शुक्रवार, फ़रवरी 01, 2013

आज एक ताज़ा ग़ज़ल


ज़िन्दगी की कश्ती में हिम्मत की पतवार होना चाहिए ।
मोड़  सकते हैं हम तूफानों का रुख, दिल में यह एतवार होना चाहिए।

मेरी कश्ती तो टूटी थी जो मौजों में फंस कर डूब गयी ।
मेरे डूबने पर तूफानो  को नहीं नाज़  होना चाहिए ।

मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
कश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।

वह कश्तियाँ जो हवाओं  के सहारे ही किनारों से जा लगी ।
उनको अपनी किस्मत का एहसानमन्द    होना चाहिए ।

कागज  की कश्तियों  से  वह समुन्दर भी पार करले  ।
बस उस नाख़ुदा को, ख़ुदा पर एतवार  हों चाहिए ।


23 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत लाजबाब प्रेरणात्मक गजल,,,,बधाई सुनील कुमार जी,,,

    RECENT POST शहीदों की याद में,

    जवाब देंहटाएं
  2. हिम्मत और विश्वास का भाव जगाती
    प्रेरणादायक गजल...
    बहुत ही लाजवाब....
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  3. वह कश्तियाँ जो हवाओं के सहारे ही किनारों से जा लगी ।
    उनको अपनी किस्मत का अहसानमंद होना चाहिए ।

    ...बहुत प्रेरक और ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

    जवाब देंहटाएं
  4. वह कश्तियाँ जो हवाओं के सहारे ही किनारों से जा लगी ।
    उनको अपनी किस्मत का अहसानमंद होना चाहिए ।

    बहुत खूब ... किस्मत साथ दे तो एहसानमंद जरूर होना चाहिए ...

    जवाब देंहटाएं
  5. विश्वास होगा तो पार हो जायेंगें

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
    कश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।

    Bahut Umda....

    जवाब देंहटाएं
  7. कागज की कश्तियों से वह समुन्दर भी पार करले ।
    बस उस नाख़ुदा को, ख़ुदा पर एतवार हों चाहिए ।-----bahut sunder sarthak bhaw badhai

    जवाब देंहटाएं
  8. wahhh... Behtreen Rachna... Badhai...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html

    जवाब देंहटाएं
  9. मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
    कश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।

    बहुत सुंदर, सशक्त और प्रेरणात्मक अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई!!!
    ब्लाग पर माता-पिता की तस्वीरें देख अच्छा लगा....

    जवाब देंहटाएं
  10. मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
    कश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।

    यथार्थ को आत्मसात करती सुंदर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  11. किश्ती मेरी दो चार बड़े, हिचकोले खायी, तो क्या है ।
    उसको भी अपनी कमजोरी कुछ याद तो रहनी ही चाहिए !


    शुभकामनायें सुनील जी !

    जवाब देंहटाएं
  12. मेरी कश्ती दो चार हिचकोले खा गयी तो क्या हुआ ।
    कश्तियों को भी अपने कमज़ोरी का, अहसास होना चाहिए ।

    ...वाह! बहुत उम्दा अहसास...सुन्दर ग़ज़ल..

    जवाब देंहटाएं
  13. कश्ती का नसीब ... कुछ अपने हाथ में..कुछ खुदा के....
    बहुत सुंदर रचना...!
    आभार!
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  14. वाह ...सार्थक और सुंदर रचना .....
    आप भी पधारो स्वागत है ...
    http://pankajkrsah.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  15. सुनील जी, 9 अप्रैल को हैदराबाद आने का प्‍लान बन रहा है। क्‍या आप अभी वहीं हैं। यदि हां, तो कृपया अपना नं0 मेल (zakirlko@gmail.com) करिएगा।

    जवाब देंहटाएं