किसी कहानी के लिए ,कथानक ,संवाद भाषाशैली , पात्र चरित्रचित्रण ,देशकाल एवं वातावरण तत्वों का होना आवश्यक है । शायद यह सबसे छोटी कहानी होगी ।
एक रेल में दो आदमी यात्रा कर रहे थे । एक ने दुसरे से पूछा क्या आप भूतों पर विश्वास करते हैं ? दुसरे ने उत्तर दिया मैं तो करता हूँ । यह कह कर दोनों गायब हो गए ।
एक रेल में दो आदमी यात्रा कर रहे थे । एक ने दुसरे से पूछा क्या आप भूतों पर विश्वास करते हैं ? दुसरे ने उत्तर दिया मैं तो करता हूँ । यह कह कर दोनों गायब हो गए ।
सुंदर ......कहानी,...
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
badhiya ati laghu katha
जवाब देंहटाएंअपनी कहानी ...अपनी जुबानी...
जवाब देंहटाएं:-)
बढ़िया है सर.
सादर.
waah badi acchi kahani.
जवाब देंहटाएंछोटी सी अच्छी कहानी!
जवाब देंहटाएंआकर्षक व कौतुहल भरा प्रतिपर्ण उपस्थिति दर्ज करता हुआ .....बहुत सुन्दर /
जवाब देंहटाएंbahut badhia
जवाब देंहटाएंवाह-
जवाब देंहटाएंकाबिले-तारीफ़ है भूत-कथा..
जवाब देंहटाएंओह !
जवाब देंहटाएंअगर एक गायब होता तो दूसरे का क्या होता ????
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
एक पत्रकार एक भुतहा हवेली के पास पहुंचा। वहां एक नल से पानी पी रहे व्यक्ति से उसने पूछाःसुना है,यहां भूत रहते हैं,सच है क्या? पानी पी रहे व्यक्ति ने कहाःमुझे नहीं मालूम,मुझे मरे तो 80 साल हो गए!
जवाब देंहटाएंमजेदार......
जवाब देंहटाएंएक गायब हो जाता तो ठीक था यहाँ तो दोनों गायब हो गए ...
जवाब देंहटाएंमजेदार ... सच में लघुत्तम कहानी ...
कहानी कहने का यह अंदाज़ भी बढ़िया रहा .... :-)
जवाब देंहटाएंलघु नहीं लघुत्तर कहानी कही जाएगी यह .यदि दोनों में से एक ही गायब होता तो.?..... उपरोक्त प्रस्तुति हेतु आभार....
जवाब देंहटाएंभाई वाह!
जवाब देंहटाएंमजेदार लघुतर सत्यकथा.
जवाब देंहटाएंsundar kahani
जवाब देंहटाएंबहुत मजेदार...
जवाब देंहटाएंआपने यह कहानी सुनकर बचपन की याद ताज़ा कर दी ....बहुत बचपन में पिताजी से सुनी थी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसाहित्यिक समालोचना में इसे पढ़ा था। इतने दिनों बाद इसे पढ़कर अच्छा लगा और डॉ. टी.एन. सिंह के क्लास की याद आ गई।
जवाब देंहटाएंकमाल की , और मजेदार...
जवाब देंहटाएंदोनो को काहे गायब कर दिया। मैं नहीं करता कहकर नज़रें उठाता और पहला गायब हो जाता तो और मजा आता।:)
जवाब देंहटाएंरोचक!
जवाब देंहटाएं(अब हम भी गायब होते हैं इस टिप्पणि बॉक्स से)
बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
जवाब देंहटाएंनवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
दूसरों पर विश्वास करने के लिये अपने आप पर भरोसा करना जरूरी है ...बहुत बढ़िया
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