मग़र
सावन की रिमझिम फुहारों में आप .
अपने जीवन का आनंद लीजिये |
मग़र टूटे मकानों में रहते है जो ,
कुछ उनकी छतों का भी ध्यान कीजिये |
सींचा है तुमने जिस वृक्ष को
आप उसे कल्प वृक्ष नाम दीजिये |
मग़र सूखे दरख्तों के गिर जाने पर
आँधियों को मत इल्जाम दीजिये |
अपने घरों की बहू बेटियों को
आप देवियों सा सम्मान दीजिये |
मग़र रोटी से तन का जो सौदा करे
कोई उसे दूजा मत नाम दीजिये |
आँखों से टपके जो आँसू कोई
आप उसे मोतियों का नाम दीजिये |
मग़र रोटी को रोते हुए बच्चे के
आँसुओं को पानी मत मान लीजिये |
बड़े ही कोमल भाव उकेरे हैं।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने सुनील जी!...अपनों में और परायो में फरक क्यों किया जाए?... अपने दर्द को दर्द समझने वाले दूसरों के दर्द को भी समझें तो अच्छा है... सुंदर कविता,धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता करते हैं आप जो कि मेरा प्रांत नही है। पर आपने मेरी पोस्ट धुन की पक्की महिलाएँ पर एक टिप्पणी छोडी है। धन्यवाद। खृपया अपना इमेल पता बताएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है
जवाब देंहटाएं"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
जवाब देंहटाएंमग़र रोटी को रोते हुए बच्चे के
जवाब देंहटाएंआँसुओं को पानी मत मान लीजिये |
अंतिम पंक्तियाँ सब पर भारी हैं ......!!
हमारीवाणी का लोगो अपने ब्लाग पर लगाकर अपनी पोस्ट हमारीवाणी पर तुरंत प्रदर्शित करें
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.
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उम्दा भाव. अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha aapne ...
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhavo kee abhivykti..........ek sarthak sandesh detee kavita bahut pasand aaee .
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखते है सुनील भाई,आज पहली बार आपके ब्लाग पर आना हुआ। आपकी संवेदना व्यापक है..
जवाब देंहटाएंबधाई
डा.अजीत
www.shesh-fir.blogspot.com
www.monkvibes.blogspot.com
bhaav atiuttam aur badiya sandesh ... badhayi
जवाब देंहटाएंशानदार व विचारणीय प्रेरक प्रस्तुती ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुती , माधव के ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंkudos..sir..d poem has sparked d morbidity n the true veracity of our so calld..the incredible...india n need of tym is to wrk concomitantly..to grapple over d odds,,,n think above the common thoughts...again..too gud..
जवाब देंहटाएंआँखों से टपके जो आँसू कोई
जवाब देंहटाएंआप उसे मोतियों का नाम दीजिये |
मग़र रोटी को रोते हुए बच्चे के
आँसुओं को पानी मत मान लीजिये |
Bahut hi sundar lines hai.
aise hi likhte rahiye.