सोमवार, अप्रैल 25, 2011

एक पहेली



तंग गली में, तन्हा जो रहती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |


पेट पीठ से लगा है जिसका ,
जिस्म वोझ  से झुका है उसका |
फटे पुराने कपड़े पहने ,
पर खुद को रानी माँ कहती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |


रिश्तों के कितने गहने पहने ,
मगर भिखारिन सी लगती है |
सिर पर माँ का ताज पहन कर, 
घर में जो दासी सी रहती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |


जो सूखे में मुझे सुला कर ,
 और खुद गीले में सो लेती है |
उसकी कराह से मेरी नींद ना टूटे 
जो अपना गला दबा लेती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |


जो लोरी  गा  कर मुझे सुलाती ,
 लोरी बिन मुझे नींद ना आती |
 एक शब्द बस "माँ" सुनने को ,
 आज जो हर पल तरसा करती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |

37 टिप्‍पणियां:

  1. माँ................एक पहेली ही तो है
    ह्रदय को स्पर्श करने में सक्षम ........marmik रचना

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  2. माँ एक पहेली ही तो है ... उसकी ममता की गहराई को कोई समझ पाया है भला ...

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  3. इस पहेली को आजतक कोई नही सुलझा पाया है।

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  4. माँ................एक पहेली ही तो है
    कितनी ममता है उसके ह्रदय में अथाह सागर की तरह, खुद दुःख सहकर भी खुश होती है ........मर्मस्पर्शी रचना....

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  5. हृदयस्पर्शी भाव .....माँ का जीवन ऐसा ही होता है

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  6. हर बेटी इस पहेली को सुलझा लेती है जब वो खुद एक दिन माँ बनती है , अच्छी रचना |

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  7. आपने बहुत सुंदर शब्दों में मन के भावों को अभिव्यक्त किया है ..!
    अन्तर्मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती उम्दा कविता...
    सच मे मां मा होती हॆ..
    आपके शब्दों में कमाल का जादू है .....आप यूँ ही लिखते रहें ....

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  8. माँ के बारे में तो जो भी लिखेंगे उम्दा ही लगेगा. माँ होती ही ऐसी है. बहुत सुंदर बना है यह गीत.

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  9. माँ तो हे ही अपने आप में सम्पूर्ण श्रष्टि !माँ तुझे सलाम !

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  10. बहुत सुंदर कविता सुनीलजी.....माँ तो घर की रानी ही होती है......बच्चों के दिल पर राज़ करने वाली रानी....इससे ऊपर न कोई हुआ है...न कोई सो सकता है !

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  11. बहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण रचना..माँ सचमुच एक पहेली होती है..

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  12. सिर पर मां का ताज पहन कर
    घर में जो दासी सी रहती है....
    बहुत सुन्दर कविता है सुनील जी.

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  13. bhavpoorn lekhan...aap ek ek baat gahraaee se jante hai fir kaisee pahelee?
    ye hai mere liye ek pahelee ...... :)

    bahut sunder abhivykti
    aabhar

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  14. shivangee aarushi ke skatch aaj hee dhyan se dekhe prabhavit huee....
    unhe aasheesh .

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  15. भाई जी माँ तो भगवान के लिए भी पहेली ही है हमारी क्या बिसात...बहुत सुन्दर रचना !

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  16. "Maa" to bhagwaan ki woh anupam rachna hai ki khud bhagwaan bhi apni rachna pe garv karta hoga.....bahut hi marmsparshi.........thanks.

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  17. मां वो पहेली है जो संतान के हर सुख की पहल होती है॥

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  18. माँ के बारे में जितना कहा जाए कम ही है । मुझे तो माँ हर प्रश्न का उत्तर लगती है।

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  19. ह्रदय स्पर्शी और प्यारी सी रचना.

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  20. बहुत खूब।
    ..कुछ शब्द अनावश्यक लगे। जैसे..पर,और,जो,क्योंकि..।

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  21. माँ तो परमात्मा का ही रूप है . इस माँ रूपी पहेली का सिर्फ़ अन्तरमन में अनुभव ही किया जा सकता है.बहुत मार्मिक भाव. बधाई .

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  22. सच ये तो एक अबूझ पहेली है जितना समझना चाहो उतना ही खोते जाओ उसकी दुनिया और उसके बलिदानों में.बहुत मार्मिक प्रस्तुति

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  23. जितना जीवन जीता जाता,
    लगता उतना रीता जाता।

    सुन्दर प्रस्तुति।

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  24. एक - एक शब्द प्यार के अहसासों से सराबोर कर देने वाला ......सच में यह अहसास ऐसा है जिसे कभी भी खुद से जुदा नहीं किया जा सकता

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