जब हम अंधे, बहरे, लंगड़े या लूले हो जाते है |
तो हम इस समाज की सहानुभूति पाते है |
मग़र जब हम ऊँचा या कम सुनते है ,
तो उसी समाज में हास्य का कारण बन जाते है |
जब आप आपने को इस अवस्था में पाइये |
तो थोड़ा सा सृजन कार्य करके कवि बन जाइये |
मग़र तब एक समस्या आपके सामने आएगी |
मगर वह भी आपको थोड़ा आनंद दे जाएगी |
क्योंकि जब जनता बोर बोर चिल्लाएगी |
तब आपके कानों में वंस मोर की आवाज आयेगी |
Dunia ka dastoor hi yahi hai sir....
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर! बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसुनील जी!
जवाब देंहटाएंकविता का हास्य पक्ष होठों पर मुस्कुराहट लाता है बरबस! किंतु मानवता का पक्ष चिंता पैदा करता है... बचपन में जब आकशवाणी में बच्चे विकलांगों से सम्बंधित चुटकुले सुनाना चाहते थे तो हमारे प्रोड्यूसर उनको मना कर देते थे... आज भी उसी परिपाटी पर चलता हूँ...
क्षमा करेंगे!
:) हूँ .... यही होने वाला है .....
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी मैं आप की बात से शत प्रतिशत सहमत हूँ ऊँचा सुनने का एक कारण बढती हुई उम्र होती है
जवाब देंहटाएंजिसमें उस व्यक्ति का कोई दोष नहीं होता मग़र फिर भी लोग उस पर हँसते है भांति भांति के लतीफे सुनाये जाते है ऐसे लोगों को यह जबाब है किसी की विकलांगता का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए इस रचना का आशय यही है
बहुत खूब सुनीलजी.
जवाब देंहटाएंवन्स मोर, एक छक्का और.
shat pratishat sahi ...uncha sunne per hansne me der nahi lagti, yani makhaul udaate
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंवंस मोर... वंस मोर... हा... हा... हा.... बिलकुल सही बात. अच्छी, हल्की, फुल्की, मजेदार बात
जवाब देंहटाएंvah vah !
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (20/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
hehehheee... bahut acchhe... sahe hai... ab to jaanbooj kar kam sunenge...
जवाब देंहटाएंbouth he aacha blog hai jii aapka.. nice post
जवाब देंहटाएंMusic Bol
Lyrics Mantra
सुनील जी! मेरे अनुरोध को सहृदयता से ग्रहण कर आपने मेरा मान बढ़ाया है... इसके लिये आभारी हूँ आपका! बहुत डरते डरते लिख गया था..
जवाब देंहटाएंस्वयं पर हँसना बहुत अच्छा लगता है कभी कभी।
जवाब देंहटाएंbahut achche.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना हंसते हंसाते कुछ कहना लिखना एक मुश्किल काम है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही कहा है आपने ...
जवाब देंहटाएंअंधे , बहरे , अपाहिज , दुखियारे पर ही लोग तरस खाते हैं। यदि कोई स्वाभिमान के साथ जीना चाहे , तो लोग दुश्वार कर देते हैं उसका मकाम। फिर भी , सहानुभूति से तो बेहतर है , संघर्ष करते हुए , इज्ज़त के साथ मर जाना।
जवाब देंहटाएं:):) बहुत बढ़िया .....
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .....!!
चलिए आपके लिए .....
more ....more ...more .....
अच्छा,
जवाब देंहटाएंहास्य भी लिखते हैं.
aha!
जवाब देंहटाएंkya kahna !
हास्य में भी आप व्यंग्य का पुट डालना नहीं भूले
जवाब देंहटाएंacchha likhaa hai aapne.....!!
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएं...
kya bat hai
....
mere blog par
"jharna"
बहुत ख़ूब। रचना बहुत पसंद आई।
जवाब देंहटाएंha ha ha bahut majedar rachna .....
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंsunil ji maza aa gaya.saari rachnaaen padheen.marvellous
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