चमचमाती कार बंगले के अन्दर तेज़ गति से घुसी और अचानक ही ड्राइवर ने ब्रेक लगा
कर कार रोक दी क्योंकि कार के आगे साहेब का विदेशी कुत्ता टौमी आ गया था ।
ड्राइवर ने किसी तरह टौमी को बचा दिया ।मगर इस हादसे में घर में काम करने वाली
आया का चार साल के बच्चे को चोट आ गयी ।साहेब ने जल्दी से कार से उतर कर
आये और आया को सौ रुपये दिए और कहा जाओ इसकी मलहम पट्टी करवा लो ।
थोड़ी देर बाद घर कें अंदर सबके चेहरे खिले हुए थे और जुवान पर एक बात थी ।
भगवान का शुक्र है कि टौमी बच गया ......
आज के सच को सामने लाती लघु कथा बहुत अच्छी लगी सच में दौलत के अंधे लोगों में इंसानियत ही ख़त्म हो गई एक गरीब के बच्चे से बढ़कर उनका पालतू कुत्ता हो गया .कहानी सोचने पर विवश करती है |
जवाब देंहटाएंसच है यह भी आज के समाज का।
जवाब देंहटाएंएक गरीब के बच्चे से बढ़कर उनका पालतू कुत्ता हो गया.
जवाब देंहटाएंकितना बदल गया इंसान,...
MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबुधवारीय चर्चा-मंच पर |
charchamanch.blogspot.com
chhoti si par sargarbhit...yehi dunia hai
जवाब देंहटाएंachha likha ,
जवाब देंहटाएंlikho khub likho.
आज की समवेदनाएं ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लघुकथा ...
जवाब देंहटाएंइसे साभार http://samkalinkathayatra.blogspot.in/ पर ले रही हूं.
इस लघुकथा को कृपया http://samkalinkathayatra.blogspot.in/ पर भी पढ़ा जा सकता है.
जवाब देंहटाएंसच है --- जिससे अधिक अटेचमेंट होता है चिंता उसी की पहले होती है.
जवाब देंहटाएंआया का अटेचमेंट अपने बच्चे से होगा.
ड्राइवर का अटेचमेंट अपनी गाड़ी से होगा.
मालिक का अटेचमेंट अपने टोमी से होगा.
लेकिन "शुक्र है टोमी बच गया" ड्राइवर ने इसलिये कहा कि यह कहकर वो मालिक की डांट से बच जायेगा.
औरों ने इसलिये कहा कि वो इस तरह अपना-अपना लगाव उसके प्रति जता पाये.
जो मालिक कुत्ता पालते हैं... उसके आस-पास कुत्ते को पुचकारने वाले भी तो पलते हैं.
किसी की लापरवाही से चोट किसी को भी लगे बुरा है... लेकिन ड्राइवर का आया को १०० रुपये देकर मुक्ति पा जाना एकदम ग़लत है.
ऎसी लघुकथाएं यथार्थ से जुड़ी होती हैं...इसलिये इन कथाओं पर चिंतन होना चाहिए कि 'क्या होना चाहिए था और क्या नहीं?'
जवाब देंहटाएंएक सच बयां करती ...बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन..............
जवाब देंहटाएंएकदम सच है.....ऐसा होते हमने खुद देखा है...........
इससे भी कुछ ज्यादा....
आभार.
आजकल टॉमियों को कुछ नहीं होता, बलि तो बुधना, सुखना चढ़ते हैं।
जवाब देंहटाएंआज का सच ... अहमियत अहमियत की बात है
जवाब देंहटाएंझकझोरती हुई लघुकथा.दृश्य बहुत देर तक नजरों के सामने झूलता रहेगा...
जवाब देंहटाएंअमीरों की दुनिया में ये बहुत कॉम्मन सी बात हैं .....आदमी का मोल कुत्तों से भी कम हैं ....
जवाब देंहटाएंसार्थक कथा ...
बिल्कुल सही कहा.....सार्थक कथा....
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यब्ग्य है कोठी वालों के सिर्फ कुत्ते ही कीमती और वफादार होते हैं .बढ़िया व्यंग्य .
जवाब देंहटाएंस्वानों को मिलता दूध यहाँ ,भूखे बच्चे अकुलाते हैं ........
बुधवार, 2 मई 2012
" ईश्वर खो गया है " - टिप्पणियों पर प्रतिवेदन..!
http://veerubhai1947.blogspot.in/
इन्सान जान सस्ती है उनके लिए ..... करार व्यंग
जवाब देंहटाएंaaj ki sachchai hei ..garib ki jaan ki kya kimat ?
जवाब देंहटाएंअच्छी लघु कथा मार्मिक !
जवाब देंहटाएंकितनी कडुवी बात कों सहज ही कह दिया ...
जवाब देंहटाएंसभी संवेदनहीन हो गए हैं ...
bade log ke kutte ki kimat bhi aam aadmi ke jivan se jayda hoti hai
जवाब देंहटाएंbahut samvedansheel rachna
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