आज मैं बचपन में पढ़ी हुई एक बाल कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ ।अक्सर हम यह सुनते हैं की लोमड़ी चालाक होती है मगर यह कहानी कुछ और ही कहती हैं ।
किसी जंगल में एक शेर और बहुत से जानवर रहते थे । एक दिन शेर ने बोला कि मैं बुढ़ा
हो गया हूँ इसलिए मैं शिकार नहीं कर सकता क्योंकि मैं जंगल का राजा हूँ और आप लोग
मेरी प्रजा अब यह आपका कर्तव्य बन जाता हैं कि मेरे भोजन का प्रबंध आप लोग करें ।
सभी ने उसकी बात मान ली और एक एक करके रोज उसके पास जाते और शेर उनको खा
जाता ।सब जानवर लोमड़ी के पास गये और बोले हम सब में तुम ही एक चालाक हो ।अत:
तुम ही इस समस्या का हल निकालो ।लोमड़ी अपनी तारीफ सुन कर खुश हो गयी । और
उसने घोषणा कर दी कि कल बह शेर के पास जाएगी । अगले दिन जब लोमड़ी शेर के पास
देर से पहुंची तो शेर ने गरजना शुरू कर दिया कहाँ थीं तुम? मैं सुबह से भूखा हूँ ।
लोमड़ी ने दयनीय स्वर में कहा मैं तो आपके पास ही रही थी लेकिन रास्ते में मुझे एक
और शेर मिल गया बस किसी तरह से पीछा छुड़ा कर आपके पास आयी हूँ ।शेर ने कहा
जंगल का राजा तो मैं हूँ, दूसरा कहाँ से आया चलो मुझे दिखाओ ।लोमड़ी शेर को लेकर
कुँए के पास गयी और बोली वह इसमें रहता हैं । शेर ने कुँए में झांक कर देखा और बोला
इसमें तो कोई नहीं । लोमड़ी से बोला तुम दिखाओ वह कहाँ हैं । जब लोमड़ी और शेर ने
एक साथ देखा तो दोनों कि परछाईं कुँए के पानी में दिखाई दी ।शेर बोला वह उसको खा
लेगा और मैं तुमको । शेर ने लोमड़ी को खा लिया ।
अब बताएं चालाक कौन ?..........
किसी जंगल में एक शेर और बहुत से जानवर रहते थे । एक दिन शेर ने बोला कि मैं बुढ़ा
हो गया हूँ इसलिए मैं शिकार नहीं कर सकता क्योंकि मैं जंगल का राजा हूँ और आप लोग
मेरी प्रजा अब यह आपका कर्तव्य बन जाता हैं कि मेरे भोजन का प्रबंध आप लोग करें ।
सभी ने उसकी बात मान ली और एक एक करके रोज उसके पास जाते और शेर उनको खा
जाता ।सब जानवर लोमड़ी के पास गये और बोले हम सब में तुम ही एक चालाक हो ।अत:
तुम ही इस समस्या का हल निकालो ।लोमड़ी अपनी तारीफ सुन कर खुश हो गयी । और
उसने घोषणा कर दी कि कल बह शेर के पास जाएगी । अगले दिन जब लोमड़ी शेर के पास
देर से पहुंची तो शेर ने गरजना शुरू कर दिया कहाँ थीं तुम? मैं सुबह से भूखा हूँ ।
लोमड़ी ने दयनीय स्वर में कहा मैं तो आपके पास ही रही थी लेकिन रास्ते में मुझे एक
और शेर मिल गया बस किसी तरह से पीछा छुड़ा कर आपके पास आयी हूँ ।शेर ने कहा
जंगल का राजा तो मैं हूँ, दूसरा कहाँ से आया चलो मुझे दिखाओ ।लोमड़ी शेर को लेकर
कुँए के पास गयी और बोली वह इसमें रहता हैं । शेर ने कुँए में झांक कर देखा और बोला
इसमें तो कोई नहीं । लोमड़ी से बोला तुम दिखाओ वह कहाँ हैं । जब लोमड़ी और शेर ने
एक साथ देखा तो दोनों कि परछाईं कुँए के पानी में दिखाई दी ।शेर बोला वह उसको खा
लेगा और मैं तुमको । शेर ने लोमड़ी को खा लिया ।
अब बताएं चालाक कौन ?..........
ser ko sava ser mil hi jata hai.achchi lgi aapke bachpan ki khani.
