जीने की शर्त
क्यों लगा दिए ?
दुनिया ने अपनी शर्तों के पहिये ,
मेरी जीवन की गाड़ी में I
शर्तों का मानना भी जरुरी है
क्योंकि ज़िन्दा रहना मज़बूरी है I
काश ! यह दुनिया मैंने बनायी होती,
तो जीने की कोई नहीं ,
शर्त लगायी होती I
मैं इसे एक कश्ती का नाम देता
और समय के सागर में उतार देता I
उन निश्छल हवाओं के सहारे
जो इसे लगा देती किनारे I
शर्तों और तर्कों में बँधा जीवन।
जवाब देंहटाएंपर वहां भी होती शर्त हौसला के सहारे मिलेगे किनारे
जवाब देंहटाएंसुन्दर,,
शर्तों के बिना तो भगवान चलने नही देते।इसी लिये तो उसने बहुत कुछ अपने पास रखा है ताकि आदमी अपनी मर्जी न कर सके। सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण कविता ,सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
जवाब देंहटाएंbahut sunder kavita.
जवाब देंहटाएंbeshart ki zindagi ... aur n jane kitne khwaab
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक कहा सुनील भाई .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
... prasanshaneey rachanaa !!
जवाब देंहटाएंकवि के मन की कल्पना को कभी बांध पायी है शर्तें ? सुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंकाश जिंदगी बिना शर्तों के जी सकते ! पर यह कहाँ संभव है.बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंachchhi chahat wali sundar rachna.
जवाब देंहटाएंmagar yah mumkin kahan?
बहुत खुब। क्या जिन्दा रहने की यही शर्त है यहॉ के सारे शर्तो को मानना पड़ेगा।बात है।
जवाब देंहटाएंकाश ये दुनिया मैने बनायीं होती
जवाब देंहटाएंतो जीने की कोई shart भी ना लगायी होती
बहुत सुंदर रचना
सोच में नयापन है
जवाब देंहटाएंBahut hi khubsurat abhivyakti.
जवाब देंहटाएं-Gyanchand Marmagya
कल्पना कर रहा हूँ, कैसा होता होगा शर्त विहीन जीवन! आदत जो पड़ गई है शर्तों के साथ जीने की!
जवाब देंहटाएंकाश ! यह दुनिया मैंने बनाई होती ,
जवाब देंहटाएंतो जीने की कोई नहीं, शर्त लगे होती !
मैं इसे एक कश्ती का नाम देता ,
और समय के सागर में उतर देता !
काश ! बहुत सुन्दर भाव !
बिना शर्त का जीवन ......!!
जवाब देंहटाएंअच्छी कल्पना है -
जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
जवाब देंहटाएंप्रभावी रचना ...... यही शर्तें बांधें रखती है ....
जवाब देंहटाएंशर्तों में ही तो बंधा है ये जीवन!
जवाब देंहटाएंअच्छी भावाभिव्यक्ति है .
-अल्पना वर्मा
shukria,
जवाब देंहटाएंshart, calander, naya saal,
good , better , BEST
bhai sunilji bahut sundar kavita badhai
जवाब देंहटाएंबिना शर्त का जीवन , सुन्दर परिकल्पना . सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंsunil ji jivan ki kashti me sharton ki patavare lagi hai tabhi to kinare pahunchneka maja hai..........is baar ki rachna mujhe bahut sunder lagi.....
जवाब देंहटाएंजीने की शर्त...
जवाब देंहटाएंशर्तों पे ज़िंदगी...
बहुत बहिया रचना... एकदम सत्य को शब्द दे दिए आपने...
मकर संक्रांति, लोहरी एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं...
Sunil ji...Rachna bahut pasand aayi.
जवाब देंहटाएंZindagi ke prati aapka nazaryia swagatyogay hai.
Apko MAKAR SANKRANTI, PONGAL AUR LOHRI KI HARDHIK SHUBHKAAMNAYEN.
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुस्ति!
जवाब देंहटाएंलोहड़ी, पोंगल एवं मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत ही सुन्दर! बेहतरीन अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और भावपूर्ण कविता. ......... सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?
बस ये काश ही तो रह जाता है साथ ......
जवाब देंहटाएंआपके मन के भाव, अपने अपने से लगते हैं।
जवाब देंहटाएं---------
डा0 अरविंद मिश्र: एक व्यक्ति, एक आंदोलन।
एक फोन और सारी समस्याओं से मुक्ति।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंदुनिया रचने की कल्पना अद्भुत है।
जवाब देंहटाएंकाश, ऐसा हो सकता कि हम अपनी दुनिया ख़ुद बनाते।
एक अच्छी कविता का सृजन करने के लिए बधाई।
बहुत ही प्रभावशाली रचना
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लेखन का नमूना
लेखन के आकाश में आपकी एक अनोखी पहचान है ..
सराहनीय प्रस्तुति . अब तो शर्त बिना का जीवन भी काटने को दौड़ेगा. आदत जो पड़ गयी है
जवाब देंहटाएंजीवन की यही पहेली
जवाब देंहटाएंशर्त है उसकी सहेली
अतीव सुन्दर रचना एवं आपकी बच्चो की अति सुन्दर कृति .
आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.
- अमन अग्रवाल "मारवाड़ी"
amanagarwalmarwari.blogspot.com
marwarikavya.blogspot.com
SUNDAR BHAAV SAJAAYE HAIN ... PAR YE JEEVAN KADAM KADAM PAR SHARTON SE BHARA HAI ...
जवाब देंहटाएंsabhi rachnayein bahut hi sunder hai
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