तंग गली में, तन्हा जो रहती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |
पेट पीठ से लगा है जिसका ,
जिस्म वोझ से झुका है उसका |
फटे पुराने कपड़े पहने ,
पर खुद को रानी माँ कहती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |
रिश्तों के कितने गहने पहने ,
मगर भिखारिन सी लगती है |
सिर पर माँ का ताज पहन कर,
घर में जो दासी सी रहती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |
जो सूखे में मुझे सुला कर ,
और खुद गीले में सो लेती है |
उसकी कराह से मेरी नींद ना टूटे
जो अपना गला दबा लेती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |
जो लोरी गा कर मुझे सुलाती ,
लोरी बिन मुझे नींद ना आती |
एक शब्द बस "माँ" सुनने को ,
आज जो हर पल तरसा करती है |
वह मुझको एक पहेली लगती है |
सुन्दर कविता!
जवाब देंहटाएंis paheli ko suljhana aasaan nahi
जवाब देंहटाएंमाँ................एक पहेली ही तो है
जवाब देंहटाएंह्रदय को स्पर्श करने में सक्षम ........marmik रचना
माँ एक पहेली ही तो है ... उसकी ममता की गहराई को कोई समझ पाया है भला ...
जवाब देंहटाएंइस पहेली को आजतक कोई नही सुलझा पाया है।
जवाब देंहटाएंMeree to aankhen bhar aayeen!
जवाब देंहटाएंमाँ................एक पहेली ही तो है
जवाब देंहटाएंकितनी ममता है उसके ह्रदय में अथाह सागर की तरह, खुद दुःख सहकर भी खुश होती है ........मर्मस्पर्शी रचना....
हृदयस्पर्शी भाव .....माँ का जीवन ऐसा ही होता है
जवाब देंहटाएंहर बेटी इस पहेली को सुलझा लेती है जब वो खुद एक दिन माँ बनती है , अच्छी रचना |
जवाब देंहटाएंbhawpoorn......
जवाब देंहटाएंVery soulful :)
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सुंदर शब्दों में मन के भावों को अभिव्यक्त किया है ..!
जवाब देंहटाएंअन्तर्मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती उम्दा कविता...
सच मे मां मा होती हॆ..
आपके शब्दों में कमाल का जादू है .....आप यूँ ही लिखते रहें ....
बहुत भावनात्मक रचना ....!
जवाब देंहटाएंमाँ के बारे में तो जो भी लिखेंगे उम्दा ही लगेगा. माँ होती ही ऐसी है. बहुत सुंदर बना है यह गीत.
जवाब देंहटाएंमाँ तो हे ही अपने आप में सम्पूर्ण श्रष्टि !माँ तुझे सलाम !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता सुनीलजी.....माँ तो घर की रानी ही होती है......बच्चों के दिल पर राज़ करने वाली रानी....इससे ऊपर न कोई हुआ है...न कोई सो सकता है !
जवाब देंहटाएंभावप्रवण कविता !
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण रचना..माँ सचमुच एक पहेली होती है..
जवाब देंहटाएंसिर पर मां का ताज पहन कर
जवाब देंहटाएंघर में जो दासी सी रहती है....
बहुत सुन्दर कविता है सुनील जी.
bhavpoorn lekhan...aap ek ek baat gahraaee se jante hai fir kaisee pahelee?
जवाब देंहटाएंye hai mere liye ek pahelee ...... :)
bahut sunder abhivykti
aabhar
shivangee aarushi ke skatch aaj hee dhyan se dekhe prabhavit huee....
जवाब देंहटाएंunhe aasheesh .
भाई जी माँ तो भगवान के लिए भी पहेली ही है हमारी क्या बिसात...बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंbahut khub maa yek paheli hi to hai ......
जवाब देंहटाएं"Maa" to bhagwaan ki woh anupam rachna hai ki khud bhagwaan bhi apni rachna pe garv karta hoga.....bahut hi marmsparshi.........thanks.
जवाब देंहटाएंयह पहेली दिल से हल की जाती है..
जवाब देंहटाएंmaarmik rachnaa !haan ek bhaav paheli lgti hai maa !
जवाब देंहटाएंveerubhai .
मां वो पहेली है जो संतान के हर सुख की पहल होती है॥
जवाब देंहटाएंमाँ के बारे में जितना कहा जाए कम ही है । मुझे तो माँ हर प्रश्न का उत्तर लगती है।
जवाब देंहटाएंह्रदय स्पर्शी और प्यारी सी रचना.
जवाब देंहटाएंसुनील जी, मन को छू गये भाव।
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ब्लॉग समीक्षा की 12वीं कड़ी।
अंधविश्वासी लोग आज भी रत्न धारण करते हैं।
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएं..कुछ शब्द अनावश्यक लगे। जैसे..पर,और,जो,क्योंकि..।
माँ तो परमात्मा का ही रूप है . इस माँ रूपी पहेली का सिर्फ़ अन्तरमन में अनुभव ही किया जा सकता है.बहुत मार्मिक भाव. बधाई .
जवाब देंहटाएंhar paheli ka samaadhaan hai "maa"...
जवाब देंहटाएंसच ये तो एक अबूझ पहेली है जितना समझना चाहो उतना ही खोते जाओ उसकी दुनिया और उसके बलिदानों में.बहुत मार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजितना जीवन जीता जाता,
जवाब देंहटाएंलगता उतना रीता जाता।
सुन्दर प्रस्तुति।
एक - एक शब्द प्यार के अहसासों से सराबोर कर देने वाला ......सच में यह अहसास ऐसा है जिसे कभी भी खुद से जुदा नहीं किया जा सकता
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है।
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