(हिंदी कविताओं ,कथाओं और लेखों का एक कोना)
बहुत कम शब्दों में बहुत पते की बात कही है !
jnaab bhut bhut chetaavni dene vaali vyvharik gyan drshaati rchnaa bdhaayi ho . akhtar khan akela kota rajsthan
आठ लाईनों में पूरी जिंदगी का फसाना लिख डाला आपने। वो कहते हैं न कि हाथों की लकीरों का क्या भरोसा करें, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। सुनील जी, बधाई हो।
अरे वाह आपने तो कम शब्दों में बहुत ऊँची बात कह दी!
सुनील जी ताश के पत्तों का महल और रेट के ढेर पर खडा आदमी ज़्यादा देर तक नहीं टिकते..बहुत गहरी बात कही है आपने! गाँठ बाँधने योग्य!!
मेरे कमेन्ट में रेत की जगह रेट छप गया है!त्रुटि सुधार लेंगे!!
दौलत के ढेर पर खड़ा आदमी निश्चित रूप से एक दिन रेत की ढेर पर अपने आपको पाता है।बहुत बढ़िया रचना...प्रेरणाप्रद, सार्थक।
जब कोई दौलत के नशे मेंअपने कद की नुमाइश करता होबस उसी वक्त उसेरेत के ढेर पर खड़ा जानोकम शब्दों में बेहद ही जानदार रचना।
कम शब्दों में बढ़िया प्रस्तुति........
बहुत पते की बात
Kam alfaaz aur baat bahut gahari!
sunil jibilkul pate ki bat kahi hai aapne..............
yaqeenan aapne gagar men sagar bhar diya
dekhan me chhotan lage ... ghaaw kiya gambheer
दोनों बातें सटीक ....सुन्दर सन्देश देती रचना ..
वाह क्या बात है ! बहुत सुन्दर ! घमंड ही बर्बादी की शुरुआत है !
... bahut sundar ... behatreen !!!
बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - एक सलाह - पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने हेतु आगे आएं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
Bahut achi salah hai aapki
बड़े सलीके से सच समझा दिया है।
बहुत सटीक!!
pahla muktak ati sundar..doosre me achchha jeevandarshan.
इस क्षण भंगुर संसार का झूठा दंभ ..... सच बताया है आपने . आपको बधाई.
जब कोई दौलत के नशे मेंअपने कद की नुमाइश करता होबस उसी वक्त उसेरेत के ढेर पर खड़ा जानो......बहुत सुन्दर!
bilkul satik chitran pesh kar diya aapne..
bahut khub sahi kaha hai............
bahut khoob .......sarthak lekhan
numaaish ... ret ki dher per fisalta kad
wah.ekdam sahi baat .
सही बात...दौलत का नशा को किसी को भी गिराने के लिए काफी है..
antim para bahut sateek laga. daulat ke mad mein andhe hone wale ret pe hi khade hote hain
भाई सुनील जीआपका ब्लॉग देखाअच्छा लगा आप मेरे ब्लॉग पर आए आपको अच्छा लगा और टिप्पणी दीधन्यवाद रमेश जोशी
SUNDER SANDESH DETI RACHNAAA
बिलकुल ठीक कह रहे हो !..शुभकामनायें !
बहुत कम शब्दों में बहुत पते की बात कही है !
जवाब देंहटाएंjnaab bhut bhut chetaavni dene vaali vyvharik gyan drshaati rchnaa bdhaayi ho . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंआठ लाईनों में पूरी जिंदगी का फसाना लिख डाला आपने। वो कहते हैं न कि हाथों की लकीरों का क्या भरोसा करें, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। सुनील जी, बधाई हो।
जवाब देंहटाएंअरे वाह आपने तो कम शब्दों में बहुत ऊँची बात कह दी!
जवाब देंहटाएंसुनील जी ताश के पत्तों का महल और रेट के ढेर पर खडा आदमी ज़्यादा देर तक नहीं टिकते..
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात कही है आपने! गाँठ बाँधने योग्य!!
मेरे कमेन्ट में रेत की जगह रेट छप गया है!त्रुटि सुधार लेंगे!!
जवाब देंहटाएंदौलत के ढेर पर खड़ा आदमी निश्चित रूप से एक दिन रेत की ढेर पर अपने आपको पाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना...प्रेरणाप्रद, सार्थक।
जब कोई दौलत के नशे में
जवाब देंहटाएंअपने कद की नुमाइश करता हो
बस उसी वक्त उसे
रेत के ढेर पर खड़ा जानो
कम शब्दों में बेहद ही जानदार रचना।
कम शब्दों में बढ़िया प्रस्तुति........
जवाब देंहटाएंबहुत पते की बात
जवाब देंहटाएंKam alfaaz aur baat bahut gahari!
जवाब देंहटाएंsunil ji
जवाब देंहटाएंbilkul pate ki bat kahi hai aapne..............
yaqeenan aapne gagar men sagar bhar diya
जवाब देंहटाएंdekhan me chhotan lage ... ghaaw kiya gambheer
जवाब देंहटाएंदोनों बातें सटीक ....सुन्दर सन्देश देती रचना ..
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ! बहुत सुन्दर ! घमंड ही बर्बादी की शुरुआत है !
जवाब देंहटाएं... bahut sundar ... behatreen !!!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - एक सलाह - पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने हेतु आगे आएं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
Bahut achi salah hai aapki
जवाब देंहटाएंबड़े सलीके से सच समझा दिया है।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक!!
जवाब देंहटाएंpahla muktak ati sundar..
जवाब देंहटाएंdoosre me achchha jeevandarshan.
इस क्षण भंगुर संसार का झूठा दंभ ..... सच बताया है आपने . आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंजब कोई दौलत के नशे में
जवाब देंहटाएंअपने कद की नुमाइश करता हो
बस उसी वक्त उसे
रेत के ढेर पर खड़ा जानो...
...बहुत सुन्दर!
bilkul satik chitran pesh kar diya aapne..
जवाब देंहटाएंbahut khub sahi kaha hai............
जवाब देंहटाएंbahut khoob .......
जवाब देंहटाएंsarthak lekhan
numaaish ... ret ki dher per fisalta kad
जवाब देंहटाएंwah.ekdam sahi baat .
जवाब देंहटाएंसही बात...दौलत का नशा को किसी को भी गिराने के लिए काफी है..
जवाब देंहटाएंantim para bahut sateek laga. daulat ke mad mein andhe hone wale ret pe hi khade hote hain
जवाब देंहटाएंभाई सुनील जी
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग देखाअच्छा लगा
आप मेरे ब्लॉग पर आए आपको अच्छा लगा और टिप्पणी दी
धन्यवाद
रमेश जोशी
SUNDER SANDESH DETI RACHNAAA
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक कह रहे हो !..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !