बुधवार, जनवरी 04, 2012

"टिनटिन एक्प्रेस " (लघुकथा)

एक महानगर की सोसाइटी, पाँच अपार्टमेन्ट वह भी तीन मंजिल के   कुल मिला कर एक सामान्य सी
सोसाइटी थी  | उसका वाचमैन जगदीश उसकी पत्नी और उनका बेटा , यह  स्टाफ था सुरक्षा के लिए |
जगदीश जब रात  की ड्यूटी करके सोता तो उसका आठ साल का  बेटा  टिनटिन गेट पर तैनात हो जाता |
बीच बीच में किसी मेमसाब की आवाज सुन कर जाता और उनका कोई छोटा मोटा काम जैसे बाज़ार से
ब्रेड लाना या कोई सब्जी खरीद कर लाना और बदले में उसे मिलता था उनके बच्चों के नाश्ते में बची हुई
ब्रेड या कोई फल |दिन भर एक  बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग भागता रहता था| इस लिए उसका नाम पड़ गया
"टिनटिन एक्प्रेस " यह सब उसकी एक सामान्य दिनचर्या  बन चुकी थी |
एक दिन अचानक टिनटिन दिखाई नहीं दिया| सोसाइटी की सभी औरतों की परेशानी बढ़ती जा रही थी |             आखिर टिनटिन कहाँ चला गया घर का बहुत  सा काम रुका हुआ था |शाम को कुछ औरतें वाचमैन के
घर पहुंची और टिनटिन के बारे में मालूम किया, क्या हुआ उसको ? वह ठीक तो है ना !
टिनटिन की माँ ने बताया की एक साहेब आये थे उन्होंने टिनटिन का नाम एक स्कूल में लिखा दिया है |
वही उसके खाने पीने और फीस का इंतजाम करंगे | और टिनटिन भी खुश है |
सभी औरतें जब घर से बाहर निकलीं तो उनके चेहरे पर खीझ और दिल में गालियाँ थी  उस अनजान
आदमी के लिए ................


46 टिप्‍पणियां:

  1. नव-वर्ष की मंगल कामनाएं ||

    धनबाद में हाजिर हूँ --

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  2. सुनील जी,..समाज का यही है असली नकली चेहरा,....
    अनुरोध के बाद भी आप मेरे पोस्ट पर नही पधारे..आइये आपका
    स्वागत है,..

    "काव्यान्जलि":

    नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
    अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,

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  3. बहुत ही सही बात लिखी गई इस लघुकथा के माध्‍यम से ..अक्‍सर ऐसा ही होता है ...

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  4. बच्चों को पढ़ने का अधिकार मिलना ही चाहिए..ज्वलंत प्रश्न उठाती कहानी.

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  5. इंसानी स्‍वभाव...
    स्‍वार्थ से भरा।
    सुंदर कहानी।

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  6. उस बच्चे के भविष्य के प्रति खुशी..
    उस सोसायटी वासियों के प्रति खीझ..
    और एक चिंता की बात.. वे गार्ड से ड्यूटी के समय ब्रेड आदि मंगाते हैं??? मामला सुरक्षा का है!!

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  7. लघु कथा ने बहुत से प्रश्न खड़े कर दिए ..सलिल जी ने सूक्ष्मता से उनको उठाया है .. महिलाओं की अजीब मानसिकता है .. अपने स्वार्थ के कारन खीज रहीं हैं .

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  8. हर कोई स्वार्थी है ...सार्थक कहानी समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आप्क स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  9. लेकिन मुझे ख़ुशी हुई वह पढ़ लिख सकेगा !

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  10. चंद लाइनों में बहुत कुछ - - - - स्वार्थी लोगों की सर्वत्र यही है चाल.

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  11. आज- कल का स्वार्थी इंसान सिर्फ अपना काम बनाता हुआ ही देखना चाहता है ....विचारणीय आलेख

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  12. बाल मज़दूरों के खिलाफ़ अभियान चला थक हार कर बैठे कार्यक्रता ने होटल में आवाज़ लगाई- अरे छोटे, एक कप चाय तो लाना :(

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  13. Our society is so double faced. We look for our convenience first. They should be happy for him. He was walking towards a better future courtesy that unknown man.

