फ्रेंड बड़ा सा शिप लिए, रहे सुरक्षित खेय | चलें नहीं पर शीप सा, यही ट्रेंड है गेय | यही ट्रेंड है गेय, बिलासी बुद्धि नाखुश | गलत राह पर जाय, लगाए रविकर अंकुश | दुःख सुख का नित साथ, संयमित स्नेही भाषा | एक जान दो देह, यही है फ्रेंड-पिपासा ||
टाँय-टाँय फिस फ्रेड शिप, टैटेनिक दो टूक | अहम्-शिला से बर्फ की, टकराए हो चूक | टकराए हो चूक, हूक हिरदय में उठती | रह जाये गर मूक, सदा मन ही मन कुढती | इसीलिए हों रोज, सभी विषयों पर चर्चे | गलती अपनी खोज, गाँठ पड़ जाय अगरचे ||
मित्र सेक्स विपरीत गर, रखो हमेशा ख्याल | बनों भेड़िया न कभी, नहीं बनो वह व्याल | नहीं बनो वह व्याल, जहर-जीवन का पी लो | हो अटूट विश्वास, मित्र बन जीवन जी लो | एक घरी का स्वार्थ, घरौंदा नहीं उजाड़ो | बृहन्नला बन पार्थ, वहां मौका मत ताड़ो ||
......... मुझे नहीं लगता कि फ्रेंड शब्द निर्माण के समय ये सब सोचा गया होगा. फिर भी बहुत सुन्दर व्यख्या है : "हर जरूरत और कार्य में साथी के लिए तैयार"
मित्र की दूसरी परिभाषा ..... दो ..... दो (संख्या) स्त ..... स्तवन अर्थात .... जब कोई भी दो प्रशंसा को परस्पर झुक जाएँ .. 'दोस्त' होते हैं. इसी प्रकार परिभाषायें 'तीसरी' और चौथी भी हो सकती हैं.... 'सखा' और 'सहचर' के साथ भी मशक्कत करनी हगी.....सच में.... मज़ा आता है ऐसे अर्थ निकालने में.
शुक्रिया सुनील जी
जवाब देंहटाएंआपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं.....
सादर
अनु
सहमत हूं
जवाब देंहटाएंNICE ONE....
जवाब देंहटाएंHAPPY FRIENDSHIP DAY....!!!!!!!
बहुत सही परिभाषा !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ !
happy friendship day...
जवाब देंहटाएंसच कहा है ... आपको भी दोस्ती दिवस मुबारक ...
जवाब देंहटाएंvery true .....well said , happy friendsship day
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 06-08-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-963 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
अच्छा अर्थ गर्भित विस्तार दिया है आपने हर अक्षर को ,लेटर को .
जवाब देंहटाएंअब अच्छे से समझ गए हम भी... हैप्पी फ्रेंडशिप डे
जवाब देंहटाएंसटीक परिभाषा
जवाब देंहटाएंसार्थक सटीक परिभाषा ,,,,,सारगर्भित प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: जिन्दगी,,,,
सटीक परिभाषा |
जवाब देंहटाएंफ्रेंड बड़ा सा शिप लिए, रहे सुरक्षित खेय |
चलें नहीं पर शीप सा, यही ट्रेंड है गेय |
यही ट्रेंड है गेय, बिलासी बुद्धि नाखुश |
गलत राह पर जाय, लगाए रविकर अंकुश |
दुःख सुख का नित साथ, संयमित स्नेही भाषा |
एक जान दो देह, यही है फ्रेंड-पिपासा ||
टाँय-टाँय फिस फ्रेड शिप, टैटेनिक दो टूक |
अहम्-शिला से बर्फ की, टकराए हो चूक |
टकराए हो चूक, हूक हिरदय में उठती |
रह जाये गर मूक, सदा मन ही मन कुढती |
इसीलिए हों रोज, सभी विषयों पर चर्चे |
गलती अपनी खोज, गाँठ पड़ जाय अगरचे ||
मित्र सेक्स विपरीत गर, रखो हमेशा ख्याल |
बनों भेड़िया न कभी, नहीं बनो वह व्याल |
नहीं बनो वह व्याल, जहर-जीवन का पी लो |
हो अटूट विश्वास, मित्र बन जीवन जी लो |
एक घरी का स्वार्थ, घरौंदा नहीं उजाड़ो |
बृहन्नला बन पार्थ, वहां मौका मत ताड़ो ||
रविकर जी, आपने बहुत ही सारगर्भित व्याख्याएँ की हैं...आनंद आया.
हटाएंaabhaar
हटाएंवाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं......... मुझे नहीं लगता कि फ्रेंड शब्द निर्माण के समय ये सब सोचा गया होगा.
जवाब देंहटाएंफिर भी बहुत सुन्दर व्यख्या है : "हर जरूरत और कार्य में साथी के लिए तैयार"
मित्र की दूसरी परिभाषा .....
दो ..... दो (संख्या)
स्त ..... स्तवन
अर्थात .... जब कोई भी दो प्रशंसा को परस्पर झुक जाएँ .. 'दोस्त' होते हैं.
इसी प्रकार परिभाषायें 'तीसरी' और चौथी भी हो सकती हैं.... 'सखा' और 'सहचर' के साथ भी मशक्कत करनी हगी.....सच में.... मज़ा आता है ऐसे अर्थ निकालने में.
A definition with sheer mind to sacred heart ....
जवाब देंहटाएंहैपी फ्रेंडशीप डे । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
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