जवाब देंहटाएंकभी कभी ज्यादा होशियारी खुद को ले डूबती है,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,सीख देती कहानी,....
MY NEW POST...आज के नेता...
नये जमाने की कहानी..
जवाब देंहटाएंशुक्रवार के मंच पर, तव प्रस्तुति उत्कृष्ट ।
जवाब देंहटाएंसादर आमंत्रित करूँ, तनिक डालिए दृष्ट ।।
charchamanch.blogspot.com
यही तो प्रपंचतन्त्र है....
जवाब देंहटाएंसर बचपन की कहानी नहीं है ये...
जवाब देंहटाएंतब तो चालाक लोमड़ी थी!!!
:-)
अच्छा लगा ये स्वरुप...
सादर.
सर क्षमा करे..टाईपिंग की गलती सही कर लें..चालाक की जगह चालक है हर जगह.
शुक्रिया.
बढ़िया बाल कहानी है इसमें तो शेर लोमड़ी से भी ज्यादा चालाक निकला :)
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...
जवाब देंहटाएं------
..की-बोर्ड वाली औरतें।
निश्चित तौर पर चालाक तो शेर शाहीब ही है, वरना अगर ये वोटर, मेरा मतलब लोमड़ी चालाक होती तो जब पहली ही बारी शेर साहिब कुंए में झांका था, तो पीछे से लात जमाकर खुद ही शेर साहिब को नीचे धकेल देती ! :)
जवाब देंहटाएंहमारे जंगल का 'शेर' सफ़ेद शेरनी के हाथ की कठपुतली है ....बेशक वो बूढा है, थोड़ी खुराक है, लेकिन उसका पद बरकरार तभी तक है जब तक उसका हाजमा कमज़ोर है... उसे लोमड़ी मिले या खरगोश .... उसे उसी कुएं की मुंडेर पर ले जाते हैं जिसे सफ़ेद शेरनी ने ही बनवाया है.... समझदार और चालाक जानवरों को बेफकूफ बनाने के लिए... वहां आकर हर चतुर जानवर अपने को तीसमारखां समझता है ... लेकिन अंततः खुद मारा जाता है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या।
जवाब देंहटाएंकभी कभी चालाकी भी मात खा जाती है...बहुत रोचक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंmaine to pada tha ki sher apni parchhai ko apna prtidwandi sanjh kuyen mein kud jaata hai.....par kahani ka naya sanskarad sheekh deta hai..
जवाब देंहटाएंवाह , लोमड़ी वो ही पुराणी वाली मगर शेर आधुनिक आज की सदी का ..कौन चालाक होगा ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया, क्या कहने
जवाब देंहटाएंआखिर लोमडी ने बेवकूफ़ी कर ही दी ना :)
जवाब देंहटाएंबहूत हि बढीया कहानी...
जवाब देंहटाएंइन सरल सी कहानियो में हि
जीवन कि सिख होती है
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sher aur lomdi ki kahani to hamne bhi bachpan mein suni hai par aapki kahani mein twist hai....nice one.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति,अधिक चालाकी खुद को ले डूबती है,....
जवाब देंहटाएंNEW POST...काव्यांजलि...आज के नेता...
NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...
कौन किस्से चालाक है अब कुछ पता नहीं चलता .
जवाब देंहटाएंनये ट्रीटमेंट के साथ पुरानी कहानी, शायद पुरानी कहानी शेर के खानदान वालों ने सुन ली होगी।
जवाब देंहटाएंदरअसल, इस शेर के पिताजी को उस लोमड़ी की मां ने उल्लू बनाया था। तब से यह शेर समझदार हो गया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंअब तो राजा, प्रजा सब चालाक हो गए हैं।
जवाब देंहटाएंkahani mein yah twist ho sakta hai socha bhi nahin tha
जवाब देंहटाएंअति उत्तम,सराहनीय प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंसुनील जी,..मै आपका नियमित पाठक और फालोवर भी हूँ,आप भी फालोवर बने तो मुझे खुशी होगी
NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
सार्थक पोस्ट, आभार.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.
Heart touching literature friend ,very-2 appreciable ....
जवाब देंहटाएंbahut achchhi prastuti...
जवाब देंहटाएंइसमें लोमड़ी कमअक्ल दिखी क्योंकि उसे शेर को ही कुएँ तक जाकर देखने के लिए कहना चाहिए था.
जवाब देंहटाएं:))