    Powerful writing Sir...

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  14. swarth se bhare samaaz kee yahee niyati hai sunil ji .behtareen soch

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  15. सार्थक कथा, कष्ट सह कर देश का भविष्य सम्हालना पड़ेगा।

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  16. अक्सर यही होता है.लोग तो सम्वेदना शून्य होते जा रहे हैं.अपनी छोटी से सुविधा के लिए दूसरों के भविष्य को भी दाँव पर लगा देते हैं.सार्थक लघु कथा.

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  17. सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

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  18. सराहनीय प्रस्तुति

    जीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग 'बेसुरम' और उसकी प्रथम पोस्ट 'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...' आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करें

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  19. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...नव वर्ष की शुभकामनाएँ ।

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  20. स्वार्थी सोसायटी। धन्यवाद देने के बजाय गाली दे रही है। यह काम तो उन्हें ही करना चाहिए था। बढ़िया प्रेरक कथा लिखने के लिए बधाई।

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  21. bahut prerna dayak laghukatha hai.jeevan me sab tarah ke log aate hain.

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  22. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  23. सुनील जी नमस्कार
    बहुत ही अच्छी पोस्ट है .आपने समाज का असली चहेरा दिखाया है . आपके बारे में तो सभी सोचते है .......पर असली ख़ुशी तब मिलती है जब दूसरों को कोई ख़ुशी प्रदान करता है ........निःस्वार्थ ........bahut -बहुत बधाई .....happy new year .

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  24. कितना स्वार्थी है ये ज़माना ... कटु सत्य को लिखा है आपने इस लघु कथा के माध्यम से ...
    नया साब मुबारक हो आपको ...

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  25. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-749:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  26. दुनियाँ ...एसी ही है साहब ...बिलकुल सत्य लिखा है

    बधाई ....सुनील जी आप ही वो पहले व्यक्ति है जिन्होंने मुझे
    पहली टिप्पडी का उपहार
    दिया था.... आभार

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  27. बहुत बढ़िया...
    कड़वी बात है मगर यथार्थ है ये..
    हमारे आस पास भी कई बच्चे हैं जो काम करते हैं..पेपर तो सारे बच्चे ही बाँट रहें है..क्या किया जाये..परिवर्तन लाने के लिए एक दूसरे का मुँह देखते हैं बस....

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  28. बहुत ही अच्छा...........
    HAPPY NEW YEAR

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  29. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
    बहुत ख़ूबसूरत पोस्ट !

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  30. badhia likha sir
    aajkal dunia aise hi chal rahi hain
    mere blog par bhi aaiyega
    umeed kara hun aapko pasand aayega
    http://iamhereonlyforu.blogspot.com/

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  31. सुन्दर रचना.....
    इंडिया दर्पण की ओर से नववर्ष की शुभकामनाएँ।

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  32. full of truth
    True story if we open eyes we can see many tin tin around us.

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  33. आदमी कितना स्वार्थी है !
    बहुत कुछ कहती है यह लघुकथा !

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  34. स्वार्थी समाज की बेबाक तस्वीर ! छोटे- छोटे स्वार्थ इंसान को कितना छोटा, कितना बौना बना देते हैं । सभी भाव सुंदरता से संजो लिये हैं आपने -स्वार्थ,बेचैनी,उदासी,नेकी,खुशी इत्यादि ! बधाई !

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  35. Vah kya khoob likha hai ap ne ... samaj me swarth to apne charam pr hai bhai ....kya karoge....sundar prvishti ke liye abhar.

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  36. आज इंसान कितना स्वार्थी होगया है...बहुत सुन्दर लघु कथा..

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  37. बहुत खूबी से समाज के सच और व्यक्ति के स्वार्थ के मायने आपने बता दिए हैं. बधाई सुनील जी.

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  38. देख तेरे संसार की हालत क्या होगई भगवान,..बहुत बढिया प्रस्तुति, ......
    WELCOME to--जिन्दगीं--

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  39. bahut sunder laghu katha, sach manav man bada hi swarthi hai.....

    Lohri va Makar Sankranti ki Shubhkamnayen

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