सोमवार, फ़रवरी 28, 2011

गज़ल



कुछ तो करो तुम जिक्र, मेरे शहर का आज ,
माना कि तुमसे मेरा , अब कोई वास्ता नहीं |

   देख कर दीबार तुमने अपना रास्ता बदल लिया |
  सोचा कि तुमने आगे, अब  कोई रास्ता नहीं |

 अचानक मुझको देख कर क्यूँ  परेशान हो गए |
 दुनिया है कितनी छोटी, शायद तुमको पता नही |

 अपने मिलकर विछ्ड़ने का जो यह हादसा हुआ |
 ना कसूर था तुम्हारा, और इसमें मेरी भी ख़ता नहीं |

 टूटा ज़रूर हूँ मै, मगर बिखरा नहीं अभी तक  |
 किस चीज से बना हूँ, यह मुझको पता नहीं | 



32 टिप्‍पणियां:

  1. न बिखरने वाली चीज़ को ही तो जीवन कहते हैं।

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  2. अचानक मुझको देख कर कयूं परेशान हो गए
    दुनिया है कितनी छोटी,शायद तुमको पता नहीं.

    बहुत बढ़िया.
    सलाम.

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  3. ' बढ गई है बात तो अब कैसे किनारा कर लूं,
    किस तरह तौहीन इश्‍क की गवारां कर लूं। '

    अच्‍छी गजल।
    बधाई हो आपको।

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  4. हर एक पंक्तियाँ लाजवाब लगी


    क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश


    यूपी खबर

    न्यूज़ व्यूज तथा भारतीय लेखकों का मंच

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  5. टूटने पर भी जो न बिखरे वो सही आदमी है. लेकिन कांच का दिल टूटे और बिखरे नहीं तो समझो किसी 'अपने' ने उसपर अबरख की चादर बिछा राखी है....बढ़िया..

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, दिल को छू कर निकल गई, आभार।

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  7. हर शेर लाजवाब. टूटा जरूर हूँ मैं, बिखरा नहीं अभी तक, क्या बात है, बहुत खूब, सुंदर गज़ल.

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  8. बाऊ जी,
    नमस्ते!
    आनंद!आनंद! आनंद!
    और आखिरी पंक्तियों के लिए: खड़े होके सैल्यूट!!!
    आशीष
    ---
    लम्हा!!!

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  9. टूटा जरूर हूँ मैं, बिखरा नहीं अभी तक....
    बेहतरीन रचना...

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  10. बहुत गहरे भाव अभिव्यक्त किये हैं आपने .

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  11. आपकू भी शिवरात्री की मंगल कामनाएं.शहर की यादें अच्छी अभिव्यक्ति हैं.

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  12. टूटा जरूर हूँ मै लेकिन बिखरा नही----- लाजवाब हौसला। बहुत अच्छी लगी गज़ल। बधाई।

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  13. गहरे भावों को खूबसूरती से व्यक्त करती एक उम्दा गजल!

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  14. *कुछ तो करो तुम जिक्र, मेरे शहर का आज ,
    माना कि तुमसे मेरा , अब कोई वास्ता नहीं |


    सुन्दर अभिव्यक्ति,
    अच्‍छी गजल।

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  15. सुन्दर रचना, बहुत गहरे भाव हैं आखिरी दो पंक्तियों में.. टूटा हूँ पर बिखरा नहीं...वाह

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  16. aaj ke jivan ki sachchai ko aapne bahut aur behatar dhang se bhaut hi khoobsurati ke saath prastut kiya hai.lazwaab gazal.
    bahut hibehatreen prastuti
    poonam

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  17. खुबसूरत भावनाओं से सजी खुबसुरत रचना |

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  18. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  19. priya kumar ji ,
    sadar vandan ,
    mafi chahata hun ,der ke liye , aapke shabd chayan
    kavya shilp ne man ko chhu liya .sundar abhivyakti
    samvedana ke shwar sundar lage .aabhar

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