एक और गणतंत्र दिवस
कल फिर हम मनाएंगे |
अपनी आजादी पर हम
संविधान की मुहर लगायेंगे |
कुछ लोग तिरंगा लेकर ,
गलियों सड़कों में घूमेंगें |
भारत महान और जय हिंद ,
के नारे भी आकाश में गूंजेंगे |
मग़र उसी गली के भूखे बच्चे ,
उन्हीं सड़कों पर नंगे ही सो जायेंगे |
जय जवान और जय किसान के
नारे भी दोहराय जायेंगे |
नई योजना औए नये वादों से ,
हम फिर बहलाए जायेंगे |
मग़र क़र्ज़ से दबे किसान
बस यूँही मरते जायेंगे |
जय जवान की ज्योति पर ,
फिर फूल चढ़ाये जायेंगे |
कुछ बंदूकें भी गरजेंगी ,
कुछ गोले भी दागे जायेंगे |
मग़र उन्हीं शहीदों के भूखे बच्चे ,
सड़कों पर दर दर ठोकर खायेंगे |
एक और गणतंत्र दिवस
कल फिर हम मनाएंगे |
अपनी आजादी पर हम
संविधान की मुहर लगायेंगे |
मै भी इस सोच में हू यह गणतंत्र किन गणो के लिये है
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र मना लेंगे पर समुचित उत्साह कब आयेगा?
जवाब देंहटाएंyahi sab hum her saal karenge , ek geet bhi baja denge - shahidon tumko mera salaam
जवाब देंहटाएंबस एक दिन केवल गीत ही गाने को रह गये बाकी आज़ादी तो नेताओं को है गरीब तो अभी भी बेबसी मे है। अच्छी रचना के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंआज गणतंत्र दिवस मनाना एक औपचारिकता के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं रह गया है........अच्छी लगी आपकी रचना।
जवाब देंहटाएंhaan sunil jee republic day ka matlab hi aaj kewal aupchaarikta rah gaya hai....par aaj bhi bahut log hai jinke sine me hindustaan dhadkata hai...
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा सर!
जवाब देंहटाएंसादर
औपचारिकता तो निबाहनी ही है न ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसही कहा सिर्फ़ एक दिन ही याद किया जाता है ।
जवाब देंहटाएंयथार्थ पर आधारित उत्तम प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंहम आजाद हैं और हमारा अपना संविधान है इस बात पर खुश होकर जोश भरे दिल से गणतन्त्र दिवस मनाएं ! आपको बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंविषमताओं के बीच ही सही गणतंत्र दिवस की बधाई !
जवाब देंहटाएंsach kahate hai. iske alava hum aur aap kaya kar sakte hai sunil ji?
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की सच्ची तस्वीर दिखाई आपने.. Gunतंत्र हो चला है अब तो गणतंत्र!!
जवाब देंहटाएंAchcha kaha hai sunil bhai.
जवाब देंहटाएंKhushi ke mouke par saare dukh ubhar kar aa jaate hain.
Aakhir Sachchaai to sachchai hi hai.
यह कैसा गणतंत्र ?
जवाब देंहटाएंप्रश्न चिन्ह तो लगता ही है |
यही सच है पर कब सब कुछ बदलेगा इसका ही इंतजार है
जवाब देंहटाएंekdam theek kah rahe hain aap.fir wahi sab hoga.
जवाब देंहटाएंऐसी औपचारिकता के साथ ही बदलाव की भी दरकार है..... सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंJaisabhi hai,apna hee hai! Gantantr Diwas kee dheron shubhkamnayen!
जवाब देंहटाएंnaya badlav kab hoga
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ...अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंहम सभी एक नया भारत बनाना चाहते है , किन्तु हम सिर्फ कहते ही है , कुछ करने के लिये कोई बाहर से नही आने वाला , हमे ही कुछ करना होगा
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !
प्रयास रहे कि अगला गणतंत्र दिवस बेहतर बनाएंगे.
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंUnfortunately , this is the bitter truth !
But anyways , let us enjoy whatever we have.
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असली उत्सव तो तभी होगा जब देश में कोई बच्चा भूखा ना होगा | अच्छी रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना .. देश में व्याप्त समस्याओ का मर्मस्पर्शी चित्रण..
जवाब देंहटाएंजी ऐसा ही है हमारा गणतंत्र ...
जवाब देंहटाएंअभी कल ही एस ऍम हबीब साहब की बहुत अच्छी रचना पढ़ी ब्लॉग पर ....
गणतंत्र शुभकामनाओं की गठरी लिए सड़क पर गिरा पड़ा था ...
सही कहा आपने,
जवाब देंहटाएंराष्ट्रीय पर्वों में अब पहले जैसी गरिमा नहीं दिखती।
अच्छी रचना।
अब पहले जैसा उत्साह देखने को नहीं मिलता ..ख़ास कर युवा पीढ़ी में तो बिलकुल भी नहीं ...शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस एक उल्लास का उत्सव है. आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए.
जवाब देंहटाएंभरोसा रखें धीरे धीरे बदलाव आएगा ! शुभकामनायें आपको
जवाब देंहटाएंसच में औपचरिकता ही रह गये हैं देश के पर्व। अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंबदलाव जरुर आएगा....बहुत सुन्दर रचना है.....शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंसच में ऐसे गणतंत्र का क्या फाय्दा.. संवेदनशील रचना है बहुत ...
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