tag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post4347222735390150800..comments2024-02-15T14:17:01.179+05:30Comments on दिल की बातें: न्याय या सौदा ?Sunil Kumarhttp://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-71327814697995632452011-03-05T16:39:48.713+05:302011-03-05T16:39:48.713+05:30hridaye ko sprsh krne wali rachnahridaye ko sprsh krne wali rachnaIRA Pandey Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/08619248491079311219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-80072671402073669302011-03-03T11:30:09.372+05:302011-03-03T11:30:09.372+05:30मारमिक कथा। पर न्याय पाने के लिए एक जुटता का अभाव।...मारमिक कथा। पर न्याय पाने के लिए एक जुटता का अभाव। साथी मज़दूरों की निरीहता।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-84432875022621281372011-03-01T14:52:46.408+05:302011-03-01T14:52:46.408+05:30dil ko chhu gai laghukatha.....dil ko chhu gai laghukatha.....Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-84597673389539850242011-02-28T20:55:23.612+05:302011-02-28T20:55:23.612+05:30शर्मनाक घटना!शर्मनाक घटना!सुधीर राघवhttps://www.blogger.com/profile/00445443138604863599noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-78939981906215522292011-02-28T16:18:13.655+05:302011-02-28T16:18:13.655+05:30मार्मिक.
वाक़ई बहुत बुरा समय आ गया है.मार्मिक.<br />वाक़ई बहुत बुरा समय आ गया है.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-48345760537560887962011-02-28T09:49:51.070+05:302011-02-28T09:49:51.070+05:30aksar aisa hota hai,bolne wale ki jubaan bnd kr di...aksar aisa hota hai,bolne wale ki jubaan bnd kr di jati hai............पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-51200479315835034032011-02-28T09:25:16.110+05:302011-02-28T09:25:16.110+05:30भगवान् ना करे की ये सच घटना हो...भगवान् ना करे की ये सच घटना हो...Rajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-15535805218872779122011-02-28T07:18:42.060+05:302011-02-28T07:18:42.060+05:30sach mein vastvikta ke kareeb , rongte khadi karn...sach mein vastvikta ke kareeb , rongte khadi karne wali rachna , ek serial chal raha hai , ''rishton se badi pratha '' usmein bhi kuch aisa hi thaMinoo Bhagiahttps://www.blogger.com/profile/18351562434440592523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-36527229478809273252011-02-27T23:32:00.338+05:302011-02-27T23:32:00.338+05:30महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,व...महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के ब्लॉग हिन्दी-विश्व पर २६ फ़रवरी को राजकिशोर की तीन कविताएँ आई हैं --निगाह , नाता और करनी ! कथ्य , भाषा और प्रस्तुति तीनों स्तरों पर यह तीनों ही बेहद घटिया , अधकचरी ,सड़क छाप और बाजारू स्तर की कविताएँ हैं ! राजकिशोर के लेख भी बिखराव से भरे रहे हैं ...कभी वो हिन्दी-विश्व पर कहते हैं कि उन्होने आज तक कोई कुलपति नहीं देखा है तो कभी वेलिनटाइन डे पर प्रेम की व्याख्या करते हैं ...कभी किसी औपचारिक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग करते हुए कहते हैं कि सब सज कर ऐसे आए थे कि जैसे किसी स्वयंवर में भाग लेने आए हैं .. ऐसा लगता है कि ‘ कितने बिस्तरों में कितनी बार’ की अपने परिवार की छीनाल संस्कृति का उनके लेखन पर बेहद गहरा प्रभाव है . विश्वविद्यालय के बारे में लिखते हुए वो किसी स्तरहीन भांड से ज़्यादा नहीं लगते हैं ..ना तो उनके लेखन में कोई विषय की गहराई है और ना ही भाषा में कोई प्रभावोत्पादकता ..प्रस्तुति में भी बेहद बिखराव है...राजकिशोर को पहले हरप्रीत कौर जैसी छात्राओं से लिखना सीखना चाहिए...प्रीति सागर का स्तर तो राजकिशोर से भी गया गुजरा है...उसने तो इस ब्लॉग की ऐसी की तैसी कर रखी है..उसे ‘कितने बिस्तरों में कितनी बार’ की छीनाल संस्कृति से फ़ुर्सत मिले तब तो वो ब्लॉग की सामग्री को देखेगी . २५ फ़रवरी को ‘ संवेदना कि मुद्रास्फीति’ शीर्षक से रेणु कुमारी की कविता ब्लॉग पर आई है..उसमें कविता जैसा कुछ नहीं है और सबसे बड़ा तमाशा यह कि कविता का शीर्षक तक सही नहीं है..वर्धा के छीनाल संस्कृति के किसी अंधे को यह नहीं दिखा कि कविता का सही शीर्षक –‘संवेदना की मुद्रास्फीति’ होना चाहिए न कि ‘संवेदना कि मुद्रास्फीति’ ....नीचे से ऊपर तक पूरी कुएँ में ही भांग है .... छिनालों और भांडों को वेलिनटाइन डे से फ़ुर्सत मिले तब तो वो गुणवत्ता के बारे में सोचेंगे ...वैसे आप सुअर की खाल से रेशम का पर्स कैसे बनाएँगे ....हिन्दी के नाम पर इन बेशर्मों को झेलना है ..यह सब हमारी व्यवस्था की नाजायज़ औलाद हैं..झेलना ही होगा इन्हें …..Priti Krishnahttps://www.blogger.com/profile/05797119333241250973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-84050721211834274892011-02-27T16:29:15.764+05:302011-02-27T16:29:15.764+05:30मेरे ब्लॉग की ---http://archanachaoji.blogspot.com...