बेटे और बेटी में इतना फर्क, इसमें हम बेटियों का क्या कसूर एक बार हमारे पंख लगाकर के देखो खुले आसमान में उड़ाकर के देखो- हम क्या नहीं कर सकती॥? लक्ष्मीबाई, से लेकर मदरटेरसा, तक इंदिरा गांधी,से लेकर कल्पना चावला तक ये भी तो किसी की बेटियां थी, बेटियां समाज की धडकन होती है दो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर- घर बसाती है माँ बनकर इंसानी रिश्तों की, भावनाओ से जुडना सिखाती है पर तुमने-? पर जमने से पहले ही काट डाला शरीर में जान-? पड़ने से पहले ही मार डाला, आश्चर्य है.? खुद को खुदा कहने लगे हो प्रकृति और ईश्वर से बड़ा समझने लगे हो तुम्हारे पास नहीं है। कोई हमसे बड़ा सबूत, हम बेटियां न होती-? न होता तुम्हारा वजूद......
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है. ..
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है. .. Here is my web blog ... फिल्म
बेटे और बेटी में इतना फर्क,
जवाब देंहटाएंइसमें हम बेटियों का क्या कसूर
एक बार हमारे पंख लगाकर के देखो
खुले आसमान में उड़ाकर के देखो-
हम क्या नहीं कर सकती॥?
लक्ष्मीबाई, से लेकर मदरटेरसा, तक
इंदिरा गांधी,से लेकर कल्पना चावला तक
ये भी तो किसी की बेटियां थी,
बेटियां समाज की धडकन होती है
दो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-
घर बसाती है
माँ बनकर इंसानी रिश्तों की,
भावनाओ से जुडना सिखाती है
पर तुमने-?
पर जमने से पहले ही काट डाला
शरीर में जान-?
पड़ने से पहले ही मार डाला,
आश्चर्य है.?
खुद को खुदा कहने लगे हो
प्रकृति और ईश्वर से
बड़ा समझने लगे हो
तुम्हारे पास नहीं है।
कोई हमसे बड़ा सबूत,
हम बेटियां न होती-?
न होता तुम्हारा वजूद......
स्वतंत्रता दिवस बहुत२ बधाई,एवं शुभकामनाए,,,,,
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मत फैलाये हथेली वो
जवाब देंहटाएंकिसी के सामने दया के वास्ते
हर हथेली मजबूत होनी चाहिए
चाहती हूँ घर-घर में बेटियाँ हमारी
मुस्कुरानी चाहिए !
सुंदर रचना सुनील जी,
बेटियाँ किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं ...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना !
सच कहा बेटियाँ तो घर की आत्मा होती हैं उनके होने से घर जीवंत हो उठता है ये बात हर वो घर महसूस करता होगा जिस घर में बेटियाँ हैं
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना सुनील जी...
जवाब देंहटाएंलोगों की सोच कुछ तो बदली है मगर काफी कुछ बदलना बाकी है...
सादर
अनु
हमें उन पर गर्व है..
जवाब देंहटाएंbetiyan aap par zaroor garv karengi .abhi ham aapka aabhar vyakt karte hain.bahut sahi sthiti dikhai hai aapne.तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए ,
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंprernadayak......
जवाब देंहटाएंक्या बात है सुनील जी, बहुत खूब लिखा है. छह में से दो पदक बेटियाँ ही लाई हैं. एक 'चायना बनाम सायना' कहलाएगी और दूसरी 'मैरी विश्वमुक्का वाली'.
जवाब देंहटाएंतब तो देश का सर उंचा रहेगा..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा है आपने ...
जवाब देंहटाएंबेहद सशक्त भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति
सही कहा ... बेटियां घर की शान होती हैं ... घर सूना रहता है इनके बिना ...
जवाब देंहटाएं१५ अगस्त की शुभकामनायें ...
betiya har ghar ki shan hain
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना. टिप्पणी में धीरेन्द्र जी सुमन जीकी रचना भी अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंसही कहा. बेटियां बेटों से कम नहीं हैं.
जवाब देंहटाएंबेटी पालना गर्व का विषय नहीं अपना सुख बढ़ाना है। प्रत्येक को बेटियों का आभारी होना चाहिए कि उन्होने उन्हें इस सुख को प्राप्त करने का अवसर दिया।
जवाब देंहटाएंबेटियां हैं तो संसार है !
जवाब देंहटाएंखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित
जवाब देंहटाएंहै जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल
निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
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हमारी फिल्म का संगीत वेद
नायेर ने दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
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