एक दिन हमनें ,
अपने शहर की सोती हुई पुलिस जगा दी ।
सौ रुपये देकर ,
थाने में एक हजार की रिपोर्ट लिखवा दी ।
शाम को पुलिस हमारे घर आई
साथ में एक कुत्ता भी लायी ।
कुत्ते ने हमें सूंघा, और हमारे घर को देखा ।
कुत्ता बोला आप हमारे,
बेईमान होने का फायदा उठाते हो।
अपने शान बढ़ाने के लिए
चोरी की झूठी रिपोर्ट लिखाते हो ।
तभी उस कुत्ते के अन्दर का कुत्ता जागा।
सीधा थाने की तरफ भागा।
जिसे देख कर हमारा आत्मविश्वास भी जागा ।
यह क्या ! वह लौट कर बापस आया और बोला
आप क्या सोंचते हैं ?
मै क्या, थानेदार की गिरफ्तारी करूँगा ।
मैंने तो पुलिस का नमक खाया हैं ।
मै क्या? नमकहरामी करूँगा ।
आज मै अपने ओहदे का इस्तेमाल करूँगा ।
इन सडक पर बैठे हुए,
भिखारी को जेल के अंदर करूँगा।
वर्षों से यह हमारे हक मार जाते हैं
कचरे में पड़ी हुई रोटी
हमसे पहले मार जाते हैं ।
बात रोटी तक तो, हम सहन करते हैं ।
पर अब तो यह हमारा और हमारी नस्ल का
यह अपमान करते हैं ।
अपने को इंसान कहते हैं ।
पर हमारी तरह जीते और हमारी तरह मरते हैं ।
आपने तो निःशब्द कर दिया..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बढ़िया..
गहन भाव भी हैं और कविता होने का सम्पूर्ण एहसास भी है..
मुझे बेहद पसंद आई.
wah, kya baat hai
जवाब देंहटाएंgehri baat.....
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग्य है व्यवस्था पर,
जवाब देंहटाएंव्यवस्था और इंसान की फितरत पर अच्छा व्यंग
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग्य ...
जवाब देंहटाएंअपने को इंसान कहते हैं ।
जवाब देंहटाएंपर हमारी तरह जीते और हमारी तरह मरते हैं ।
व्यंग के साथ गहन भाव... आभार
bahut khoob shaandar sir
जवाब देंहटाएंmaja aa gaya
व्यवस्था पर करारी चोट।
जवाब देंहटाएंबढिया व्यंग्य।
बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंअपने को इंसान कहते हैं .
जवाब देंहटाएंपर हमारी तरह जीते और हमारी तरह मरते हैं.
अच्छा व्यंग.
आखिर मरेगा कुत्ते की मौत ही ना:)
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंगात्मक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंइस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें.
करारा व्यंग..सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्र है कुत्ते ने आपको छोड़ दिया, काटा नहीं।:)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर जनाब, व्यवस्था पर करारी चोट की है आपने।
जवाब देंहटाएंसिहरन पैदा कर देने वाला व्यंग. सार्थक प्रस्तुति के लिये बधाई सुनील जी.
जवाब देंहटाएंहास्यरस का अंत करुण रस में।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा।
बहुत सटीक व्यंग जो दिल को छू गया...
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं सशक्त प्रस्तुत ...समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंइसमें कुत्ते की तो कोई व्यथा है नहीं। जो है,बस इन्सान की ही है।
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति .... बधाई ...
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