मेरे शहर में एक गली हो ऐसी ,
जहाँ मुहब्बत ही पल रही हो ।
जहाँ फ़ज़र की नमाज भी हो .
और लौ आरती की भी जल रही हो ।
क से काशी और क से काबा ,
म से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।
चलो उखाड़ कर हम फेंकें ,
दहशत के उन पेंड़ों को ।
इधर साख हो जिनकी फैली,
मगर उधर जड़ निकल रही हो ।
जहाँ मुहब्बत ही पल रही हो ।
जहाँ फ़ज़र की नमाज भी हो .
और लौ आरती की भी जल रही हो ।
क से काशी और क से काबा ,
म से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।
चलो उखाड़ कर हम फेंकें ,
दहशत के उन पेंड़ों को ।
इधर साख हो जिनकी फैली,
मगर उधर जड़ निकल रही हो ।
चलो उखाड़ कर हम फेंकें ,
जवाब देंहटाएंदहशत के उन पेंड़ों को ।
इधर साख हो जिनकी फैली,
मगर उधर जड़ निकल रही हो ।
adbhud likhe hain......
behtreen sher.........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंगहन अर्थ लिए हुए शेर.......
सादर
अनु
सब मिलजुल रहें, उसी में सबका भला है..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंकाश सब तक ये संदेश पहुंच जाए
मेरे शहर में एक गली हो ऐसी ,
जवाब देंहटाएंजहाँ मुहब्बत ही पल रही हो
सुन्दर विचार... बेहतरीन प्रस्तुति
क से काशी और क से काबा ,
जवाब देंहटाएंम से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।
वाह,,,, बहुत ही सुंदर शेर ,,,,बधाई सुनील जी,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
क से काशी और क से काबा ,
जवाब देंहटाएंम से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।
वाह, बहुत खूब .. सुंदर
साभार !!
क से काशी और क से काबा ,
जवाब देंहटाएंम से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।
Kya baat hai!
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रवृष्टि कल दिनांक 16-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-942 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
चलो उखाड़ कर हम फेंकें ,
जवाब देंहटाएंदहशत के उन पेंड़ों को ।
इधर साख हो जिनकी फैली,
मगर उधर जड़ निकल रही हो ।
बहुत सुन्दर विचार
बहुत बेहतरीन रचना:-)
.सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.बधाई . अपराध तो अपराध है और कुछ नहीं ...
जवाब देंहटाएंजिनमें दिल की बात हो, सच्चे वो अशआर।
जवाब देंहटाएंसच्चे शेरों से सभी, करते प्यार अपार।।
मेरे शहर में एक गली हो ऐसी ,
जवाब देंहटाएंजहाँ मुहब्बत ही पल रही हो ।
जहाँ फ़ज़र की नमाज भी हो .
और लौ आरती की भी जल रही हो ।
़़़़़़़़़़़़़़
बहुत अच्छी बात है कहाँ होता है
लेकिन मेरे शहर में ये होता है ।
मेरे शहर में एक गली हो ऐसी ,
जवाब देंहटाएंजहाँ मुहब्बत ही पल रही हो ।
जहाँ फ़ज़र की नमाज भी हो .
और लौ आरती की भी जल रही हो ।
वाह ... बहुत खूब ।
वाह बहुत खूब ....:)
जवाब देंहटाएंकल 18/07/2012 को आपके ब्लॉग की प्रथम पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' ख्वाब क्यों ???...कविताओं में जवाब तलाशता एक सवाल''
क से काशी और क से काबा ,
जवाब देंहटाएंम से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।
बहुत खूब!
bade acche vichar ...
जवाब देंहटाएंउम्दा ख़्यालात की ग़ज़ल. बहुत ख़ूब.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ... खूबसूरत खयाल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शेर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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