रविवार, दिसंबर 30, 2012

एक पिता कि चिन्ता .....





कूद कर मेरी बेटी का 
गोद में बैठ जाना 
गलें  में बाहें डाल कर ,
कुछ माँगना
और हँसकर,मेरा उसकी ,
 मांग को पूरी करना |
मगर आज, माँगा है उसने ,
सलवार और कुर्ता,
फ्राक के बदले |
क्योंकि वह हो गयी है बड़ी|
अचानक मेरा ,
गहरी सोंच में डूब जाना   
डर कर सहम जाना |
उसे इस वहशी समाज ,
 से कैसे है बचाना ?


(पुन: प्रकाशित) 

16 टिप्‍पणियां:

  1. आज के वक्त में सबकी सबसे बडी चिंता ही ये है ..कि अपनी ही बेटी को कैसे सुरक्षित रखे

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  2. ऐसे माहौल में ये चिंता बिलकुल उचित है.

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  3. हर पिता का मन मां की सोच का समर्थन करने लगा है ....

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  4. विचारणीय कहूं या फिर समाज के मुंह पर तमाचा..
    लेकिन हकीकत कब तक मुंह मोडा जाएगा..

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  5. दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए,
    मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
    ज्यों कहीं फिसल गए।
    कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
    कुछ आकुल,विकल गए।
    दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए।।
    शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
    इस उम्मीद और आशा के साथ कि

    ऐसा होवे नए साल में,
    मिले न काला कहीं दाल में,
    जंगलराज ख़त्म हो जाए,
    गद्हे न घूमें शेर खाल में।

    दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
    प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
    बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
    ऐसा होवे नए साल में।

    Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

    May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!

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  6. चिंतनीय है यह।

    नव-वर्ष की अशेष शुभकामनाएं।

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  7. नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।




    मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

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  8. सही कहा है..हम सभी को उन्हें सुरक्षित भविष्य देने का प्रयास करना है..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  9. पिता की सच्ची चिंता आज के समय में ...
    बहुत कुछ कहती है ये रचना ...

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  10. एक ही उपाय है की अब अपनी बेटियों को सीता नहीं बल्कि रण चंडी बनाने का पाठ पढ़ना होगा तभी कुछ हो सकता है।

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  11. यह चिंता बहुत परेशां करती है

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  12. bahut sahi kaha apne ...Badhai ...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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  13. चिंता से ज़्याद शर्म महसूस हो रही है।

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