सोमवार, दिसंबर 12, 2011

ऐसी अपनी इच्छा हैं.........

अपने उर के स्पंदन को,
बस जीवन मैंने मान लिया|
अपने उर के क्रंदन को
गीतों का मैंने नाम दिया| 
रुके साँस के साथ कलम भी 
ऐसी अपनी इच्छा हैं |
पटाक्षेप ही जीवन नाटय का, 
देगा हमको इसका उत्तर|  
चली है उसकी अपनी मर्जी,  
या मेरी इच्छा को मान लिया| 

36 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ... रचना का आरम्भ अपने में अद्भुत है

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  2. रुके साँस के साथ कलम भी
    ऐसी अपनी इच्छा हैं |
    हम सब की भी इच्छा आपकी इस इच्छा में शामिल है... शुभकामनायें...

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  3. अपने उर के स्पंदन को,
    बस जीवन मैंने मान लिया|....सुंदर पन्तियाँ बहुत अच्छी लगी ..
    मेरी नई रचना,."जनता सबक सिखायेगी" में इंतजार है

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  4. जीवन को सही ढंग से परिभाषित किया है आपने।

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  5. भावमय करते शब्‍दों का संगम....

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  6. बहुत बढिया गीत... अब इच्छा तो इंसान की ही पूरी होनी चाहिये.

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  7. बहुत खूबसूरती से पिरोया है भावों को ...

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति........

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  9. अपने उर के स्पंदन को,
    बस जीवन मैंने मान लिया|
    अपने उर के क्रंदन को
    गीतों का मैंने नाम दिया|
    Behad sundar!

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  10. simply beautiful...
    u said a million of things in few lines.
    very thoughtful post.

    Loved it as ever !!

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  11. अपने उर के स्पंदन को,
    बस जीवन मैंने मान लिया|
    सुंदर!

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  12. रुके साँस के साथ कलम भी
    ऐसी अपनी इच्छा हैं |...बहुत सुन्दर इच्छा..
    मेरी नई पोस्ट 'मेरी पहचान' में आप का स्वागत है..

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  13. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    कल 14/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, मसीहा बनने का संस्‍कार लिए ....

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  14. अति सुन्दर |
    शुभकामनाएं ||

    dcgpthravikar.blogspot.com

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  15. रुके साँस के साथ कलम भी
    ऐसी अपनी इच्छा हैं |...बहुत सुन्दर इच्छा

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  16. आप की कलम निरंतर चलती रहे
    ऐसी हमारी इच्छा है ॥

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  17. वाह! बहुत खूब लिखा है आपने ! यूँही आप लिखते रहिये !

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  18. apne ur ke bhaavon ko bahut hi khoobsurti se bayaan kiya hai.umda prastuti.

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  19. पटाक्षेप ही जीवन नाटय का,
    देगा हमको इसका उत्तर|
    चली है उसकी अपनी मर्जी,
    या मेरी इच्छा को मान लिया.....वाह! क्या बात है, आप बहुत ही अच्छा लिखते है....आज पहली बार आप के ब्लॉग पर आने का अवसर मिला ,बहुत ही सरलता से बनाया ब्लॉग है, आप के माँ पिता की फोटो बहुत फब रही है यहाँ .....उम्दा कविता की बधाई स्वीकारें ....

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  20. पटाक्षेप ही जीवन नाटय का,
    देगा हमको इसका उत्तर ... बहुत सुन्दर कविता !!

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  21. Thanx,aap mere blog ke samarthak haen.
    aap ki kavita sanshep men sab kah rahi hae.

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  22. अपनी दिल का कहा ही तो सही होता है और उसे ही मानना अच्छा है ... सुन्दर गीत है ...

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  23. सुन्दर रचना, चिर काल तक लिखते रहें आप, ऐसी हमारी कामना है.

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