ज़िन्दगी की कश्ती में हिम्मत की पतवार होना चाहिए ।
मोड़ सकते हैं हम तूफानों का रुख, दिल में यह एतवार होना चाहिए।
मेरी कश्ती तो टूटी थी जो मौजों में फंस कर डूब गयी ।
मेरे डूबने पर तूफानो को नहीं नाज़ होना चाहिए ।
मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
कश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।
वह कश्तियाँ जो हवाओं के सहारे ही किनारों से जा लगी ।
उनको अपनी किस्मत का एहसानमन्द होना चाहिए ।
कागज की कश्तियों से वह समुन्दर भी पार करले ।
बस उस नाख़ुदा को, ख़ुदा पर एतवार हों चाहिए ।
बहुत खूबसूरत गजल प्रेरणा देती हुई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
जवाब देंहटाएंआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
बढिया, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर.
जवाब देंहटाएंविश्वास बाँध कर रखता जग को..
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्ररणा दायक ग़ज़ल !
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
New post तुम ही हो दामिनी।
बहुत लाजबाब प्रेरणात्मक गजल,,,,बधाई सुनील कुमार जी,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST शहीदों की याद में,
हिम्मत और विश्वास का भाव जगाती
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक गजल...
बहुत ही लाजवाब....
:-)
वह कश्तियाँ जो हवाओं के सहारे ही किनारों से जा लगी ।
जवाब देंहटाएंउनको अपनी किस्मत का अहसानमंद होना चाहिए ।
...बहुत प्रेरक और ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
वह कश्तियाँ जो हवाओं के सहारे ही किनारों से जा लगी ।
जवाब देंहटाएंउनको अपनी किस्मत का अहसानमंद होना चाहिए ।
बहुत खूब ... किस्मत साथ दे तो एहसानमंद जरूर होना चाहिए ...
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंprerit karti hui......
जवाब देंहटाएंविश्वास होगा तो पार हो जायेंगें
जवाब देंहटाएंमेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
जवाब देंहटाएंकश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।
Bahut Umda....
कागज की कश्तियों से वह समुन्दर भी पार करले ।
जवाब देंहटाएंबस उस नाख़ुदा को, ख़ुदा पर एतवार हों चाहिए ।-----bahut sunder sarthak bhaw badhai
wahhh... Behtreen Rachna... Badhai...
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html
मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
जवाब देंहटाएंकश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।
बहुत सुंदर, सशक्त और प्रेरणात्मक अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई!!!
ब्लाग पर माता-पिता की तस्वीरें देख अच्छा लगा....
मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
जवाब देंहटाएंकश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।
यथार्थ को आत्मसात करती सुंदर रचना...
किश्ती मेरी दो चार बड़े, हिचकोले खायी, तो क्या है ।
जवाब देंहटाएंउसको भी अपनी कमजोरी कुछ याद तो रहनी ही चाहिए !
शुभकामनायें सुनील जी !
मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
जवाब देंहटाएंकश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।
...वाह! बहुत उम्दा अहसास...सुन्दर ग़ज़ल..
कश्ती का नसीब ... कुछ अपने हाथ में..कुछ खुदा के....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना...!
आभार!
~सादर!!!
वाह ...सार्थक और सुंदर रचना .....
जवाब देंहटाएंआप भी पधारो स्वागत है ...
http://pankajkrsah.blogspot.com
सुनील जी, 9 अप्रैल को हैदराबाद आने का प्लान बन रहा है। क्या आप अभी वहीं हैं। यदि हां, तो कृपया अपना नं0 मेल (zakirlko@gmail.com) करिएगा।
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