मेरे ब्लॉग की ---http://archanachaoji.blogspot.com/2011/02/blog-post_19.html-----इस पोस्ट पर की गई आपकी टिप्पणी को मद्देनजर रखकर दी थी मैने बधाई....Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-56581159528245164542011-02-27T09:04:29.193+05:302011-02-27T09:04:29.193+05:30खौफनाक पर सच्चाई बयां करती हुई पोस्ट. वास्तविकता क...खौफनाक पर सच्चाई बयां करती हुई पोस्ट. वास्तविकता के बहुत करीब.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-46826333876127397872011-02-27T08:08:08.675+05:302011-02-27T08:08:08.675+05:30सौदा तो तब पूरा होता जब मरने से पहले ठीकेदार को मा...सौदा तो तब पूरा होता जब मरने से पहले ठीकेदार को मार कर मरते। घाटे का सौदा। <br />..विभत्स!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-43273932590470261152011-02-27T02:14:38.304+05:302011-02-27T02:14:38.304+05:30ब्लॉग को वर्ष पूर्ण होने पर बधाई.....शुभकामनाएं......ब्लॉग को वर्ष पूर्ण होने पर बधाई.....शुभकामनाएं...Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-82493718802120072782011-02-26T22:58:22.401+05:302011-02-26T22:58:22.401+05:30बहुत दुखद अंत पर वास्तविकता के बहुत करीब शायद इसील...बहुत दुखद अंत पर वास्तविकता के बहुत करीब शायद इसीलिए गरीबी इतनी भयावह नज़र आती है क्युकी इसमें इन्सान अपने बचाव का कोई साधन तक जुटा नहीं पाता और आखिरी रास्ता सिर्फ यही दुखद अंत होता है |<br />मार्मिक रचना |Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-75919965071695762982011-02-26T20:17:58.610+05:302011-02-26T20:17:58.610+05:30उफ़ ...उफ़ ...उफ़ ...उफ़ ...उफ़ ...उफ़ ...उफ़ ...उफ़ ...Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-15019978403718107862011-02-26T17:54:18.562+05:302011-02-26T17:54:18.562+05:30मार्मिक घटना बयान की आपने। गांव वालों को शहर के जं...मार्मिक घटना बयान की आपने। गांव वालों को शहर के जंगल के वहशियों का पता चलने में काफी देर लगती है।Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-18732357532799089832011-02-26T16:23:43.559+05:302011-02-26T16:23:43.559+05:30बहुत ही भयानक सच्चाई से रूबरू कराया आपने.बहुत ही भयानक सच्चाई से रूबरू कराया आपने.सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-62912241490478910052011-02-26T14:38:20.215+05:302011-02-26T14:38:20.215+05:30खुद मर जाने से अच्छा होता साथी मजदूरों को इक्ट्ठा ...खुद मर जाने से अच्छा होता साथी मजदूरों को इक्ट्ठा कर विरोध प्रकट करना,लेकिन गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है,यह भीतर से कमजोर कर देती है, मार्मिक रचना !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-30478917452919309412011-02-26T12:38:41.523+05:302011-02-26T12:38:41.523+05:30खून खौलाती बिचारोतेजक लघु कथा !खून खौलाती बिचारोतेजक लघु कथा !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-5867031506213416042011-02-26T11:41:17.037+05:302011-02-26T11:41:17.037+05:30अत्यंत मार्मिक रचना.....अत्यंत मार्मिक रचना.....Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-54062431491497156622011-02-26T09:31:50.587+05:302011-02-26T09:31:50.587+05:30मार्मिक, दुखद सच।मार्मिक, दुखद सच।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-53719061052291958192011-02-26T08:35:00.088+05:302011-02-26T08:35:00.088+05:30ओह हृद्य को बीन्ध देने वाली घटना। बस निशब्द हूँ। आ...ओह हृद्य को बीन्ध देने वाली घटना। बस निशब्द हूँ। आभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-61133895746275580712011-02-25T23:32:12.162+05:302011-02-25T23:32:12.162+05:30ऐसी घटनाएं हमारे आसपास घटती ही रहती हैं। कुछ अखबार...ऐसी घटनाएं हमारे आसपास घटती ही रहती हैं। कुछ अखबारों की सुर्खियां बनती हैं, कुछ दफन कर दी जाती हैं। <br />शर्मनाक। 21 वीं सदी के भारत की घिनौनी तस्वीर।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-9220558888409066152011-02-25T22:52:53.082+05:302011-02-25T22:52:53.082+05:30ये एक ऐसी रचना है जो हम आए दिन अखबार में पढ़ते हैं...ये एक ऐसी रचना है जो हम आए दिन अखबार में पढ़ते हैं <br />ऐसी बातें किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को स्तब्ध कर देती हैं <br />कब होगा ऐसी शर्मनाक घटनाओं का अंत ?उस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1634984497780310172.post-34049396576295385262011-02-25T22:41:40.013+05:302011-02-25T22:41:40.013+05:30जो सहन नहीं कर पाते वो मर जाते हैं और अनेकों ऐसे ह...जो सहन नहीं कर पाते वो मर जाते हैं और अनेकों ऐसे हैं जो परिस्थिति से समझौता कर रोज जहर पीते हैं । ये संसार शक्तिशाली और शक्तिविहीन वर्गों में बंटा है , शोषण और अत्याचार पता नहीं कब खत्म होगा , ये वीभत्स और दर्दनाक सत्य है ।रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.com