शुक्रवार, दिसंबर 24, 2010
सृजन का कारण
मेरे एक मित्र का मानना ही की कवि या कोई रचनाकार एक दुखी प्राणी
होता है | मैंने उनसे कहा अगर आपका यह तथ्य सत्य है तो भारत में
१२० करोड़ कवि होने चाहिए | और उस फेहरिस्त में अम्बानी ,टाटा का
बिरला जैसे लोगों का नाम भी होना चाहिए क्योंकि वह भी तो दुखी है |
जहाँ तक मेरा प्रश्न है इस रचना के माध्यम से देखिये |
शब्दों का खेल नहीं दर्द है यह दिल का ,
कण कण रोता है जब मेरे अंतर्मन का |
जो आँखों से छलकता , उसे पानी मत मानिये |
तब एक फूटता है छाला मेरे दिल का |
खुली आँखें सपना संजोना कैसे छोड़ दे |
दूसरे के दर्द पे हम रोना कैसे छोड़ दे|
कलम दवात दी, जब पूर्वजों ने हाथ में ,
तब पुस्तिका के पन्नों को कोरा कैसे छोड़ दे |
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सटीक बात....
जवाब देंहटाएंलिखना तो पड़ेगा ही,
जवाब देंहटाएंवियोगी होगा पहला कवि..
bilkul nahi chhod sakte
जवाब देंहटाएंखुली आँखें सपना संजोना कैसे छोड दें.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही जीवन-दर्शन...
Very nice. We can,t go without writing if we can.
जवाब देंहटाएंसही बात ....वियोगी होगा पहला कवि ..आह से उपजा होगा गान ,
जवाब देंहटाएंउमड़ कर आँखों से चुपचाप , बही होगी कविता अनजान ..
बहुत खूब ...एकदम पते की बात कही है
जवाब देंहटाएंआपने इस रचना में ...।
लेखनी कठनी लिए जब हाथ में आप, जिंदगी के कोरे कागज़ पर, दुखों के शब्दों को बिठाते हैं, तब जो वेदना मुखरित होती है, सुनील बाबू..वही तो कविता है. पीड़ा में आनंद या पीड़ा से उपजी कविता... सब तभी संभव है जब सीने में दिल हो, जो शायद १२० करोड़ों में से कुछ के पास ही होता है.
जवाब देंहटाएंबहुत हे मासूम सी कविता! और उतने ही गहरे भाव!!
बिलकुल सही कहा। हम भी नही छोड सकते. न सपने देखना न लिखना। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा..जब तक किसी के भी दिल में दूसरे के दर्द का अहसास होगा, वह लिखना नहीं छोड़ सकता..आभार
जवाब देंहटाएंखुली आँखें सपना संजोना कैसे छोड दें.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही जीवन-दर्शन...अद्भुत्।
... bahut sundar ... behatreen rachanaa !!!
जवाब देंहटाएं6/10
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
स्वप्न देखना बहुत जरूरी है
जीवन की सार्थकता इसी में है
कलम दवात दी जब पूर्वजों ने हाथ में,
जवाब देंहटाएंतब पुस्तिका के पन्नों को कोरा कैसे छोड़ दें।
सभी कवियों के मन की बात कह दी आपने...
बढ़िया कविता...वाह।
खुली आँखें सपना संजोना कैसे छोड दें...
जवाब देंहटाएंLovely lines!
thanks.
.
kalam-dawat ka maan rakhna zaroori hai.bahot achchi pngtiyan.
जवाब देंहटाएंआपने क्रन्तिस्वर में जो विचार व्यक्त किये ,उसके लिए धन्यवाद.आप बरेली के हैं ,हम भी ६१ -६२ में छुटपन में बरेली में रहे हैं,विवरण विद्रोही स्वर पर उपलब्ध है.
जवाब देंहटाएंक्या बात है । मजा आ गया ।
जवाब देंहटाएंजितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
सिलसिला जारी रखें ।
आपको पुनः बधाई ।
साधुवाद । साधुवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत स्केच बनाया है आपकी बेटी ने! मेरी तरफ से बधाई दे दीजियेगा!
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
जवाब देंहटाएंआशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
Bahut Khubsurat Abhivyakti.
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंhaan aapki baat ekdam sahi hai kavita ki rachna kewal dukh me hi nahi hoti ..samany paristhitiyon me bhi hoti hai...
जवाब देंहटाएंsunil bhai ji
जवाब देंहटाएंbahut hi tathy purn .aapki kavita hi har parkti axhrshah saty hai.
ekdam haqikat se rubaru karati ek behatreen bhavabhivykti.
poonam
दोनों बेटियों को सुन्दर स्केच की बधाई.
जवाब देंहटाएंकवि की उत्पत्ति पर आपका लेखन विचारणीय .
दोनों कवितायें सुन्दर एवं भावना प्रधान.
वाह... कवि की लेखनी को इतने अची से शब्द दे दिए आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
मैं भी ऐसे ही कुछ पन्नों को भरने की कोशिश में हूँ...
sketches are awesome...
मित्र की बात का मुक्तकों के माध्यम से सटीक उत्तर दिया आपने ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ......!!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति. सही कहा आपने .
जवाब देंहटाएंफर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
शिवांगी और आरुषी ने बहुत सुंदर चित्र बनाएं है...दोनों को शुभाशिष!...
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता!..बहुत बहुत बधाई!
बच्चों की कृतियाँ खूबसूरत हैं , सच कहा
जवाब देंहटाएंदिल को छू गये आपके जज्बात। हार्दिक शुभकामनाऍं।
जवाब देंहटाएं---------
अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
sahi kaha apne.sunder lagi post....
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