सड़क पर बैठा भिखारी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था
और अपने खाली डिब्बे को बजा रहा था
हमने पूछा क्यों मचा रहा बबाल है
हमने पूछा क्यों मचा रहा बबाल है
वह प्यार से बोला राम के नाम पर एक रुपये का सवाल है |
हमने कहा सड़क पर भीख माँगते शर्म नहीं आती ?
वह हंसकर बोला " क्या ऑफिस खोल लूँ "?
फिर गुस्से में बोला हम सड़क पर बैठते साब
इसलिए राम के नाम पर नोट मांगते है |
ऑफिस तो वह खोलते है जो राम के नाम पर वोट मांगते है |
उसके इस उत्तर ने हमें खुश कर दिया |
और हमने एक सिगरेट पेश कर दिया |
वह बोला क्या इससे फायदा ?
हमने समझया सिगरेट पिएगा तो वक्त से पहले मार जायेगा|
इस गरीबी से निजात पा जायेगा
गरीबी तो हट नहीं सकती एक गरीब हट जायेगा |
गरीबी हटाओ का नारा देने वाला नेता
चुनाव में दो चार वोट ज्यादा पा जायेगा |
और किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जायेगा |
वह बोला क्या इससे फायदा ?
हमने याद दिलाया वह गाना
है फर्ज आदमी का औरों के काम आना |
वह बोला क्यों जी हमें बुद्धू बनाते हो
और ज़िंदगी की कीमत मौत बताते हो |
हमने कहा चल दो चार पल और जी ले
यह ले दारू एक पेग पी ले |
वह बोला क्या इससे फायदा ?
हमने कहा एक पेग पिएगा तो बोतल की आदत पड़ जाएगी |
कुछ दिनों में तेरी दोनों किडनी सड़ जाएगी
जब तू किसी डाक्टर के चुंगल में आएगा
तो अपनी दोनों किडनी वापस लेकर आयेगा|
क्यूंकि ख़राब किडनी कोई नहीं निकलता
एक डाक्टर किडनी चोरी के पाप से बच जायेगा |
अब उसने नही पूछा क्या फायदा
क्योंकि याद आ गया वह गाना
है फर्ज आदमी का औरों के काम आना ...
bhut khub...
जवाब देंहटाएंसुंदर कटाक्ष करती बढ़िया कविता. नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबढिया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भी... शिकायत भी...!
बहुत बढ़िया लिखा है...
जवाब देंहटाएंMaza aa gaya! Bada karara kataksh hai!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संदेश।
जवाब देंहटाएंसही है गरीबी मिट नहीं सकती गरीबो को ही मिटा दिया जाये |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा व्यंग.... आभार...
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder vyang likha hai
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंसुनील जी आपने अच्छा कटाक्ष मारा।
शुभकामनाएं आपको।
Behtreen ktaksh...Sanvedansheel panktiyan....
जवाब देंहटाएंसुन्दर कटाक्ष.
जवाब देंहटाएंयह तो फायदे वाली कविता है.
सलाम.
bahut khoobsurti se likha hai aapne yah vyang....
जवाब देंहटाएंदूषित राजनीति पर करारा व्यंग.
जवाब देंहटाएंBahut sundar jivan ki aek sachchai !
जवाब देंहटाएंवाह सुनीलजी, व्यंग बहुत बढ़िया किया है...
जवाब देंहटाएंचारों सामाजिक बुराइयाँ: मद्यपान, सिगरेट, भीख-मांगना और हाँ राजनीती भी (आजकल देश चलाना और राजनीती करना अलग-अलग है) हमारे समाज के लिए हानिकारक हैं!
बधाई...
वर्तमान समय की मुख्य समस्यायों को समेट लिया है आपने, आभार.
जवाब देंहटाएंvaah achha vyeng kiya hai ......
जवाब देंहटाएंछा गए सुनील बाबू!!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग..
जवाब देंहटाएंBahut khoob, aaj ki sabhyata par chot karta sarthak vyang sandesh..shubhkaamnayein!
जवाब देंहटाएंकविता के माध्यम से करारा व्यंग्य सुनील जी ,हिन्दू नव-वर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाये !
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