क्यों मिला उसको ?
सपनों का संसार ,
अपनों का प्यार |
क्यों मिला मुझको ?
सपनों का टूटना ,
अपनों का रूठना |
क्यों पाया उसने ?
द्रुत गति का कालचक्र
क्यों मिलीं मुझे ?
बंद घड़ी की सूइयां |
प्रश्न है अनेक ,
पर उत्तर है एक
अपना अपना भाग्य !
जी हाँ, भाग्य का अपना रोल है जीवन में परन्तु कर्म प्रधान है.
जवाब देंहटाएंजिन चीजों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं वही भाग्य ! और दुर्भाग्य से ऐसा बहुत कुछ होता है !! अपना जीवन खुद ही लिखकर बहुत कम लोग ही जीते होंगे । कहना ही पड़ता है भाग्यं फलती सर्वदा ! इसको अपना दास या दोस्त बनाकर जीने की कोशिश करना चाहिए हाँ इससे लड़ तो सकते नहीं ! बहुत अच्छी रचना है ...
जवाब देंहटाएंye bhagye hi hai
जवाब देंहटाएंjivan mai jo hota hai
har din naye aayam aana
jingdi mai sab kuch badal jana
sab bhagye hi hai
sunder rachna
कुंवर कुसुमेश से सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंभाग्य तो है ही मगर कर्म के बैगौर कुछ संभव नहीं....कुंवर जी और भूषन जी से सहमत...
जवाब देंहटाएंDestiny keeps on changing and hope for the best. Good post.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जो भाग्य में होता है वह होकर ही रहता है ..स्कूल में पढ़ी एक एकांकी याद आ गयी उसका शीर्षक भी' अपना अपना भाग्य' था बहुत ही मार्मिक कहानी थी, आज भी मानस पटल पर उभर आती है..... हार्दिक शुभकामना
जवाब देंहटाएंभाग्य और कर्म का संगम हो तभी कुछ मिल पाता है..सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही ...समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता ....लेकिन कर्म किये बिना भी कुछ हासिल नहीं होता
जवाब देंहटाएंजो मिल जाता है वह अपना आकर्षण खो देता है,और कभी कुछ न मिलकर भी नई मंजिलों का पता बता जाता है, इसलिये हर हाल में खुश रहना ही सौभाग्य नहीं है क्या ?
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है, सब भाग्य का ही तो खेल है!
जवाब देंहटाएंकहते हैं न तकदीर से ज्यादा और समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता। यही तो जीवन है।
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन को प्रस्तुत करती पोस्ट। बधाइ हो आपको।
सुनील जी!
जवाब देंहटाएंकभी किसी को मुकम्मिल जहाँ नहीं मिलता,
कभी ज़मीं तो कभी आसमाँ नहीं मिलता.
sunil ji, meri hausle ko pusht karne ka bahut bahut dhanyvad ..aapki kavita ke liye kahungi ki ..door ke dhol suhavane lagte hain ...har kisi ko koi n koi kami khatkati hai ....kavita achchi lagi...
जवाब देंहटाएंbahut sunders rachana hai---
जवाब देंहटाएंSach hai .. bhaagy ki aage sabhi haar jaate hain ...
जवाब देंहटाएंभाग्य अपनी जगह, कर्म अपनी जगह.
जवाब देंहटाएंकिसी भी स्थिति में भाग्य के भरोसे तो नहीं बैठा जा सकता ।
सही बात ...भाग्य की भूमिका को कौन नकार सकता है....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंभाग्य ही से तो सब है.
सलाम.
Aah!Apna,apna bhagy!
जवाब देंहटाएंbilkul sahi ....bhagy bahut balvan hota hai .sundar bhavabhivyakti .
जवाब देंहटाएंEK SUCH !Jise aapne bahut km shabdon mai piroya hai,
जवाब देंहटाएंsunder prastuti.......
वाह ...बहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंसच में भाग्य ही तो सब कुछ है...बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएं*गद्य-सर्जना*:-“तुम्हारे वो गीत याद है मुझे”
sahi hai kintu bhagy aur karm sath-sath chalte hain .kabhi-kabhi kuchh aisa ghatit jaroor ho jata hai jisse admi bhagy ko kosne par vivash ho jata hai.
जवाब देंहटाएंभाग्य की भी अपनी एक महिमा है, बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हम लोग सिर्फ कर्म ही कर सकते हैं , भाग्य तो विधाता के ही हाथ में है ।
जवाब देंहटाएंbahut sunder lagi rachna .......
जवाब देंहटाएंhamare paas jo nahi hai uska khed nahi karna chhiye jo hai uski khusiya manani chahiye.....
आदरणीय सुनील कुमार जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
आप बिल्कुल सच कहते हैं
भाग्य साथ नहीं देता तो कर्म किए जाओ , किए जाओ … सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते …
लेकिन , असफलता की आशंका में कर्म करना छोड़ नहीं देना चाहिए ।
साथ ही,औरों के भाग्य से अपने भाग्य की तुलना करने पर निराशा हाथ लगना तय है ।
♥ प्यारो न्यारो ये बसंत है !♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
भाग्य तो है ही मगर कर्म के बैगौर कुछ संभव नहीं| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंभाग्य से खफा ?
जवाब देंहटाएंपर उसके सहारे लिखी सुन्दर रचना |
जिसे हम कर्म मानते हैं ..वह भी भाग्य का परिणाम होता है .. नहीं तो कर्म करने वाले सभी एकसमान होते ...सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंसबका अपना भाग्य, कर्म का आराध्य।
जवाब देंहटाएंसच बात है भाग्य के बिना कुछ नही मिलता। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअपना अपना भाग्य....सत्य वचन
जवाब देंहटाएंregards
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकभी समय मिले तो http://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपने एक नज़र डालें . धन्यवाद .
कर्म से बनाया हुआ भाग्य सौभाग्य होता है !
जवाब देंहटाएंमगर भाग्य को एकदम से नकार भी नहीं सकते !
सुन्दर रचना !
बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ है सुनील जी , अपने से भी काफी मेल खाती है !
जवाब देंहटाएंअपना-अपना भाग्य ! कोई माने न माने मगर यही सत्य है, आखिरकार !