आज मै आपके सामने कुछ शेर ऐसे पेश कर रहा हूँ जिनके साथ शरारत की गयी है ।
जिनके हांथों मैंने दिया था फूल कभी ।
उन्हीं के हाँथ का पत्थर आज मेरी तलाश में हैं ।
बरसती हुई बरसातों में और टपकती हुई रातों में ।
अक्सर हम यह सोंचते हैं खटिया कहाँ पे डाली जाये ।
देख हम तेरी जुल्फ़ के कितने चाहने वाले हैं ।
तभी तो तेरे दो चार गेसू , हर निवाले में हैं ।
जिनके हांथों मैंने दिया था फूल कभी ।
उन्हीं के हाँथ का पत्थर आज मेरी तलाश में हैं ।
बरसती हुई बरसातों में और टपकती हुई रातों में ।
अक्सर हम यह सोंचते हैं खटिया कहाँ पे डाली जाये ।
देख हम तेरी जुल्फ़ के कितने चाहने वाले हैं ।
तभी तो तेरे दो चार गेसू , हर निवाले में हैं ।
शेर से अच्छी शरारत कर रहे हैं.ओह.
जवाब देंहटाएंदेख हम तेरी जुल्फ़ के कितने चाहने वाले हैं ।
जवाब देंहटाएंतभी तो तेरे दो चार गेसू , हर निवाले में हैं । हा......हा......हा....
कभी-कभी शरारतें भी अच्छी लगती हैं जैसे की उपरोक्त शेरों के साथ की गई है....
मजेदार प्रस्तुति..........
:-)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर.......
बरसती हुई बरसातों में और टपकती हुई रातों में ।
अक्सर हम यह सोंचते हैं खटिया कहाँ पे डाली जाये ।
लाजवाब.
सादर
अनु.
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंशेरो के साथ ये शरारत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंvery funny.....
जवाब देंहटाएंबढ़िया शरारत.
जवाब देंहटाएंवाह ... क्या बात है इस शरारत में भी ... मज़ा आ गया सुनील जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शरारत ,बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
जिनके हांथों मैंने दिया था फूल कभी ।
जवाब देंहटाएंउन्हीं के हाँथ का पत्थर आज मेरी तलाश में हैं ।
बहुत खूब, अच्छे काम का यही सिला मिलता है अक्सर :)
Yes... very funny... :)
जवाब देंहटाएंहल्के-फुल्के क्षणों में,दोस्तों के बीच ज़रूर चलता है यह सब।
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! बहुत रोचक शरारत...
जवाब देंहटाएंसुनील जी नमस्ते !
जवाब देंहटाएंआखरी वाला तो बहुत शरारत भरा है ... हा हा हा ...
मेरे ब्लॉग पर पधारने और अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
पहले वाला तो बहुत संजीदा शेर दिखा, बाद के दो शरारती:)
जवाब देंहटाएंवाह, शेर से शरारत की हिम्मत है..
जवाब देंहटाएंsher to sava sher nikhle .:) sharat acchi thi sher ki :) badhai aapko sunil ji
जवाब देंहटाएंblog par swagat hai aapka
http://sapne-shashi.blogspot.com
labbon per jo muskarahat khila de,payari si abhivayakti.
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंदूसरा ज्यादा गहन है ...!!
जबरदस्त!!
जवाब देंहटाएंha.ha.ha. ye chahat bhi khoob rahi.
जवाब देंहटाएंजिनके हांथों मैंने दिया था फूल कभी ।
जवाब देंहटाएंउन्हीं के हाँथ का पत्थर आज मेरी तलाश में हैं ।sidhi n
sacchi bat bina kisi lag lpet ke ....waah..
हा-हा-हा ...
जवाब देंहटाएंदो-चार गेसू हर निवाले में हैं।
लाजवाब!
बहुत खूब !!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब.. रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंha.. ha.. ha.. बड़ी कमाल की शरारत है शेरों के साथ. आखिरी शेर तो बेमिशाल है भई !
जवाब देंहटाएंपहला तो चोट करता है बाकी में शरारत है।
जवाब देंहटाएंसुधार लीजिए..
हाथ..हाथों
ha.. ha.. ha.. बड़ी कमाल की शरारत है...........इसका पिक्चर रूपांतरण मेरे ब्लॉग पर हो सकता है आपको पसंद आए
जवाब देंहटाएं