रविवार, दिसंबर 19, 2010

एक सलाह !



अपनी मुफ़लिसी को मत ,
अपनी तक़दीर का लिखा मानो |
 ए दोस्त ,इसमें कुछ तो
अपनी तदबीर का हिस्सा मानो  |


जब कोई दौलत के नशे में ,
अपने कद की नुमाइश करता हो |
बस उसी वक्त उसे ,
रेत के ढेर पर खड़ा जानो |

34 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कम शब्दों में बहुत पते की बात कही है !

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  2. jnaab bhut bhut chetaavni dene vaali vyvharik gyan drshaati rchnaa bdhaayi ho . akhtar khan akela kota rajsthan

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  3. आठ लाईनों में पूरी जिंदगी का फसाना लिख डाला आपने। वो कहते हैं न कि हाथों की लकीरों का क्‍या भरोसा करें, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। सुनील जी, बधाई हो।

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  4. अरे वाह आपने तो कम शब्दों में बहुत ऊँची बात कह दी!

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  5. सुनील जी ताश के पत्तों का महल और रेट के ढेर पर खडा आदमी ज़्यादा देर तक नहीं टिकते..
    बहुत गहरी बात कही है आपने! गाँठ बाँधने योग्य!!

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  6. मेरे कमेन्ट में रेत की जगह रेट छप गया है!त्रुटि सुधार लेंगे!!

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  7. दौलत के ढेर पर खड़ा आदमी निश्चित रूप से एक दिन रेत की ढेर पर अपने आपको पाता है।
    बहुत बढ़िया रचना...प्रेरणाप्रद, सार्थक।

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  8. जब कोई दौलत के नशे में
    अपने कद की नुमाइश करता हो
    बस उसी वक्त उसे
    रेत के ढेर पर खड़ा जानो
    कम शब्दों में बेहद ही जानदार रचना।

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  9. कम शब्दों में बढ़िया प्रस्तुति........

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  10. दोनों बातें सटीक ....सुन्दर सन्देश देती रचना ..

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  11. वाह क्या बात है ! बहुत सुन्दर ! घमंड ही बर्बादी की शुरुआत है !

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  12. इस क्षण भंगुर संसार का झूठा दंभ ..... सच बताया है आपने . आपको बधाई.

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  13. जब कोई दौलत के नशे में
    अपने कद की नुमाइश करता हो
    बस उसी वक्त उसे
    रेत के ढेर पर खड़ा जानो...
    ...बहुत सुन्दर!

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  14. सही बात...दौलत का नशा को किसी को भी गिराने के लिए काफी है..

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  15. antim para bahut sateek laga. daulat ke mad mein andhe hone wale ret pe hi khade hote hain

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  16. भाई सुनील जी
    आपका ब्लॉग देखाअच्छा लगा
    आप मेरे ब्लॉग पर आए आपको अच्छा लगा और टिप्पणी दी
    धन्यवाद
    रमेश जोशी

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  17. बिलकुल ठीक कह रहे हो !..
    शुभकामनायें !

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