जब दवा बेअसर हो जाती है तब दुआओं का असर होता हैं |
सताना गरीब को छोड़ो , बददुआओं का भी असर होता हैं|
सताना गरीब को छोड़ो , बददुआओं का भी असर होता हैं|
और ग़र आ रही हो, ज़िल्लत की महक किसी रोटी से ,
मत भूलो मेरे दोस्त उसका एक निबाला भी ज़हर होता हैं ।
वाह...बहुत बढ़िया ...सादर
जवाब देंहटाएंक्या बात
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
वाह ,,, क्या बात है बेहतरीन प्रस्तुति,,,,सुनील जी,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST काव्यान्जलि ...: रक्षा का बंधन,,,,
उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा है.
जवाब देंहटाएंkya kahne, waah!
जवाब देंहटाएं---शायद आपको पसंद आये---
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बहुत खूब वाह क्या कहने
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसही कहा है आशीर्वाद भी फलते हैं और शाप भी..अपमान का एक घूंट भी जहर से बढ़कर होता हो..जिंदगी की सच्चाई !
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन भाव
जवाब देंहटाएंआभार आपका
बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन, बधाई.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारें , अपनी प्रतिक्रिया दें , आभारी होऊंगा .
bahut khhob likha hai... waah..
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