का धुंधला संगीत।
दोमट पर पहली छिड़कन से !
मार्मिक सम्बन्ध।
जवाब देंहटाएंvery nice poem bhai badhai
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita bhai badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना, सचमुच हमारी आबादी का १ बहुत बड़ा हिस्सा अपनी जिन्दगी का १ बड़ा हिस्सा केवल रोटी के इन्तज़ाम मे ही बिता देता है, अन्त मे सच यह मिलता है कि "जब दात तब चना नही जब चना तब दात नही"
जवाब देंहटाएंVery good expression
जवाब देंहटाएंKya baat hai sir ji......bahut hi gahri baat kah di hai aapne.....
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की सच्चाई को बहुत ही सुन्दर रूप से आपने शब्दों में पिरोया है! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना,
जवाब देंहटाएंsudar rachana
जवाब देंहटाएंBadhai
अबूझ जिंदिगी की बेमिसाल परिभाषा
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई इस अथक प्रयास और अनुभूति की
चन्द्र मोहन गुप्त
आदरणीय सुनील कुमार जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
जवानी
एक रोटी से दूसरी रोटी के सफ़र को
तय करने में गुज़र गयी
बहुत संवेदनशील रचना के लिए आभार
बधाई की परिधि से बहुत आगे … बहुत उच्च कोटि की रचना …
शब्द नहीं भाव महत्वपूर्ण हैं …
साधु …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जवानी एक रोटी से दूसरी रोटी के,
जवाब देंहटाएंसफ़र को तय करने में गुज़र गयी ,
और आज बुढ़ापा जली बासी रोटी कि तरह,
कचरे के डिब्बे का इंतजार कर रहा है |
बहुत गहरे अहसास !
sorry, bhoolbas yah tippani aapkee doosree post par kardee thee
जवानी एक रोटी से दूसरी रोटी के,
जवाब देंहटाएंसफ़र को तय करने में गुज़र गयी ,
और आज बुढ़ापा जली बासी रोटी कि तरह,
कचरे के डिब्बे का इंतजार कर रहा है
सुंदर और शुद्ध भाव!
दूध के दाँत जल्दी टूटने का,
जवाब देंहटाएंएक कारण सूखी रोटियां भी थी |
बहुत ही गंभीर और मार्मिक रचना के लिए बधाई
sunder rachna hai.....
जवाब देंहटाएंjawani ki nihaayat hi sachchi aur saral paribhasha....
जवाब देंहटाएंvery nice sunil ji...superb use of emotions in lines..keep going
jeevan ka path bahut ghumav liye chalta hai. aapne iske har pahlu ko samjha hai
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